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Tirupati Balaji Mandir में महिलाएं जानिए क्यों करती हैं अपने बाल दान, ऐसे शुरू हुई ये परंपरा 

Tirupati Balaji Temple: तिरुपति बालाजी मंदिर में सिर्फ बच्चे और आदमी ही नहीं बल्कि महिलाएं भी अपने बाल दान करती हैं.

Tirupati Balaji Mandir में महिलाएं जानिए क्यों करती हैं अपने बाल दान, ऐसे शुरू हुई ये परंपरा 

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदी: भारत में तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji) मंदिर की बहुत अधिक मान्यता है. यहां पर देश के सभी हिस्सों से भक्त भगवान वेंकटेश्‍वर (Venkateswara Bhagwan) के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आंध्र प्रदेश के इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. यहां पर भक्त अपने बालों का भी दान (Tirupati Balaji Bal Dan) करते हैं. बालों के दान (Bal Dan) के पीछे कई मान्यताएं और कहानियां है. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यहां सिर्फ बच्चे और आदमी ही नहीं बल्कि महिलाएं भी अपने बाल दान (Bal Dan) करती हैं. आज हम आपको बताएंगे की तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान (Tirupati Balaji Bal Dan) क्यों करते हैं. 

बाल दान के पीछे हैं ये मान्यताएं
तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान से कई मान्यताएं जुड़ी हुई है. माना जाता है कि लोग मन्नतें मांगते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर तिरुपति बालाजी मंदिर बाल दान करते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि लोग यहां बाल दान करके अपनी बुराइयों और पापों को यहीं छोड़ जाते हैं. बाल दान करने से भक्तों के ऊपर भगवान की कृपा बनी रहती है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है. यहां पर रोजाना करीब 20 हजार से भी ज्यादा लोग बाल दान करते हैं. 

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महिलाओं के बाल दान से जुड़ी कहानी

बाल दान से मिलती है पापों से मुक्ति
एक बार भगवान वेंकटेश्वर नीलाद्रिपर्वत पर सो रहे थे तभी वहां पर देवी नीलाद्रि पहुंची और भगवान वेंकटेश्वर को निहारने लगी. नीलाद्रि देवी ने देखा की भगवान के सिर पर एक धब्बा था जो उनकी सुंदरता प्रभावित कर रहा था. तभी उन्होंने अपने बालों को खींचकर भगवान के सिर पर रख दिया ताकि उनकी सुंदरता को पूरा किया जा सकें. भगवान वेंकटेश्वर ने देखा की नीलाद्रि के सिर से खून निकल रहा है तभी उन्होंने नीलाद्री देवी को बाल वापस दिये लेकिन उन्होंने बाल वापस नहीं लिये. देवी नीलाद्रि ने कहा कि भविष्य में जो भी भक्त बाल दान करेगा उसे पापों से मुक्ति मिलेगी. 

घायल बालाजी की खूबसूरती बढ़ाते हैं ये बाल
बाल दान से जुड़ी एक और कहानी है कि भगवान की विग्रह पर चींटियों का पहाड़ बन गया था. एक गाय यहां पर दूध देने के लिए जाती थी. यह देखकर गाय के मालिक ने गाय को गुस्से में कुल्हाड़ी मारकर सिर पर वार किया. इस वार से बालाजी घायल हो गए और उनके कुछ बाल भी गिर गए. तभी नीला देवी ने अपने बाल काटकर बालाजी के घाव पर लगाएं. नीला देवी के केश से बालाजी का घाव ठीक हो गया. नारायण भगवान ने कहा की बाल शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ऐसे में वह बालों के दान को देखकर खुश हो गए. तभी से यह मान्यता है कि बाल दान करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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