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कंपनी को नुकसान होने पर कैसे कमाती है Hindenburg पैसा? क्या है Short Selling का मतलब?

Gautam Adani के कंपनी के शेयरों में गिरावट आने के बाद Short Selling शब्द बहुत ज्यादा पॉपुलर हुआ है. आइए जानते हैं इसका क्या मतलब होता है.

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कंपनी को नुकसान होने पर कैसे कमाती है Hindenburg पैसा? क्या है Short Selling का मतलब?

गर्दिश में चल रहे हैं गौतम अडानी के सितारे. (फाइल फोटो)

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डीएनए हिंदी: अडानी ग्रुप के मालिक गौतम अडानी (Gautam Adani) के शेयरों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. बता दें कि 24 जनवरी 2023 को Hindenburg ने रिसर्च रिपोर्ट दी थी. इसके बाद से ही अडानी के स्टॉक्स में उथल-पुथल देखने को भी मिल रहा है. लेकिन ऐसे में जो सबसे ज्यादा शब्द सुनाई दे रहा है वह है 'शॉर्ट सेलिंग'. दरअसल अडानी ग्रुप पर प्रश्न उठाने वाली US बेस्ड फर्म हिंडनबर्ग खुद को शॉर्ट सेलर फर्म बताती है. आइए समझते हैं कि Short Selling क्या होती है? 

शॉर्ट सेलिंग किसे कहते हैं?

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (US Firm Hindenburg) ने जनवरी में जारी अपनी रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप (Adani Group) पर अकाउंटिंग हेर-फेर और स्टॉक को गलत तरीके से आगे ले जाने का आरोप लगाया है. इसके अलावा फर्म ने ग्रुप पर बैंकों से लिए गए लोन को लेकर भी चिंता जताई है. इस मामले के बाद अडानी स्टॉक में काफी गिरावट दर्ज की जा रही है.  इस दौरान 'Short Selling' शब्द सबसे ज्यादा पॉपुलर हुआ है. बता दें कि शेयर मार्केट में शॉर्ट सेलिंग कारोबार करने का एक तरीका है. इस दौरान इन्वेस्टर शेयर मार्केट में गिरावट आने पर दांव लगाता है. 

कब खरीदा जाता है शेयर 

कोई भी इन्वेस्टर शेयर मार्केट में तब निवेश करता है जब किसी कंपनी के शेयरों के दाम भविष्य में बढ़ सकते हैं.इस दौरान जिस शेयर में पैसे लगाए हुए रहते हैं उन्हें अगर समय के साथ बेच दिया जाता है तो निवेशक को काफी मुनाफा होता है. इसके उल्टे शॉर्ट ‘सेलिंग’ में शेयर को तब खरीदा और बेचा जाता है जब उन शेयरों के दाम भविष्य में गिरने की संभावना रखते हैं. ऐसे में शॉर्ट सेलर अपने पास स्टॉक ना होते हुए भी इन्हें बेच सकता है. इस तरीके में निवेशक शॉर्ट सेलिंग में कंपनी के शेयर को ख़रीदे बिना ही बेचता है. बता दें कि शॉर्ट सेलिंग वैध है हालांकि इसमें काफी जोखिम है.  

‘Short Selling’ कैसे करते हैं?

उदाहरण के तौर पर कोई भी शॉर्ट सेलर किसी कंपनी के शेयर को इस उम्मीद से खरीदता है कि ख़रीदे गए स्टॉक का दाम 300 रुपये से गिरकर 150 रुपये हो जाएगा. इसी उम्मीद में शॉर्ट सेलर दूसरे ब्रोकर से कंपनी के शेयर उधार ले लेता है. अब इसके बाद बाद शॉर्ट सेलर उधार लिए गए शेयरों को दूसरे निवेशक के पास बेच देता है जो इसे 300 रुपये के भाव पर खरीदने के लिए बैठे रहते हैं.

हिंडनबर्ग ने 16 कंपनियों को लेकर रिपोर्ट जारी की

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को लेकर भी ऐसा ही दावा पेश किया है. फर्म ने कहा कि अडानी, Twitter Inc. जैसी कंपनियां ऐसा करके करोड़ों रुपये कमाती हैं.

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