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Yama Ka Diya: अकाल मृत्यु से बचने के लिए आज जलाएं यम का दीया, जानें यमराज की पूजा का दुर्लभ योग और दीप मंत्र

Yama Deepam 2022 Date: आज छोटी दिवाली है और आज रात ही यमराज के नाम पर दीपदान किया जाता है. अकाल मृत्यु से बचाव के लिए आज दुर्लभ योग है.

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Yama Ka Diya: अकाल मृत्यु से बचने के लिए आज जलाएं यम का दीया, जानें यमराज की पूजा का दुर्लभ योग और दीप मंत्र

अकाल मृत्यु से बचने के लिए आज रात जलाएं यम का दीया

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डीएनए हिंदीः दीवाली से एक दिन पहले यम का दीया (Yama Deepam 2022 Date) निकालने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन रात में घर के बाहर यमराज के लिए दीया रखा जाता है और मान्यता है कि इससे घर-परिवार में अकाल मृत्यु (Premature Death)का डर खत्म होता है. 
बता दें कि यमराज (Yamaraj) के लिए दक्षिण दिशा में एक दीप जलाया (Light a Lamp in South Direction) जाता है. दीप जालाने का मंत्र (Deep Daan Mantra) और सही विधि क्या हैं जान लें. 

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यम दीवाली 2022 यम दीपक जलाने की तिथि और शुभ मुहूर्त | Yama Deepam 2022 Shubh Muhurat
त्रयोदशी तिथि शुरू- 22 अक्टूबर, 2022 शाम 6 बजकर 02 मिनट से 
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 23 अक्टूबर, 2022 शाम 06 बजकर 03 मिनट इसलिए 23 अक्टूबर 2022 को 6:03 बजे से पहले ये दीप जला दें.

ऐसे जलाएं यम दीपक
धनतेरस के दिन आटे का चौमुखी दीपक बना लें या मिट्टी के पुराने दीपक में चारों ओर बाती लगा लें और सरसों का तेल भर दें. इसके बाद घर की दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके इस दीपक को जला दें.  इसके साथ ही इस मंत्र का जाप कर लें-

दीपदान मंत्र
मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्

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आखिर क्यों जलाते हैं यम दीपक
यम दीपक धनतेरस के दिन जलाया जाता है. इस दिन यम दीपक जलाने के पीछे पौराणिक कथा का जिक्र शास्त्रों में किया गया है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय हेम नामक का राजा राज करता था. कुछ समय बीतने के बाद उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई. राजा जब अपने पुत्र की कुंडली दिखाने के लिए ज्योतिषी के पास गए तो उसकी कुंडली से पता चला कि शादी के 4 दिन बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी.

ऐसे में राजा ने अपने पुत्र को ऐसे स्थान पर भेज दिया जिससे कि उस पर किसी स्त्री की परछाई भी ना पड़े. लेकिन राजकुमार उस स्थान पर शुभ मुहूर्त में एक राजकुमारी से विवाह कर लिया. कहते हैं कि विधि का विधान टाला नहीं जा सकता. शादी के बाद  4 दिन बाद उस राजकुमार को यमराज लेने के लिए आ गए.

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यह देखकर राजकुमारी बहुत निराश हुई और बहुत रोई. यमदूत ने ये सारी बातें यमराज को बता दी और कहा कि हे महाराज ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे अकाल मृत्यु से मुक्ति पाई जा सके. तब यमराज ने कहा कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को जो कोई दक्षिण दिशा में मेरे नाम का दीपक जलाएगा, वह अकाल मृत्यु से मुक्त हो सकता है. यही वजह है कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यम के नाम का दीपक जलाया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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