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डीजल नहीं गाय के गोबर से चलता है यह ट्रैक्टर, इसकी खासियत जान आप भी हो जाएंगे शॉक

गाय के गोबर से चलने वाले इस ट्रैक्टर का नाम New Holland T7 है और यह 270 हॉर्स पावर का है.

डीजल नहीं गाय के गोबर से चलता है यह ट्रैक्टर, इसकी खासियत जान आप भी हो जाएंगे शॉक

New Holland T7 Tractor

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डीएनए हिंदीः आज के समय में वाहन निर्माता कंपनियां पेट्रोल,डिजल के अलावा फ्लेक्स फ्यूल और इलेक्ट्रिक व्हीकल लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं लेकिन एक ब्रिटिश कंपनी ने गाय के गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बना दिया है. जी हां आपको इसे जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन Bennamann नाम की एक ब्रिटिश कंपनी ने खाद के तौर पर इस्तेमाल होने वाले गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया है जिसे न्यू हॉलैंड टी17  (New Holland T7) नाम दिया गया है. यह ट्रैक्टर एग्रीकल्चर इंडस्ट्री के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है. 

इस गोबर गैस से चलने वाले ग्रीन ट्रैक्टर को CNHA इंडस्ट्रीयल नाम की एक एग्रीकल्चर कंपनी ने मीथेन एनर्जी वाले प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी Bennamann से साझेदारी कर बनाया है. न्यू हॉलैंड टी17 ट्रैक्टर 270 हॉर्स पावर का है और यह गाय के गोबर से चलता है. 

कैसे काम करता है यह ट्रैक्टर

यह गायों से निकले वेस्ट बाई-प्रोडक्ट्स को बायोमीथेन स्टोरेज यूनिट में कलेक्ट करके काम करता है. गाय का गोबर फ्यूजिटिव मीथेन के रूप में जानी जाने वाली गैस को छोड़ता है जिसे एक प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए ट्रीट और कम्प्रेस करके लो इमिशन फ्यूल में बदल दिया जाता है. इसके लिए ट्रैक्टर में क्रायोजेनिक टैंक भी लगाया गया है जिसमें गाय के गोबर से तैयार बायो मीथेन को -162 डिग्री पर रखा जाता है और यह ट्रैक्टर को पावर देता रहता है. इसके अलावा, क्रायोजेनिक स्टोरेज टैंक का उपयोग करके मीथेन को डीजल के समान इस्तेमाल किया जा सकता है.

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गाय का गोबर ही क्यों?

गाय के गोबर में मिलने वाले फ्यूजिटिव मीथेन गैस को आसानी से बायो मीथेन फ्यूल में बदल कर इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे किसानों का काम आसान हो जाएगा। इसके साथ ही यह प्रदूषण को रोकने में भी मदद करेगा. ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी ने गाय के गोबर में पाई जाने वाली मीथेन गैस का इस्तेमाल किया है. यह ठीक उसी तरह है जैसे हम सीएनजी से वाहन चलाते हैं. 

किसानों का खर्चा होगा कम

इस ट्रैक्टर को बनाने वाली कॉर्निश कंपनी Bennamann  पिछले कई दशकों से बायो मीथेन प्रोडक्ट्स के रिसर्च और डेवलपमेंट में लगी हुई है. इस ट्रैक्टर को टेस्ट के तौर पर कॉर्नवॉल के एक फार्म में चलाया गया था, जहां सिर्फ एक साल में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 2500 टन से घटकर 500 टन पर आ गया. किसानों के पास यदि यह ट्रैक्टर आता है तो उनके खर्चे कम होंगे और इसके साथ ही यह उन्हें गाय के गोबर को अलग तरीके से इस्तेमाल करने का मौका भी देगा.

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