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Masik Shivratri 2022: कल मासिक शिवरात्रि पर बन रहा अत्यंत शुभ योग, जानें पूजा-पाठ का उत्तम समय

Masik Shivratri ShubhYog: मार्गशीर्ष मास मासिक शिवरात्रि 22 नवबंर को है और इस दिन दो अशुभ याेग बन रहे हैं.

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Masik Shivratri 2022: कल मासिक शिवरात्रि पर बन रहा अत्यंत शुभ योग, जानें पूजा-पाठ का उत्तम समय

Masik Shivratri 2022: कल मासिक शिवरात्रि पर अत्यंत शुभ योग

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डीएनए हिंदीः अगहन मास  यानी मार्गशीर्ष की शिवरात्रि इस बार 22 नवम्बर 2022 दिन मंगलवार को है. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन दो शुभ योग बन रहे हैं इसलिए  इस दिन व्रत और पूजन का अमोघ पुण्य मिलेगा. 

इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ हनुमान जी की पूजा भी जरूर करना करें क्योंकि मंगलवार भगवान हुनमान का दिन होता है. बता दें कि शिवरात्रि पर व्रत और पूजा से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है औश्र घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है. बता दें कि मासिक शिवरात्रि पर बन रहे दो अत्यंत शुभ योग कई शुभकार्य कराएंगे. 

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मासिक शिवरात्रि पर बन रहा है शुभ संयोग (Masik Shivratri 2022 Shubh Yog)
मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह से शाम 06:38 तक सौभाग्य योग रहेगा और इस योग में शाम तक कभी भी पूजा करने से सुख और सौभाग्य का वरदान मिलेगा. वहीं शाम 06ः38 के बाद से अगले दिन सुबह 03ः40 तक शोभन योग होगा. इस लिए मासिक शिवरात्रि को निशिता पूजा बहुत ही उत्तम फल देगी और रात्रि जागरण के भी पुण्यफल मिलेंगे. शास्त्रों में वर्णित है कि शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा मध्य रात्रि में की जाती है. ऐसा करने से पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.  निशिता काल में पूजा के लिए ज्योतिषाचार्य रात 11:41 से मध्यरात्रि 12:34 को सबसे उत्तम मुहूर्त बता रहे हैं।

मासिक शिवरात्रि पूजा महत्व (Masik Shivratri 2022 Importance)
मासिक शिवरात्रि पर मध्यरात्रि में पूजा  से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन व्रत करने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और अविवाहित कन्याओं को योग्य वर मिलता है.

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मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि पूजन विधि (Masik Shivratri 2022 Pujan Vidhi)

मासिक शिवरात्रि पर शिव मंदिर में जाकर पूजा करें. शिवलिंग का रुद्राभिषेक  जल और गाय के दूध में घी, शहद और दही मिलाकर करें. उसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं और फल-फूल चढ़ाएं.  मंदिर में ही बैठकर शिवपुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें. संध्या के समय फलाहार करें. इस दिन उपासक को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें.

मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि कथा (Masik Shivratri Katha)

पुराणों के अनुसार भगवान शिव महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के समय शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. और सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने उनकी पूजा की थी. उस दिन से लेकर आज तक इस दिन को भगवान शिव के जन्म दिवस के रूप में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन शिव पूजन का खास महत्व होता है. बहुत से पुराणों में भी शिवरात्रि व्रत का जिक्र किया गया है. शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन के उद्धार के लिए माता लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती समेत बहुत-सी देवियों और रानियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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