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ASEAN समिट में चीन का शीत युद्ध का रोना, भारत समेत इन देशों की एकता से घबराया

ASEAN Summit Indonesia: पीएम नरेंद्र मोदी भी 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता पहुंचे.

ASEAN समिट में चीन का शीत युद्ध का रोना, भारत समेत इन देशों की एकता से घबराया

ASEAN Summit

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डीएनए हिंदी: इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 20वां आसियान-भारत शिखर और 18वां पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन हो रहा है. इंडोनेशिया आसियान दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. ASEAN को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली ग्रुप माना जाता है. भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके सदस्य हैं. भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चकार्ता पहुंचे. वहीं, चीन की ओर से प्रधानमंत्री ली कियांग ने समिट में हिस्सा लेने पहुंचे. इस दौरान चीन ने सीमा विवाद का मुद्दा उठाकर अपना दुखड़ा रोया.

चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने आसियान सम्मेलन में कहा, 'दुनिया को शीत युद्द से बचना चाहिए और किसी भी तह की गुटबाजी या क्षेत्रीय स्तर पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए. सीमा विवाद का मुद्दा उठाते हुए ड्रैगन ने कहा का मौजूदा स्थिति में यह बहुत आवश्यक है कि किसी भी ब्लॉक में जाने से बचा जाए.' उन्होंने कहा कि अगर किसी बात को लेकर कोई विवाद है तो उसे बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए.

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सीमाओं पर घेराबंदी से घबराया चीन
चीन का यह बयान तब आया है जब दक्षिण चीन सागर में जापान और अमेरिका समेत कई देश एकजुट होकर ड्रैगन की घेराबंदी कर रहे हैं. इतना ही नहीं हाल ही में चीन ने एक नक्शा जारी किया था जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश के एक हिस्सो को अपने में दिखाया था. इसपर भारत के साथ जापान, फिलीपींस समेत छह देशों ने ऐतराज जताया था. माना जा रहा है कि भारत की इस एकजुटता को देखकर चीन घबराने लगा है.

क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी?
वहीं, आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया. पीएम मोदी ने समूह के नेताओं से कहा कि भारत हिंद-प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करता है. प्रधानमंत्री ने आसियान को विकास का केंद्र बताया और कहा कि यह वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी है, यह हम सभी की सदी है.

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पीएम मोदी कहा, ‘कोविड-19 महामारी के बाद नियमों पर आधारित विश्व व्यवस्था विकसित करना और मानव कल्याण के लिए सभी का प्रयास (सबका प्रयास) हम सभी के लिए पारस्परिक रूप से फायदेमंद होगा. वैश्विक अनिश्चितता के माहौल के बावजूद हमारे आपसी सहयोग में लगातार प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का केंद्रीय स्तंभ है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आसियान-भारत साझेदारी अपने चौथे दशक में प्रवेश कर गई है. उन्होंने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत पहल में आसियान का प्रमुख स्थान है.

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