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न रखें नवविवाहिताएं ​​​​​​​इस बार करवाचौथ का पहला व्रत, शुक्र अस्त से नहीं होगा उद्यापन भी

Karwa Chauth Sukra Asth Prabha: अगर इस बार आपका पहला करवाचौथ व्रत है तो उसे न रखें और न ही इस बार उद्यापन करें. शुक्र अस्त के कारण ये शुभ समय नहीं है.

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न रखें नवविवाहिताएं ​​​​​​​इस बार करवाचौथ का पहला व्रत, शुक्र अस्त से नहीं होगा उद्यापन भी

न रखें नवविवाहिताएं इस बार करवाचौथ का पहला व्रत, शुक्र अस्त का प्रभाव

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डीएनए हिंदीः करवाचौथ कल यानी गुरुवार 13 अक्टूबर को है. अगर आप पहली बार करवाचौक्थ का व्रत उठाने जा रही हैं तो आपको इस बार का चौथ व्रत नहीं करना चाहिए, वहीं व्रत का उद्यापन भी इस साल नहीं हो सकेगा. इसके पीछे एक बड़ा कारण शुक्र का अस्त होना है. 

बता दें कि शुक्र इस बार 20 नवंबर तक अस्त है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. गृह प्रवेश से लेकर नामकरण, नए व्रत उठान या उद्यापन, मुंडन या कोई भी शुभ संस्कार नहीं होंगे. इसबार क्योंकि करवाचौथ भी शुक्र अस्त में पड़ रहा है इसलिए पहली बार व्रत उठाने वाली नवविवाहिताओं को इस बार व्रत नहीं उठाना चाहिए और न ही व्रत का उद्यापन इस बार होगा.  

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सुख, वैभव, प्रेम और वैवाहिक सुख देने वाला शुक्र ग्रह का अस्त 1 अक्टूबर को हुआ था और अब 21 नवंबर को शुक्र का उदय होगा.  शुक्र का अस्त होना सभी लोगों के प्रेम, सुख, धन और वैवाहिक जीवन पर असर डाल सकता है. शुक्र और गुरु के अस्त होने पर वैवाहिक और कोई भी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. इसलिए जो महिलाएं पहली बार इस व्रत को रखने की सोच रही हैं वो अगले साल से इस व्रत को रखें तो उसके शुभफल मिलेंगे.

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नहीं कर पाएंगी व्रत का उद्यापन

करवा चौथ के व्रत का उद्यापन 16 वर्ष में भी किया जाता है अगर आप इस वर्ष करवा चौथ का उद्यापन करने वाली थी तो इसे त्याग दें और अगले साल इसे करें. क्योंकि शुक्र ग्रह अस्त होने से सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं. लेकिन स्त्रियां व्रत रख सकती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत खोल सकती हैं.

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रात्रि 8ः07 बजे निकलेगा चांद

13 अक्टूबर को चतुर्थी शाम 5ः45 से 6ः59 बजे तक रहेगी. इस दौरान पूजन का शुभ मुहूर्त है. चंद्रोदय रात 8ः07 बजे होगा. इससे पहले प्रदोष बेला में 7ः30 बजे तक पूजन कर सकते हैं. चतुर्थी 13 को सुबह 3ः01 से शुरू होकर 14 अक्टूबर को 5ः43 बजे तक रहेगी. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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