Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन वॉर का आज 100 वां दिन, जानिए किसने क्या खोया और क्या पाया

Russia-Ukraine War: यूक्रेन के कई बड़े शहर युद्ध में पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. लाखों लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है.

Latest News
Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन वॉर का आज 100 वां दिन, जानिए किसने क्या खोया और क्या पाया

What does Russia want after the attack on Ukraine What are the ways for Ukraine after the swift attacks 

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदीः आज यानि शुक्रवार को शुक्रवार को यूक्रेन (Ukraine) में व्लादिमीर पुतिन (vladimir putin) के युद्ध का 100वां दिन है. इस तरह रूसी राष्ट्रपति का 'विशेष सैन्य अभियान' एक खूनी युद्ध के रूप में विकसित हुआ. जैसे ही युद्ध का 100वां दिन नजदीक आ रहा था, यूक्रेन की सेनाएं पूर्व में खुद को दबाव में देख रही थी. रूस (Russia) ने अपने अगले रणनीतिक लक्ष्य के रूप में Sievierodonetsk की पहचान की है और शहर को घेरने के लिए संघर्ष कर रहा है. यह स्पष्ट नहीं है कि यूक्रेनी पक्ष कब तक संपर्क बनाए रख  सकेगा. 

क्यों शुरू हुआ रूस - यूक्रेन युद्ध?
पुतिन को 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद से रूस की शक्ति और प्रभाव के नुकसान से गहरी शिकायत है. यूक्रेन पहले सोवियत संघ का हिस्सा था, लेकिन 1991 में उसने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की. आज से ठीक 100 दिन पहले यानी 24 फरवरी को रूस-यूक्रेन में तनाव NATO मेम्बरशिप को लेकर शुरू हुआ और तनाव इतना बढ़ गया की रूस के  राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने युद्ध की घोषणा कर दी. वो दिन था और आज का दिन है जिस यूक्रेन को लोग जानते थे, जिसकी चकाचौंध से लोग खुश हो जाते थे आज महज एक खंडर बन के रह गया है. 

ये भी पढ़ेंः Pakistan Inflation: पेट्रोल-डीजल का दोहरा शतक, खाने-पीने की चीजों के दाम छू रहे आसमान

क्या आक्रमण रूस के क्रीमिया पर कब्जा करने से जुड़ा है? 
रूस ने अवैध रूप से क्रीमिया पर कब्जा करके जवाब दिया. यह यूक्रेन का वह हिस्सा था, जो Black sea पर रूसी सीमा के पास है. सोवियत संघ के टूटने के समय क्रीमिया यूक्रेन का एकमात्र हिस्सा था, जिसमें रूसियों का बहुत ही मामूली बहुमत था और  55 प्रतिशत आबादी ने यूक्रेन की स्वतंत्रता के लिए मतदान किया.  रूस ने यूक्रेन के पूर्व में Donetsk और Luhansk में बड़े पैमाने पर रूसी समर्थकों ने अलगाववादियों के समर्थन में सैन्यकर्मियों, भाड़े के सैनिकों और अन्य संसाधनों की आपूर्ति की. Donbass में 2014 से अब तक की लड़ाई में यूक्रेन के 14,000 से अधिक लोग मारे गए हैं.

क्या Black sea पर कब्ज़ा पाते ही पुतिन जंग को रोक देंगे?
Black sea अर्थात काला सागर जो दुनिया का सबसे छोटा समुद्र है और यूरोप - एशिया के बिच में है , रूस की Geo Economic Strategy का एक ज़रूरी हिस्सा माना जाता है. रूस के तेल और गैस पर निर्भर यूरोपियन देशों का व्यापर का स्रोत है. इसके अलावा Black Sea में रूस का Sevastopol का बंदरगाह भी है जो की रूस की एक सबसे महत्वपूर्ण Military establishment भी है और इसी Black Sea से रूस , यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है जहां रूस का Warship Moskva भी यूक्रेन द्वारा डुबाया गया था. कुल मिलकर कहा जा सकता है की यूक्रेन अगर NATO में शामिल होता है तो Mariupol और Kherson इलाके में कब्ज़ा जमाकर रूस इसको कुछ हद तक बफर ज़ोन बना कर रख सकता है और हो सकता है की इस बाद युद्ध भी समाप्त हो जाए. 

