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Jyeshtha Amavasya 2023: कल है ज्येष्ठ अमावस्या, इस दिन मनाई जाएगी शनि जयंती व वट सावित्री व्रत, जानें पूजा विधि व मंत्र

Jyeshtha Amavasya 2023: ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती और वट सावित्री दिन के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन का खास महत्व होता है.

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Jyeshtha Amavasya 2023: कल है ज्येष्ठ अमावस्या, इस दिन मनाई जाएगी शनि जयंती व वट सावित्री व्रत, जानें पूजा विधि व मंत्र

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व होता है. अमावस्या (Amavasya 2023) पर पवित्र नदी में स्नान आदि कर पितरों को दान, तर्पण करने से विशेष लाभ मिलते हैं. अब ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि आने वाली है. ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2023) तिथि इस साल 19 मई 2023 को मनाई जाएगी. ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2023) को शनि जयंती (Shani Jayanti 2023) और वट सावित्री दिन के रूप में भी मनाया जाता है. ज्येष्ठ माह की अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2023) तिथि का बहुत ही खास महत्व होता है. तो चलिए ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2023) के महत्व, पूजा विधि व मंत्रों के बारे में जानते हैं.

ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व (Jyeshtha Amavasya 2023 Significance)
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत और शनि जयंती है. ऐसे में इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है. अमावस्या पर नदी में स्नान करने से सात जन्मों के पाप कट जाते हैं. अमावस्या का पितरों के तर्पण व पिंड दान का भी महत्व होता है.

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ज्येष्ठ अमावस्या पूजा विधि (Jyeshtha Amavasya 2023 Puja Vidhi)
- अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दे व बहते जल में तिल प्रवाहित करें. इस दिन पितरों की शांति के लिए पित्र दान करना चाहिए.
- आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो इस दिन पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें. पानी में गंगाजल डालकर ईष्ट देव की ध्यान करते हुए स्नान करें.
- अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं, अक्षत, सिंदूर आदि चीजें पीपल को अर्पित करें और 11 परिक्रमा लगाएं.
- ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती भी है ऐसे में इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल, काले तिल, काला कपड़ा और नीले फूल शनि देव को अर्पित करें.

ज्येष्ठ अमावस्या पूजा मंत्र (Jyeshtha Amavasya 2023 Puja Mantra)
- ॐ शं शनैश्चराय नमः
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं शनैश्चराय नमः
- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं नमः
- ॐ नमो नारायणाय
- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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