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Samarkand: समरकंद का वह इतिहास जिससे भारत का अनचाहा रिश्ता है

समरकंद करीब 3,000 साल पुराना है. यह एक छल, प्रपंच, सत्ता और अधूरे ख्वाबों की एक दुनिया है. पढ़ें कुमार साहिल की रिपोर्ट.

Samarkand: समरकंद का वह इतिहास जिससे भारत का अनचाहा रिश्ता है

समरकंद.

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डीएनए हिंदी: उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) का समरकंद (Samarkand) बेहद ही खूबसूरत शहर है और पुरानी मस्जिदों के लिए भी मशहूर है, इस शहर के बारे में कहा जाता है कि इसे कुदरत ने खुद अपने हाथों से सजाया है. प्राचीन शहर समरकंद के नाम का मतलब होता है पत्थरों का किला. समरकंद इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ये शहर सिल्क रूट पर पड़ता है लेकिन जिस वजह से समरकंद मशहूर है, उसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. 

तैमूरलंग एक खतरनाक योद्धा 

सन 1336 में समरकंद में तैमूरलंग का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. शारीरिक चुनौतियों के बावजूद तैमूरलंग ने उस मुकाम को छुआ जिसे पाना हर योद्धा का सपना होता है. हिन्दुस्तान में कत्लेआम का इतिहास लिखने वाला तैमूरलंग समरकंद का मशहूर शासक रहा, तैमूरलंग ने समरकंद के हिफाजत के लिए 8 किलोमीटर लंबी दीवार बनवाई जिसे दुश्मन पार न पा सके. भारत में कत्लेआम मचाने के बाद तैमूरलंग ने एक भव्य मस्जिद बनवाई. तैमूरलंग ने अपने शासनकाल में मस्जिदों और सड़कों से समरकंद को पाट दिया.

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बाबर और समरकंद 

जिस मुगलिया सल्तनत को दुनिया एक विशेषण से नवाजती है, उस बाबर का समरकंद फतह का सपना अधूरा रह गया. ऐसा नहीं है कि समरकंद फतह करने के लिए बाबर ने लड़ाई नहीं लड़ी और न ही उसके लिए कोई अभियान चलाया बल्कि बाबर का ये मानना था कि समरकंद उसके पूर्वजों का है इसलिए समरकंद पर उसका हक बनता है. और यही वो कसक थी जिसे पूरा करने के लिए बाबर ने तीन बार समरकंद पर चढ़ाई भी लेकिन तीनों बार वो फेल हुआ. जब बाबर ने खुला अभियान समरकंद के शासक के खिलाफ छेड़ा तो उसे फिर उसका खामियाजा चुकाना पड़ा और अपनी बहन से वहां के शासक से निकाह कराना पड़ा तब उसे आजादी मिली.

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मुस्लिम और ईसाइयों के लिए क्यों खास है समरकंद 

समरकंद सिल्क रूट का अहम केंद्र है. समरकंद में कई मशहूर मस्जिदें हैं जिसे मुस्लिम शासकों ने बनाई थी. ऐसा कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद के रिश्ते के भाई इब्न अब्बास की कब्र भी समरकंद में ही है. बाइबल के मुताबिक सेंट डैनियल अपनी जिंदगी के आखिरी वक्त में यहीं पहुंचे थे. 

नायक, खलनायक और आतंक का अमिट नाम 

कहा जाता है कि दौलत लूटने और कत्लेआम के मामले में उसका कोई सानी नहीं था और भारत में जिस तरह से उसने हिंदुओं का नरसंहार किया था वो किसी भयानक सपने से कम नहीं था, चीन फतह करने के सपने से निकला तैमूरलंग रास्ते में दम तोड़ दिया और उसकी कब्र समरकंद में बनाई गई.

 

कहते हैं मरने के बाद भी एक बुरे सपने से तैमूरलंग कम नहीं था, मौत के बाद उसके कब्र को महंगे पत्थरों से सजाया गया, जब नादिरशाह समरकंद पहुंचा तो उसे तैमूरलंग की कब्र बहुत पसंद आई और उसने उसके पत्थर को उठाकर अपने साथ ले गया लेकिन कब्र का पत्थर दो टुकड़ों में टूट गया. नादिरशाह के खराब दिन शुरू हो गए और फिर भयभीत नादिरशाह ने वापस वो पत्थर उसके कब्र पर जाकर रखवा दिया.

सिंकदर से कम नहीं था तैमूरलंग का हौसला

तैमूरलंग के बारे में कहा जाता है कि वो एक पांव से लगड़ा था. कुछ लोग कहते हैं कि उसका एक पांव छोटा था तो कुछ कहते हैं कि उसने अपना एक पांव युद्ध के अभियान में चोटिल कर चुका था, जिससे वह लंगड़ा कर चलता था. वहां के लोग उसे तैमूर लंग कहते थे लेकिन उसके हौसले सिकंदर महान से कम नहीं थे. समरकंद का तैमूरलंग किसी राजघराने से नहीं था बल्कि वह मैदान और पहाड़ों से भेड़ों की चोरी करता था.

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