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Bhagwan Shiv Aarti Mantra: आज सोमवार को भगवान शिव की यहां पढ़ें आरती और प्रिय मंत्र, दूर हो जाएंगे सारे कष्ट

Somvar Puja: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन भोले बाबा की आरती और प्रिय मंत्र का जाप जरूर करें.

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Bhagwan Shiv Aarti Mantra: आज सोमवार को भगवान शिव की यहां पढ़ें आरती और प्रिय मंत्र, दूर हो जाएंगे सारे कष्ट

Bhagwan Shiv Aarti Mantra: आज सोमवार को भगवान शिव की यहां पढ़ें आरती और प्रिय मंत्र

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डीएनए हिंदीः भगवान शिव की पूजा से संतान से लेकर सुयोग्य वर और कन्या की प्राप्ति होती है. वहीं वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. सुख और सौभाग्य के कारण भगवान शिव की आशीर्वाद अगर मिल जाए तो जातक को जीवन में किसी चीज का कष्ट नहीं होता. 

आज सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा के बाद आरती करें और उनके कुछ प्रिय बीज मंत्रों का जाप कर लें. इससे आपके उपर मंडरा रहे संकट के बादल छंट जाएंगे और भाग्य का उदय होगा. 

पूजा आरंभ करने से पहले भोलेनाथ को प्रसन्न करने का मंत्र-
नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।। ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

भगवान शिव का मूल मंत्र-
ॐ नमः शिवाय

शिवजी को प्रिय मंत्र
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
नमो नीलकण्ठाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

महामृत्युंजय मंत्र-
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

रुद्र गायत्री मंत्र-
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

Shiv Aarti: श्री शिवजी की आरती 

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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