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RBI MPC Meeting: प्री कोविड लेवल पर लौटेंगी आरबीआई की नीतिगत दरें, यहां जानें पहले दिन की प्रमुख बातें 

RBI MPC Meeting: बुधवार की सर्वे रिपोर्ट में 27 अर्थशास्त्रियों में से 13 का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति रेपो दरों में 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर सकता है. जो कि अगस्त 2019 में अंतिम बार देखा गया था.

RBI MPC Meeting: प्री कोविड लेवल पर लौट��ेंगी आरबीआई की नीतिगत दरें, यहां जानें पहले दिन की प्रमुख बातें 

RBI governor shaktikanta das

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डीएनए हिंदी: भारत के केंद्रीय बैंक (Reserve Bank of India) से शुक्रवार को अपनी मुख्य नीतिगत दरों (RBI Repo Rate) में फिर से इजाफा करता हुआ दिखाई दे सकता है. रेपो रेट यह बढ़ोतरी (Repo Rate Hike) 50 आधार अंक हो सकती है. ताकि महंगाई को रोकने और रुपये पर दबाव को कम किया जा सके. बुधवार की सर्वे रिपोर्ट में 27 अर्थशास्त्रियों में से 13 का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC Meeting) रेपो दरों में 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर सकता है. जो कि अगस्त 2019 में अंतिम बार देखा गया था. एक अर्थशास्त्री ने 40 आधार अंक बढ़ाने की भविष्यवाणी की है. 9 इकोनॉमिस्ट ने 35 आधार अंकों की उम्मीद लगाई हुई है. आपको बता दें कि आरबीआई ने अप्रैल में 40 आधार अंक और मई में 50 आधार अंक का इजाफा किया था. जिसके बाद रेपो दर 4.90 फीसदी हो गई थी. 

महंगाई का अनुमान 
अगर बात महंगाई की करें तो वर्ष की शुरुआत से आरबीआई के 6 फीसदी के टारगेट लिमिट से ऊपर रही है, गिरती कमोडिटी की कीमतें केंद्रीय बैंक को यह सुझाव देने के लिए कुछ गुंजाइश प्रदान कर सकती हैं कि दबाव कम हो रहा है. क्वांटम एसेट मैनेजमेंट कंपनी के फिक्स्ड-इनकम फंड मैनेजर पंकज पाठक के अनुसार हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई की टिप्पणी इस बात को स्वीकार कर लेगी कि महंगाई के जोखिम कम हो रहे हैं. डीबीएस बैंक लिमिटेड की एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति अपने चरम पर हो सकती है. उन्होंने कहा, स्थिर-से-कमजोर कमोडिटी की कीमतें, एक तेजतर्रार केंद्रीय बैंक के अलावा, मुद्रास्फीति की उम्मीदों पर भी लाभकारी प्रभाव पडऩे की संभावना है. फिर भी, राव को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के लिए आरबीआई की मुद्रास्फीति और विकास अनुमान क्रमश: 6.7 फीसदी और 7.2 फीसदी पर अपरिवर्तित रहेगी. भारत के चावल उत्पादक क्षेत्रों में वर्षा की कमी अनाज के उत्पादन में कटौती कर सकती है और आरबीआई की महंगाई लड़ाई और ज्यादा मुश्किल हो सकती है. 

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हाईक पाथ 
चडीएफसी बैंक लिमिटेड के अर्थशास्त्री अभीक बरुआ के अनुसार आरबीआई से आगामी नीति में दरों में बढ़ोतरी की फ्रंट-लोडिंग जारी रखने की उम्मीद है. वहीं बार्कलेज पीएलसी अब नीति दर को सितंबर तक 5.50 फीसदी तक बढऩे के लिए देखता है, जो कि 2023 के मध्य के पूर्व पूर्वानुमान से था. क्वांटम एसेट के पाठक ने कहा, बॉन्ड बाजार के नजरिए से, इसमें से अधिकांश की कीमत पहले से ही है. बेंचमार्क 10-वर्षीय बॉन्ड ने इस साल जुलाई में अपने पहले मासिक लाभ को सीमित कर दिया और नीति समीक्षा में रैली का विस्तार कर रहे हैं. यील्ड लगभग जून में देखे गए 7.6 फीसदी के तीन साल के उच्च स्तर से 40 आधार अंक नीचे है.

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रुपया, लिक्विडिटी 
रुपया हाल के महीनों में कई सालों के निचले स्तर पर आ गया है, जुलाई में 80 डॉलर से नीचे गिरकर, विदेशी फंड प्रवाह लौटने के संकेतों के बीच इसने वापस खींच लिया है. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री प्रसन्ना अनंतसुब्रमण्यम ने कहा कि आरबीआई को यूएस के साथ ब्याज दर के अंतर पर नजर रखनी चाहिए ताकि रुपये पर सट्टा दबाव के किसी भी निर्माण पर अंकुश लगाया जा सके. उन्होंने एक नोट में लिखा है कि अगर आरबीआई और एमपीसी ने नरम रुख अपनाया, तो रुपये में तेज गिरावट का जोखिम और बढ़ जाएगा. बाजार आरबीआई से यह आश्वासन भी मांगेंगे कि पर्याप्त तरलता है और केंद्रीय बैंक किसी भी तंगी को दूर करने के उपायों को लागू करने के लिए तैयार है.

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