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बेटी को गोद में बैठाकर कार चलाना पड़ा पापा को भारी, सोशल मीडिया हुआ बेदर्द, कुछ ऐसे की धुनाई

इंटरनेट पर एक 'गैर-जिम्मेदार' व्यक्ति की तीखी आलोचना की गई है. दरअसल इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक व्यक्ति अपनी छोटी बच्ची को गोद में बैठाकर गाड़ी चलाते हुए देखा जा सकता है.

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बच्ची को गोद में बैठाकर कार चलाता पिता 

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एक व्यक्ति का अपनी बेटी को गोद में लेकर गाड़ी चलाना मुसीबत बन गया. इंटरनेट पर वीडियो वायरल है जिसने सोशल मीडिया यूजर्स को आग बबूला कर दिया है. X यूजर - अश्विन रजनेश एमडी द्वारा शेयर की गई 30 सेकंड की क्लिप को 4 लाख से ज्यादा बार देखा गया है और तमाम बातें करते हुए इंटरनेट के कई वर्गों ने वीडियो में दिख रहे व्यक्ति को 'गैर-जिम्मेदार' कहा है. वायरल वीडियो में गाड़ी चलाते व्यक्ति को अपनी बेटी के साथ खेलते हुए देखा जा सकता है.

रजनेश ने अपने पोस्ट के कैप्शन में कहा कि दुर्घटना की स्थिति में 'बच्ची की खोपड़ी 320 किमी/घंटा की रफ्तार से 6-8 इंच तक व्यक्ति के सीने में घुस जाएगी, जिससे दोनों की तुरंत मौत हो जाएगी'.

वीडियो पोस्ट करते हुए रजनेश ने कहा कि, भारतीय माता-पिता को कठोर रियलिटी चेक की आवश्यकता है. सोशल मीडिया यूजर्स ने इस तरह के व्यवहार से जुड़े गंभीर जोखिमों पर चिंता व्यक्त की, और ये भी बताया कि घातक दुर्घटना की स्थिति में क्या होगा?

अपने पोस्ट में रजनेश ने आगे ये भी कहा कि, 'मुझे यकीन है कि यह पिता अपनी बेटी से बहुत प्यार करता है, और मैं यह मानना ​​चाहता हूं कि बच्चे को खतरे में डालने की यह खतरनाक हरकत उसके बेहतर निर्णय की एक चूक थी. उम्मीद है कि वह और अन्य माता-पिता इस तरह की प्रथाओं में शामिल संभावित खतरों को समझ सकते हैं, और बेहतर कर सकते हैं.'

रजनेश के इस पोस्ट पर प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई है. वीडियो देखकर यूजर्स का यही कहना है कि वीडियो में दिख रहे शख्स के अंदर विवेक की कमी है. व्यक्ति नहीं जानता कि कैसे उसकी ये हरकत उसकी बेटी की जान लो जोखिम में डाल सकती है.

गौरतलब है कि भारत में, केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989, विशेष रूप से नियम 138(3) के अनुसार, यह आवश्यक है कि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सीट बेल्ट या चाइल्ड सीट का उपयोग करके ठीक से बैठाया जाए और उन्हें नियंत्रित किया जाए.

ध्यान रहे मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत वाहन चलाते समय बच्चों को माता-पिता की गोद में बैठाना प्रतिबंधित है. इस अधिनियम में यह अनिवार्य किया गया है कि बच्चों सहित सभी यात्रियों को वाहन में उचित रूप से नियंत्रित किया जाना चाहिए.

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