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दफ्तर से सड़क पर आ गया कांग्रेसियों का टकराव, चुनावों में बढ़ेगी मुसीबत

मनीष तिवारी की किताब में मनमोहन सिंह की आलोचना से अधीर रंजन चौधरी भड़क गए हैं जिसके चलते दोनों में ट्विटर वॉर छिड़ गया है. 

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दफ्तर से सड़क पर आ गया कांग्रेसियों का टकराव, चुनावों में बढ़ेगी मुसीबत
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डीएनए हिंदीः कांग्रेस पार्टी  लगातार अपनी आंतरिक कलहों के कारण  लगातार पिछड़ती जा रही है. जब यूपी चुनाव को लेकर भाजपा, सपा, बसपा अपनी चुनावी तैयारियों में व्यस्त हैं. वहीं कांग्रेस के नेता आपस में लड़कर पार्टी की फजीहत कर रहे हैं. इसका हालिया उदाहरण मनीष तिवारी और अधीर रंजन चौधरी के बीच की नोंकझोक है. इस झगड़े की वजह मनीष तिवारी की हालिया किताब है जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की आलोचना की है. 

मनीष तिवारी पर भड़के अधीर

मनीष तिवारी की किताब में मनमोहन सिंह की 26/11 हमले को लेकर आलोचना के संबंध में लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मनीष तिवारी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, "आपने यह मुद्दा तब क्यों नहीं उठाया, जब आप सरकार का हिस्सा था. 26/11 हमलों (मुंबई हमलों) के बजाय तिवारी को चीन पर और भारत की सीमा पर उसकी हालिया गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए." उनका आरोप था कि मनीष तिवारी हालिया मुद्दों पर क्यों नहीं बोलते हैं. 

आक्रामक हो गए मनीष तिवारी

इसको लेकर मनीष तिवारी ने भी अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को घेर लिया है. उन्होने अपने एक ट्वीट में लिखा, "प्रिय अधीर दादा, उम्मीद करता हूं कि माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी को संबोधित ट्वीट के स्क्रीनशॉट आपकी चिंताओं और आलोचना को भी दूर कर देंगे." इसके साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को संबोधित करते हुए अपने ट्वीट के स्क्रीनशॉट लगाए और लिखा, "चीन की लगातार घुसपैठ और उन्हें NDA/BJPसरकार का जवाब मेरी पुस्तक का एक अहम हिस्सा है."  

पार्टी को ही नुकसान

गौरतलब है कि मनीष तिवारी ने अपनी किताब में ये कहा था कि 26/11 हमले के बाद मनमोहन सरकार का रवैया उदासीन था. इसी कारण जनता के मन में उनकी एक नकारात्मक छवि बन गई थी. वहीं भले ही इस मुद्दे पर दोनों नेताओं ने ये दिखाया हो कि दोनों मोदी सरकार पर हमलावर हैं किन्तु इस प्रकरण से इन दोनों के बीच का टकराव एक बार फिर आम जन मानस के बीच ला दिया है. लंबे वक्त से चल रही कांग्रेसी कलह का अब प्रत्येक मुद्दे पर इस तरह से खुलकर बाहर आना पार्टी को पांच राज्यों के चुनाव में भारी पड़ सकता है. 

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