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Mahalaxmi Vrat 2022: 3 सितम्बर से शुरू हो रहा है 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजा व‍िधि और शुभ मुहूर्त

Gajalakshmi Vrat 2022 Date Time: भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो जाती है. इस व्रत को गजलक्ष्‍मी व्रत (Gajalakshmi Vrat) के नाम से भी जाना जाता है. 16 दिन चलने वाले इस व्रत (16 Days Fast) का समापन पितृपक्ष (Pitru Paksha) में होता है और इस व्रत का महत्‍व बहुत होता है. चलिए जानें व्रत का दिन, शुभ महूर्त और पूजा विधि (Mahalaxmi Fast Date Auspicious Time and Puja Vidhi).

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Mahalaxmi Vrat 2022: 3 सितम्बर से शुरू हो रहा है 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजा व‍िधि और शुभ मुहूर्त

महालक्ष्‍मी व्रत

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डीएनए हिंदी: देवी लक्ष्मी (Devi Laxmi ji) को समर्पित व्रत बहुत ही महत्‍वपूर्ण माना गया है. 16 दिन तक व्रत करने से धन-धान्‍य ही नहीं सुख-समृद्धि और ऐश्‍वर्य की प्राप्‍ति होती हैं. ये व्रत अखंड सौभाग्‍य का व्रत माना गया है. आइए जानते हैं कब से हैं महालक्ष्मी व्रत का आरंभ, मुहूर्त और महत्व

कब है Mahalaxmi Vrat 2022  और कब होगा अंतिम व्रत
भाद्रपद शुक्ल की अष्टमी तिथि यानी की 3 सितंबर 2022 को पहला महालक्ष्मी व्रत रखा जाएगा. सोलह दिन तक चलने वाले इस व्रत का समापन अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होगा यानी 17 सितंबर 2022 को आ‍खिरी व्रत का पालन किया जाएगा. 

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महालक्ष्मी व्रत 2022 मुहूर्त (Mahalaxmi Vrat 2022 Muhurat)

भाद्रपद शुक्ल की अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 3 सितंबर 2022 को दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर होगा. वहीं भादो शुक्ल की अष्टमी तिथि 4 सितम्बर 2022, सुबह 10 बजकर 39 पर समाप्त हो जाएगी.

महालक्ष्मी व्रत महत्व (Mahalaxmi Fast significance)

महालक्ष्मी वर्त का महाम्त्य स्वंय श्रीकृष्ण ने भी बताया है. भविष्य पुराण के अनुसार जब चौपड़ के खेल में पांडव कौरवों से हार गए थे तो उन्हें अपना सब कुछ गंवाना पड़ा था. उन्होंने धन, संपत्ति सब कुछ जुएं में लुटा दिया था. आर्थिक संकट होने पर धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से धन प्राप्ति का उपाय पूछा तो भगवान कृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत करने की सलाह दी. मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और आर्थिक संकट दूर होता है, दरिद्रता का वास नहीं होता साथ ही समृद्धि में बढ़ोत्तरी का वरदान मिलता है.

शाम के समय इस तरह करते हैं यह व्रत
गजलक्ष्‍मी व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है. शाम के समय स्नान कर पूजा स्‍थल पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाएं. केसर मिले चंदन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रखें फिर जल से भरा कलश रखें. अब कलश के पास हल्दी से कमल बनाएं और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा रखें और देवी को सोने के आभूषणों से सजाएं. यद‍ि संभव हो तो इस दिन नया सोना खरीदकर उसे हाथी पर चढ़ा दें. श्रद्धानुसार सोने या चांदी का हाथी भी ला सकते हैं. इसके अलावा पूजन स्‍थल पर माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र रखें फिर कमल के फूल से देवी मां की पूजा करें.

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पूजा में जरूर रखें ये चीजें
देवी लक्ष्‍मी की पूजा करते समय सोने-चांदी के सिक्के रखें. यद‍ि संभव न हो सके तो श्रद्धानुसार रुपए-पैसे भी रख सकते हैं. इसके साथ ही मिठाई और फल रखकर लक्ष्‍मी मंत्र  ‘ऊं योगलक्ष्म्यै नम:’ और ‘ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:’ और ‘ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:’ का जप करें. यह मंत्र जप 108 बार पूरी श्रद्धा और न‍िष्‍ठा से करें. इसके बाद घी के दीपक से पूजा कर कथा सुनें और माता लक्ष्मी की आरती कर भोग लगाएं. अंत में थोड़ा सा प्रसाद पर‍िवार में बांटे और बाकी लोगों में बांटें. मान्‍यता है कि प्रसाद जितना बांटा जाएं उतना ही पुण्‍यलाभ मिलता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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