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Mahavir Jayanti 2023: रोचक है वर्धमान से भगवान महावीर बनने का सफर, जानें भगवान राम से क्या था संबंध

Mahavir Jayanti 2023: महावीर जयंती पर भक्त कई अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं. इस दिन महावीर भगवान की शोभायात्राएं भी निकाली जाती है.

Mahavir Jayanti 2023: रोचक है वर्धमान से भगवान महावीर बनने का सफर, जानें भगवान राम से क्या था संबंध

महावीर जयंती 2023

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डीएनए हिंदी: जैन धर्म के महावीर भगवान का जन्म 599 ई.पू. में हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को हुआ था. इस बार यह तिथि 4 अप्रैल 2023 यानी आज है. महावीर भगवान का जन्म बिहार के वैशाली जिले के कुंडग्राम में हुआ था. आज ही जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर जयंती (Mahavir Jayanti 2023) मनाई जा रही है. जैन धर्म में महावीर जयंती (Mahavir Jayanti 2023) बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है. भक्त कई अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं. इस दिन महावीर भगवान की शोभायात्राएं भी निकाली जाती है. तो चलिए आज महावीर जयंती (Mahavir Jayanti 2023) के दिन महावीर जी से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में जानते हैं. 

महावीर भगवान के जन्म से जुड़े खास तथ्य (Mahavir Jayanti 2023)
भगवान महावीर का जन्म उसी कुल में हुआ था जिस कुल में प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था. यहीं वजह है कि उनका भगवान राम से भी नाता माना जाता है. भगवान राम और भगवान महावीर दोनों का ही जन्म इच्छवाकु वंश में हुआ और दोनों ही सूर्यवंशी हैं. भगवान महावीर का बचपन का नाम वर्धमान था. भगवान महावीर के पिता वज्जि गणराज्य के राजा थे और इनकी माता जी का नाम त्रिशला देवी है.

यह भी पढ़ें - Hanuman Jayanti 2023: इस दिन मनाई जाएगी हनुमान जयंती, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सही तारीख

वर्धमान से कैसे बनें भगवान महावीर (Mahavir Jayanti 2023)
महावीर भगवान 30 वर्ष की आयु में ही सभी सुखों का त्याग करके तप करने लगे थे. वह बचपन में वर्धमान के नाम से जाने जाते थे. उन्होंने 30 वर्ष की उम्र में ही सभी सुखों से मुख मोड़कर कठोर तप कर अपनी इच्छाओं और विकारों पर नियंत्रण पा लिया था. महावीर जी ने 12 सालों से भी अधिक तक तप किया था. कठोर तप कर उन्होंने इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी. इसी वजह से वह वर्धमान महावीर भगवान कहलाएं.

24वें तीर्थंकर थे भगवान महावीर (Mahavir Jayanti 2023) 
जो संसार से पार लगाने के लिए तीर्थ की रचना करते हैं. उन्हें तीर्थंकर कहते हैं. महावीर भगवान ने चार तीर्थों साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका की स्थापना की थी. यह सभी तीर्थ एक लौकिक तीर्थ नहीं बल्कि एक सिद्धांत हैं. महावीर भगवान ने जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत को ही तीर्थ मानने को कहा है. पंचशील सिद्धांत में सत्य, अहिंसा, अपिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य के पालन के बारे में बताया गया है. महावीर जयंती के दिन उनके अनुयायी महावीर भगवान की पूजा कर उनका अभिषेक करते हैं और उनके सिद्धातों पर चलने की प्रतिज्ञा भी लेते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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