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Gujarat Elections: सियासत की पिच पर रिवाबा जडेजा को झेलने होंगे कई 'बाउंसर'

Gujarat Elections: जामनगर नॉर्थ की सीट से रिवाबा जडेजा को टिकट देकर BJP ने पहले से ही दो बार विधायक के तौर पर जीते धर्मेंद्र सिंह को नाराज कर दिया है.

Gujarat Elections: सियासत की पिच पर रिवाबा जडेजा को झेलने होंगे कई 'बाउंसर'

Rivaba Jadeja

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डीएनए हिंदी: Gujarat Elections: गुजरात के जामनगर का जामनगर उत्तर विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला बिल्कुल रोचक हो गया है. इस विधानसभा सीट का निर्माण 10 साल पहले साल 2012 में हुआ था. धर्मेंद्र सिंह जाडेजा कांग्रेस के टिकट पर इस विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर आए थे लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव से पहले धर्मेंद्र सिंह जाडेजा बीजेपी में शामिल हो गए और 2017 में वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर फिर से विधानसभा पहुंचे जहां उन्हें सरकार में मंत्री बनाया गया. इस बार धर्मेंद्र सिंह जाडेजा का टिकट काटकर क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को टिकट दिया गया है.

जाहिर है पार्टी के इस फैसले से धर्मेंद्र सिंह जाडेजा नाराज हुए होंगे. हालांकि, उनकी तरफ से नाराजगी की कोई बात सामने नहीं आई वहीं कांग्रेस ने बिपेंद्र जाडेजा को विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. इसी सीट पर कांग्रेस के टिकट से रविंद्र जडेजा की बहन चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट ना देकर बिपेंद्र जाडेजा को अपना उम्मीदवार बनाया.

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ये विधानसभा सीट बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. चूंकि रविंद्र जडेजा की पत्नी को टिकट देकर पहले से ही दो बार विधायक के तौर पर जीते धर्मेंद्र सिंह को नाराज़ कर दिया है. जिसके चलते रिवाबा के लिए ये चुनौती भरा हो सकता है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी से जुड़े कर्षण करमूर ने टिकट ना मिलने की वजह से आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया और जामनगर उत्तर सीट से चुनावी मैदान में उतर गए है. 

बीजेपी के टिकट से कई बार पार्षद चुने गए कर्षन जामनगर में डिप्टी मेयर के पद पर भी कार्यरत रहे हैं. ऐसे में उनकी अपनी एक पहचान है. कर्षण का मानना है कि रिवाबा उनके लिए कोई चुनौती नहीं है क्योंकि रिवाबा ने यहां पर कोई काम नहीं किया है साथ ही उन्हें उम्मीद है टिकट कटने से नाराज धर्मेंद्र सिंह उनकी मदद करेंगे. वही कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बिपेंद्र सिंह जडेजा का कहना है कि रिवाबा को चुनावी समीकरण नहीं पता और जब तक वो इन सब चीजों को समझेंगे तब तक चुनाव बीत जाएगा. ऐसे में वह कोई चुनौती नहीं है, वहीं आम आदमी पार्टी को लेकर कांग्रेस का मानना है कि वह सिर्फ एक वोट कटवा पार्टी है जिसे बीजेपी ने प्लांट किया है.

ट्रैफिक और ड्रेनेज सिस्टम की समस्या बन सकता है मुद्दा

इस विधानसभा सीट पर प्रमुख मुद्दा है शहर के अंदर ट्रैफिक यहां पर रिंग रोड बनाने की मांग काफी समय से है. ताकि ट्रैफिक की समस्या से निजात मिल सके. साथ ही ड्रेनेज सिस्टम की समस्या भी गंभीर है. इसके अलावा पीने के पानी की सप्लाई कॉरपोरेशन की तरफ से रोजाना नहीं होती है. कांग्रेस का आरोप है कि 1 दिन छोड़कर दूसरे दिन पानी सप्लाई की जाती है, जबकि करीब 25 सालों से जामनगर कॉरपोरेशन पर बीजेपी का ही कब्जा है.

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क्या होगा वोटों का समीकरण?

आपको बता दें की जामनगर उत्तर विधानसभा सीट में करीब 2 लाख 60 हजार वोटर हैं, जिनमें से 36 हजार मुस्लिम मतदाता है, जबकि 29000 राजपूत 12000 ब्राह्मण वोटर्स हैं. एससी वोटर्स करीब 18000 है, जबकि 17000 पाटीदार समाज के लोग हैं. इसके अलावा अन्य जाति और धर्मों के वोटर भी हैं जो यहां के चुनावी समीकरण को बदल सकते हैं. 

यह सीट ना तो कांग्रेस और ना ही बीजेपी के लिए कोई पारंपरिक सीट रही है. यानी कि किसी एक पार्टी का वर्चस्व अभी तक इस सीट पर नहीं रहा है. इस सीट के बनने के बाद से धर्मेंद्र सिंह जाडेजा ही चुनाव जीतते आए हैं, लेकिन इस बार उनका टिकट कट जाने से और आम आदमी पार्टी में बीजेपी के ही पूर्व नेता के शामिल होने से इस सीट पर मुकाबला बेहद रोचक हो गया है. देखना होगा यहां से चुनावी संग्राम में कौन किसे पटखनी देता है.

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