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1.3 लाख करोड़ रुपये गंवाकर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा Loser IPO बना LIC

17 मई के बाद एलआईसी के शेयर में 29 फीसदी की गिरावट आ चुकी है, जबकि मार्केट कैप 1.3 लाख करोड़ रुपए गिर गया है.

1.3 लाख करोड़ रुपये गंवाकर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा Loser IPO बना LIC
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डीएनए हिंदी: करीब तीन साल पहले जिस आईपीओ (IPO) को भारत का अरामको माना जा रहा था, वो साल 2022 में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा लूजर आईपीओ बन गया है. यह और कोई नहीं बल्कि देश का सबसे बड़ा आईपीओ एलआईसी (LIC IPO) है। इस शेयर को बाजार (Share Market) में लिस्ट हुए एक महीना भी नहीं बीता है, जबकि निवेशकों को 1.3 लाख करोड़ रुपये यानी 17 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है. 17 मई के बाद से इस शेयर (LIC Share) में 29 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. 

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा लूजर
ब्लूमबर्ग की रिपार्ट के अनुसार लिस्टिंग के बाद एलआईसी के शेयर में 29 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ लिस्टिंग के बाद से मार्केट कैप के नुकसान के मामले में दूसरे स्थान पर है. पहले पायदान पर दक्षिण कोरिया की एलजी एनर्जी सॉल्यूशन लिमिटेड है, जिसने शुरुआती स्पाइक के बाद अपने शेयर की कीमत में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी है. 

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इसलिए गिर रहे हैं एलआईसी के शेयर 
लिस्टिंग के लगभग एक महीने बाद, एलआईसी का 2.7 बिलियन डॉलर का आईपीओ इस साल एशिया के सबसे बड़े नए स्टॉक फ्लॉप में से एक बन गया है. वास्तव में बढ़ती ब्याज दरों और महंगाई ने ग्लोबल लेवल पर शेयर बिक्री की मांग को प्रभावित किया है और भारत के शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की ओर से भारी बिकवाली के कारण दबाव का सामना करना पड़ रहा है. बेंचमार्क एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स इस साल 9 फीसदी से ज्यादा नीचे आ चुका है. 

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सोमवार को कितनी आई गिरावट 
शुक्रवार को समाप्त हुए एंकर निवेशकों के लिए अनिवार्य लॉक-इन पीरियड के बाद एलआईसी के शेयर लगातार 10 वें सेशन में गिर रहे हैं. जो सोमवार को 5.6 फीसदी तक फिसला. जिसकी वजह से भारत सरकार के माथे पर बल पड़ गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन "इन सभी पहलुओं पर गौर करेगा और शेयरधारकों के मूल्य को बढ़ाएगा."

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अरामको से की गई थी तुलना 
एलआईसी के लंबे समय से विलंबित आईपीओ को 2019 में गल्फ ऑयल की दिग्गज कंपनी सऊदी अरब ऑयल कंपनी की 29.4 बिलियन डॉलर की लिस्टिंग के संदर्भ में भारत का "अरामको मोमेंट" करार दिया गया था. यह देश के पूंजी बाजारों का विस्तार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं का हिस्सा था. शेयर बिक्री, जिसे लगभग तीन गुना अधिक सब्सक्राइब किया गया था, का उद्देश्य महामारी के दौरान खर्च बढ़ने के बाद सरकार के बजट घाटे को कम करना था.

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