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विदेशों में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगने से दाम हुआ धड़ाम, कारोबारियों का हुआ बड़ा नुकसान

सरकार ने हाल ही में गैर-बासमती के निर्यात पर रोक लगा दी है. इससे कारोबारियों को काफी परेशानी हो रही है. बता दें कि आज के टाइम में कारोबारियों का पेमेंट रुका हुआ है.

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Non Basmati Rice
 

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डीएनए हिंदी: कुछ दिनों पहले चावल के महंगा होने से सरकार के द्वारा गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाया गया था. इससे कारोबारियों की परेशानियां बढ़ गई है. इस वजह से बहुत से कारोबारी जो विदेशों में चावल का निर्यात करते थे उनका पेमेंट रूक गया है. लेकिन सरकार के इस फैसले से भारत में चावल के रेट भी गिर गए है. हालांकि, कई कारोबारियों का मानना है कि कुछ समय बाद फिर से गैर-बासमती चावल की कीमत बढ़ सकता है.

दिल्ली ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के सेक्रेटरी सचिन शर्मा ने कारोबारियों की परेशानियों को देखते हुए बताया कि भारत में गैर-बासमती की कुल पैदावार का लगभग 40 प्रतिशत चावल विदेशों में निर्यात किया जाता है. दरअसल, दिल्ली में ऐसे बहुत से व्यापारी हैं जो गैर-बासमती चावल को यूएसए, कनाडा सहित बहुत से देशों में सप्लाई करते हैं. इसके लिए व्यापारी विदेशी ग्राहकों से अडवांस में ही चावल सप्लाई करने की बुकिंग ले लेते हैं. लेकिन सरकार के द्वारा अचानक लगाए गए इस प्रतिबंध के कारण सप्लाई रोक दिया गया है. इस वजह से विदेशी व्यापारी चावल के सप्लाई के बिना कारोबारियों का पुराना पेमेंट भी नहीं कर रहे हैं. इससे भारत के व्यापारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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एक चावल व्यापारी सुरेंद्र गर्ग का कहना है कि सरकार के द्वारा गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से भारत में चावल के कीमतों में कमी को देखा जा सकता है. बता दें कि सभी तरह के चावल में मिनिमम दो से तीन रुपये की कमी आई है.  इसके साथ ही उन्होंने ये भी संभावना जताई है कि आने वाले समय में फिर से चावल के रेट में तेजी देखी जा सकेगी. 

भारत में ही लगभग 60% नॉन बासमाती चावल की खपत 

चावल कारोबारियों के मुताबिक, गैर- बासमती चावल एक मोटा अनाज है और इसकी बहुत सी वैरायटी होती हैं, जैसे कि परमल चावल, सोना मसूरी और गोविंद भोग चावल इन सब में मुख्य हैं. इसके अलावा बात करें गोविंद भोग चावल कि तो ये बासमती  से भी महंगा है. इसके साथ ही गैर-बासमती चावल की कुल पैदावार का लगभग 60 प्रतिशत देश में ही खपत किया जाता है.

इस बार नहीं मिलेगी उचित मूल्य

सचिन शर्मा ने बताया कि बीते साल सरकार के द्वारा गैर-बासमती चावल खूब खरीदा गया था. इसके लिए चावल व्यापारियों को चावल का उचित मूल्य भी मिला था. इसी को ध्यान में रख कर किसानों ने इस बार चावल की खूब पैदावार की. लेकिन सरकार के द्वारा अचानक गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाने से किसानों को इस बार उनकी चावल की फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा है. किसानों के मुताबिक, सरकार को ऐसे फैसले लेते समय व्यापारियों से जरूर चर्चा करनी चाहिए.

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