ये भी पढ़ेंः Joe Biden के बेटे को है पॉर्न एडिक्शन, रिकॉर्ड किया था सेक्स और 'डैड' को भी भेजा 

युद्ध में किसने क्या पाया और किसने क्या खोया 
यूक्रेन में पिछले 100 दिन से जंग जारी है और न तो रूस पीछे हटना के तैयार है और न ही यूक्रेन. इस युद्ध में यूक्रेन की मदद में अमेरिका और यूरोपियन यूनियन सामने आए हैं जिनके द्वारा भेजे गए हथियार और पैसों की मदद से यूक्रेन, रूस के खिलाफ इस जंग को आज भी लड़े जा रहा है. अगर खोने की बात करें तो यूक्रेन ने इन 100 दिनों में अपने सबसे खूबसूरत और बड़े शहरों को खो दिया जो यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में जान डालती थी लेकिन यूक्रेन हार नहीं माना क्यूंकि उसको कई बड़े देशों से मदद मिलती रही और हथियारों का ज़खीरा पश्चिमी सीमा के ज़रिये उन तक पहुंचे जा रही थी. कई देशों के तो राष्ट्राध्यक्ष खुद यूक्रेन की ज़मींन पर उतर गए जैसे की ब्रिटेन के PM Boris Johnson जिन्होंने यूक्रेन को नए पैकेज देने का एलान कर दिया.  इतने दिन की लड़ाई के बाद भी पुतिन जंग नहीं जीत पाया है और इस जंग में रूस ने अपने कई सैनिक तो खोए ही साथ में अपने warship Moskva को भी खो दिया. इतना ही नहीं रूस को सबसे बड़ा झटका आर्थिक रूप में मिला जब एक एक कर के नामी कंपनियों ने रूस से अपने हाथ खिंच लिए -जैसे की Mc Donalds, Pepsico, Shell, Apple, Nike इत्यादि. अगर बैंक की बात करें तो American Express, Deutsch Bank, Bank Of America इत्यादि जैसे नामचीन बैंकों ने भी अपने operations को रोक दिया जिससे रूस को आर्थिक तौर पर बहुत बड़ा धक्का भी लगा. 

कितने लोगों की हुई मौत और कितनो ने यूक्रेन देश को छोड़ा?
यूक्रेन हर दिन 60 से 100 सैनिकों को खो रहा है, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने मंगलवार को प्रसारित एक साक्षात्कार में न्यूज़मैक्स को बताया. यूक्रेन का दावा है की रूस लगभग अपने  28,000 से ज़्यादा सैनिकों को खो चुकी है. UN के मुताबिक 14 million लोगों ने अपना घर छोड़ दिया जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला है. 6 मिलियन से ज़्यादा लोग पड़ोसी मुल्क में पलायन करने को मजबूर, तो वहीं 8 मिलियन लोग यूक्रेन में ही इधर उधर फ़ैल गए हैं. रूसी हमले के बाद से करीब 7061 सिविलियन्स हताहत हुए जिनमें से 3381 लोग मारे गए और 3680 घायल हुए लेकिन वास्तविक आंकड़े इससे ऊपर जा सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः जेलेंस्की का दावा, 'हमारा 20% क्षेत्र रूस के पास, मॉस्को ले गया 2 लाख यूक्रेनी बच्चे'  

युद्ध के चलते क्या-क्या नुकसान झेलना पड़ा?
मई 2014 के बाद से अप्रैल 2022 में सालाना महंगाई दर सबसे अधिक देखी गई जो 7.8 फीसदी पहुंच गई. वहीं खाद्य महंगाई दर लगातार सातवे महीने 8.4 फीसदी हो गई. 31 मई को वनस्पति तेल की कीमत पिछले साल के मुकाबले 26.6 फीसदी पहुंच गई और गेहूं की कीमत में 14.3 फीसदी उछाल देखा गया. युद्ध के बाद से भारतीय रूपए में 4 फीसदी की गिरावट भी देखी गई. The International Monetary Fund (IMF) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास के अनुमान को 80 basis points से घटाकर 8.2 फीसदी कर दिया था. यह चेतावनी देते हुए कि चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध लंबे समय में खपत को नुकसान पहुंचाएंगे और मुद्रास्फीति में वृद्धि के रूप में विकास भी होगा. न केवल भारत बल्कि 50 के करीब दूसरे देशों को खाद्य संकट से जूझना पड़ रहा है.  

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement