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EPFO Rules: अगर कंपनी EPF अकाउंट में समय से नहीं करती है योगदान तो क्या कर्मचारी को ब्याज लाभ मिलेगा

EPFO Update: अगर आपका PF खाता है और उसमें आप और नियोक्ता योगदान करते हैं तो यह खबर आपके लिए है.

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EPFO Rules: अगर कंपनी EPF अकाउंट में समय से नहीं करती है योगदान तो क्या कर्मचारी को ब्याज लाभ मिलेगा

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डीएनए हिंदी: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) भारत में नियोजित व्यक्तियों के पीएफ खाते में किए गए योगदान के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है. इस खाते में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान करते हैं. ईपीएफओ सिर्फ उन्हीं खातों में ब्याज ट्रांसफर करता है, जिनमें समय पर ईपीएफ (EPF) योगदान किया गया है. फरवरी 2022 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया था कि यदि कोई कंपनी किसी कर्मचारी के पीएफ खाते में समय पर धन हस्तांतरित करने में विफल रहती है, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारी को ब्याज का नुकसान होता है, तो कंपनी को उसकी भरपाई करनी होगी.

कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम की धारा 14B और 7Q के मुताबिक, एक कंपनी को अपने EPFO खाते में देरी से योगदान के कारण कर्मचारी को हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी. मुआवजे की राशि इस बात पर निर्भर करेगी कि योगदान कितनी देर से किया गया और यह योगदान के 100 प्रतिशत तक हो सकता है.

कंपनी को यह जुर्माना कर्मचारी के खाते में एरियर के रूप में जमा करना होगा और बकाया राशि पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा. 2 महीने तक की देरी के लिए 5 प्रतिशत, 2-4 महीने की देरी के लिए 10 प्रतिशत, 4-6 महीने की देरी के लिए 15 प्रतिशत और 6 महीने से अधिक की देरी के लिए 25 प्रतिशत जुर्माना राशि देना होगा.

कर्मचारी के वेतन का एक हिस्सा, उनके बेसिक सैलरी के 12 प्रतिशत के बराबर, पीएफ खाते में जमा किया जाता है, और नियोक्ता इस योगदान के बराबर खाते में निवेश करता है. नियोक्ता के अंशदान में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना (Employees' Pension Scheme) में जमा होता है, जबकि शेष 3.67 प्रतिशत EPFO खाते में जमा होता है. पीएफ खाते में जमा पैसे को मेडिकल इमरजेंसी, बच्चे की शादी या घर के निर्माण जैसी आपात स्थिति में निकाला जा सकता है. कुल जमा राशि को सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त राशि के रूप में निकाला जा सकता है.

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