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Russia-Ukraine War: यूक्रेन को हरा क्यों नहीं पा रहा है रूस? जानिए क्या है वजह

Russia Ukraine War Status: लगभग तीन महीने से यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध चल रहा है फिर भी अभी तक कोई परिणाम नहीं निकल पा रहा है.

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Russia-Ukraine War: यूक्रेन को हरा क्यों नहीं पा रहा है रूस? जानिए क्या है वजह

रूस और यूक्रेन के बीच तीन महीने से चल रहा है युद्ध

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डीएनए हिंदी: यूक्रेन और रूस के बीच लगभग तीन महीने से युद्ध (Russia-Ukraine War) चल रहा है. रूस की तुलना में काफी छोटा देश यूक्रेन अभी तक डटकर मुकाबला कर रहा है. वैसे तो यूक्रेन के कई शहर तबाह हो गए हैं, लेकिन यूक्रेन ने हार नहीं मानी है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेन्स्की (Volodymyr Zelensky) ने शुरू में भी कहा था कि वह हार नहीं मानेंगे और आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे.

यूक्रेन की तुलना में रूस ज्यादा बड़ी सैन्य ताकत है. रूस की अर्थव्यवस्था भी यूक्रेन के सामने बहुत बड़ी है. ज्यादा हथियार, ज्यादा सैनिक, मॉडर्न टेक्नॉलजी, हजारों टैंक औ सैकड़ों फाइटर प्लेन होने के बावजूद यूक्रेन के खिलाफ जंग में रूस के पसीने छूट रहे हैं. रूस ने अंदाजा लगाया था कि वह यूक्रेन पर हमला करके 8-10 दिन में जीत लेगा, लेकिन रूस का यह दांव उल्टा पड़ रहा है.

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प्रतिबंधों से परेशान हुआ रूस
यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस पर तमाम प्रतिबंध लगाए गए. यूरोपीय देशों और अमेरिका ने भी कई तरह के आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाकर रूस पर दबाव बनाने की कोशिश की. रूस ने उस वक्त तो कड़ा रुख अपनाया लेकिन अब धीरे-धीरे उसकी हालत पतली हो रही है.

रूस में आयात कई गुना कम हो गया है. इसकी वजह से आम ज़रूरत की कई चीजों के लिए समस्या हो रही है. इसका सामना आम नागरिकों से लेकर रूसी सेना तक को भी करना पड़ रहा है. बंदरगाह बंद होने और रूसी जहाजों पर प्रतिबंध लगाए जाने से पश्चिमी देशों से बेहद कम सप्लाई आ रही है. रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ने के साथ-साथ आर्थिक युद्ध भी लड़ना पड़ रहा है.

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सैकड़ों देश कर रहे हैं यूक्रेन की मदद
यूक्रेन-रूस का युद्ध शुरू होने के बाद खबरें आई थीं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेन्स्की को मारने की कोशिश की जा रही है. इसके बाद अमेरिका ने जेलेन्स्की को सुरक्षित बाहर निकालने की पेशकश की थी. जेलेन्स्की ने उस वक्त कहा था कि उन्हें भागने का रास्ता नहीं हथियार चाहिए. जेलेन्स्की की इस मांग के बाद कई देश सामने आए.

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वोलोदिमीर जेलेन्स्की की मांग का असर ही है कि 31 देश यूक्रेन को हथियार और मिसाइलों की सप्लाई कर रहे हैं. इसके अलावा 80 से ज्यादा देश ऐसे हैं जो यूक्रेन को अलग-अलग तरीकों से मदद कर रहे हैं. कई देश रूस के खिलाफ इस जंग में यूक्रेन की मदद के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर तमाम चीजों की सप्लाई कर रहे हैं.

हथियारों और गोला-बारूद की नहीं हो रही कमी
यूरोपीय देश और अमेरिका पूरी तरह से यूक्रेन के साथ खड़े हैं. तमाम प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ ये देश यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर रहे हैं. अमेरिका ने 350 मिलियन डॉलर के हथियार दिए हैं तो ब्रिटेन भी लगातार हथियारों की सप्लाई कर रहा है. यूरोपीय यूनियन की ओर से यूक्रेन को 502 मिलियन डॉलर के हथियार उपलब्ध कराए गए हैं.

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इसके अलावा, फ्रांस ने एंटी एयरक्राफ्ट और डिजिटल हथियार दिए हैं. नीदरलैंड ने 200 एयर डिफेंस रॉकेट और 50 ऐंटी टैंक हथियार हैं. जर्मनी ने 1000 ऐंटी टैंक हथियार और जमीन से हवा में मार करने वाली 500 मिसाइलें यूक्रेन को दी हैं.

राष्ट्रपति जेलेन्स्की ही हैं सबसे बड़ी ताकत
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीरी जेलेन्स्की ने जो जज्बा दिखाया है, वही यूक्रेन की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है. जेलेन्स्की ने शुरू से ही यह स्पष्ट रखा है कि यूक्रेन कभी सिर नहीं झुकाएगा. उन्होंने सेना के साथ उतरकर जंग में सैनिकों का हौसला बढ़ाया है.

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जंग के मैदान से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी जेलेन्स्की ने यूक्रेन का पक्ष मजबूती से रखा है. कई मंचों पर उन्होंने रूस की जमकर आलोचना की और यूक्रेन के लिए समर्थन मांगा. जेलेन्स्की के हौसले को देखते हुए कई और देश भी अब NATO की सदस्यता के लिए आगे बढ़ रहे हैं और खुलेआम रूस का विरोध कर रहे हैं.

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