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जानें, कैसे 10 सालों में शी जिंगपिंग ने चीन में सिविल सोसायटी को कुचल डाला

चीन में गैरसरकारी संस्थाओं को लगभग खत्म कर दिया गया है. यह सब पिछले 10 सालों में हुआ है. इसके पीछे शी जिंगपिंग को जम्मेदार माना जाता है...

जानें, कैसे 10 सालों में शी जिंगपिंग ने चीन में सिविल सोसायटी को कुचल डाला

चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग

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डीएनए हिन्दी: चीन (China) में बोलने, लिखने की आजादी लगभग खत्म सी हो गई है. चीन में धीरे-धीरे सिविल सोसायटी को कुचल दिया गया है. मानवाधिकार कार्यकर्ता चार्ल्स उन दिनों को याद करते हैं जब चीन में सिविल सोसायटी फल-फूल रहा था. वह अपने संगठन के जरिए नौकरियों की तलाश कर रहे लोगों की मदद करते थे. वह बताते हैं कि शी जिंगपिंग (Xi Jinping) के 10 साल के कार्यकाल में गैरसराकरी संस्थाओं को चीन में खत्म कर दिया गया है. यही नहीं उन्हें इस तरह कुचला गया है कि फिर से खड़ा होने की उम्मीदें भी खत्म हो गई हैं.चार्ल्स किसी तरह चीन से भागने में सफल रहे, लेकिन उनके कई मित्र जो सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में चीन में काम करते थे वह जेल की सलाखों के पीछे हैं. सुरक्षा कारणों का बहाना बनाकर 2015 के बाद से सिविल सोसायटियों का दमन शुरू हो गया था.

दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में तीसरा कार्यकाल हालिस करने की कगार पर शी जिंगपिंग खड़े हैं. शी ने अपने एक दशक के कार्यकाल में सिविल सोसायटी, एक उभरता हुआ स्वतंत्र मीडिया और अकादमिक स्वतंत्रता को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है.

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शी जिंगपिंग कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) के कसी भी संभावित खतरे को देखना नहीं चाहते हैं. उन्होंने गैरसरकारी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार के लिए लड़ने वाले वकील को धमकी देना शुरू किया. बाद में उनमें से कई को जेल में डाल दिया गया और कई देश छोड़ने के मजबूर हुए.

एक न्यूज एजेंसी ने ऐसे ही 8 चीनी कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का इंटरव्यू लिया, जो शी के कार्यकाल में चीन में सिविल सोसायटी के पतन का गवाह रहे हैं. उन लोगों ने बताया कि देश की सुरक्षा के नाम पर अधिकारी उनका उत्पीड़न करते थे. उन्हें हर हफ्ते पूछताछ के लिए बुलाते थे. ऐसा मानसिक रूप से पेरशान करने के लिए किया जाता था.

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एलजीबीटी राइट्स के लिए काम करने वाली एक संस्था के कार्यकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि मेरे सहयोगियों से अक्सर 24 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ किया जाता था. बार-बार पूछताछ कर उनको मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की जाती थी. इससे हम धीरे-धीरे कमजोर होते गए. चाहे फाइनैंशल स्थिति हो या फिर व्यक्तिगत स्तर पर.

2015 में चीन में 300 से अधिक वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अरेस्ट किया गया था. जिस अभियान के तहत उन्हें अरेस्ट किया गया उसका नाम था '709 क्रैकडाउन'. 9 जुलाई को यह अभियान लॉन्च किया गया था.

बताया जाता है कि कई वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता सालों सलाखों के  पीछे हैं, जबकि कई को देश निकाला दे दिया गया.

पर्यावरण के काम करने वाले एक एनजीओ के कार्यकर्ता ने बताया कि 2014 तक हम विरोध में बैनर लगा सकते थे. फील्डवर्क कर सकते थे और चीनी मीडिया के साथ मिलकर पर्यावरण के दुरुपयोग को उजागर कर सकते थे. अब हम ऐसा कुछ नहीं कर सकते हैं. हमें अब कुछ भी करना से पहले सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है.

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