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Budget 2024: सरकार ने कम कर दिया राजकोषीय घाटा, जानिए ये इकोनॉमी के लिए अच्छा या बुरा

Budget 2024: केंद्र सरकार ने बजट पेश करते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए अपने राजकोषीय घाटे का टारगेट घटाकर जीडीपी का 4.9 प्रतिशत कर दिया है. इसे अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव संकेत माना जा रहा है.

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Budget 2024: केंद्र सरकार ने मंगलवार को 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट लोकसभा में पेश किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में राजकोषीय घाटे का टारगेट घटाकर 4.9% कर दिया है, जो फरवरी के अंतरिम बजट में 5.1% रहने का अनुमान लगाया गया था. राजकोषीय घाटे के कम होने का मतलब है कि सरकार की कमाई बढ़ने जा रही है. इसे अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव संकेत माना जा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे एक्सपोर्ट बढ़ने और इंपोर्ट में कमी आने की संभावना है, जिससे सरकार के खजाने में विदेशी मुद्रा की बढ़ोतरी होगी और अर्थव्यवस्था पहले से मजबूत होगी.


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16.14 लाख करोड़ रुपये रहेगा राजकोषीय घाटा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा,' वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान कर्ज के अलावा सरकार की कुल कमाई 32.07 लाख करोड़ रुपये और कुल खर्च 48.21 लाख करोड़ रुपये कहना का अनुमान है. शुद्ध कर प्राप्तियां 25.83 लाख करोड़ रुपये रह सकती हैं. इस हिसाब से चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा फरवरी में अनुमानित 16.85 लाख करोड़ रुपये के बजाय 16.14 लाख करोड़ रुपये रह सकता है, जो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 4.9 फीसदी होगा.' 


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'अगले साल और नीचे लाएंगे घाटा'

सीतारमण ने कहा,' सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष का टारगेट भी तय कर लिया है. वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान राजकोषीय घाटे को घटाकर 4.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य तय किया गया है. वित्त वर्ष 2026-27 के बाद हमारी कोशिश राजकोषीय घाटे को इसी स्तर पर बनाए रखने की होगी. इससे केंद्र सरकार का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले कम होता रहगा.'


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अपना कर्ज भी घटाएगी सरकार

वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए अपना कुल बाजार कर्ज घटाने का लक्ष्य भी तय किया है. इस कर्ज में करीब 12,000 करोड़ रुपये की कटौती करने का लक्ष्य रखा गया है. बता दें कि राजकोषीय घाटा सरकार की कमाई और खर्च के बीच का अंतर होता है, जिसे पूरा करने के लिए सरकार को नया कर्ज लेना पड़ता है. सरकार की सकल बाजार उधारी फरवरी में 14.13 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी, जिसे घटाकर अब 14.01 लाख करोड़ कर दिया गया है. हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सरकार की सकल उधारी 15.43 लाख करोड़ रुपये रही थी, जो अब तक की सर्वाधिक है.

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