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Sankashti Chaturthi Date: नवंबर में कब है संकष्टी चतुर्थी, गणेश की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और मान्यता

Sankashti chaturthi कब है, नवंबर में कब किस समय होगी गणेश की पूजा, शुभ मुहूर्त, मान्यता, आरती और मंत्र पाठ

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Sankashti Chaturthi Date: नवंबर में कब है संकष्टी चतुर्थी, गणेश की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और मान्यता
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डीएनए हिंदी: Sankashti Chaturthi Date, Shubh Muhurat, Puja, Ganesh Aarti- हर महीने संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करके व्रत रखा जाता है. इस साल 12 नवंबर को चतुर्थी है. इस दिन गणेश की विशेष पूजा आराधना होती है, व्रत रखते हैं और मंत्र का जाप भी करते हैं. इससे विघ्नकर्ता खुश होते हैं और मन चाहा फल देते हैं. संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’

इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की आराधना करता है. पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है. इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं. संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से किया जाता है. 

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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi 2022 Shubh Muhurat)

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 11 नवम्बर 2022 को रात 08:17 बजे से

चतुर्थी तिथि समाप्त: 12 नवम्बर 2022 को रात 10:25 बजे तक

संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय समय: रात 08:21 पर
उदयातिथि के अनुसार 12 नवंबर ही व्रत और पूजा रखी जाएगी 

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi 2022 Puja Vidhi)

चतुर्थी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें और साफ वस्त्र धारण करें. माना जाता है कि इस दिन लाल रंग का वस्त्र पहनकर पूजा करने से लाभ मिलता है. इसके बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करें और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें. उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें और भोग में मोदक या तिल का लड्डू अर्पित करें. जो लोग इस दिन व्रत करेंगे वह व्रत का संकल्प लें और रात्रि में चंद्र देव के दर्शन के बाद व्रत का पारण करें.

यह भी पढ़ें- नवंबर में व्रत त्योहार की लिस्ट, किस डेट पर क्या है 

मंत्र जाप (Mantra) 

ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा।
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:।।

गणेश आरती  (Ganesh Aarti)

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे,

मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे,

संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत,

निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,

शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो,

जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

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