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लू के थपेड़ों से बचाने वाले Rooh Afza के प्रोडक्शन में क्यों आई थी कमी, क्या थी वजह?

Rooh Afza ड्रिंक गर्मियों में ज्यादातर घरों में पीने को मिल जाता है. आइए जानते हैं चांदनी चौक में बना ये ड्रिंक कैसे हर घर में पहुंचा?

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लू के थपेड़ों से बचाने वाले Rooh Afza के प्रोडक्शन में क्यों आई थी कमी, क्या थी वजह?

Rooh Afza

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डीएनए हिंदी: गर्मी का मौसम आटे ही सबकी जुबान पर बस रूह अफज़ा (Rooh Afza) का ही नाम होता है. बहुत से लोगों के पास रूह अफज़ा और उसके गुलाबी स्वाद से जुड़ी गर्मियों की बचपन की यादें हैं. लेकिन यह सिर्फ 90 के दशक के बच्चों की याद में ही नहीं है बल्कि इसकी कहानी तो आजादी मिलने से पहले से ही शुरू हुई थी. रूह अफज़ा, जो अब 116 साल का हो चुका है, 1907 में यूनानी चिकित्सा के विशेषज्ञ हकीम अब्दुल मजीद द्वारा शुरू किया गया था. जानकारी के मुताबिक उन्होंने पुरानी दिल्ली में अपने चिकित्सा कक्ष में एक स्पेशल ड्रिंक तैयार किया और इसे रूह अफज़ा (Rooh Afza) नाम दिया. यह शर्बत लोगों को चिलचिलाती गर्मी से होने वाले हिट स्ट्रोक से बचाता है.

कैसे बना की कहानी कैसे शुरू हुई?

हकीम अब्दुल मजीद (Hakim Abdul Majeed) यूनानी दवाओं के एक्सपर्ट थे और जब रूह अफजा बनाया गया तो वह लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाने के लिए ड्रिंक तैयार कर रहे थे. हकीम अब्दुल मजीद ने कई ग्रीक और देसी चीजों से इस ड्रिंक को तैयार किया. रूह अफजा को बनाने में कई यूनानी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया था. इस ड्रिंक में चिक्सर, अंगूर, संतरा, तरबूज, गुलाब और केवड़ा समेत कई चीजों का इस्तेमाल किया गया है. 

शुरूआती दौर में रूह अफजा (Rooh Afza) डिस्पेंसरी में मिलता था और लोग उसे बर्तनों में जाकर खरीदते थे. रूह अफ़ज़ा का लोगो 1910 में डिज़ाइन किया गया था. हालांकि हकीम अब्दुल मजीद की मृत्यु के बाद, उनके बेटों अब्दुल हमीन और मोहम्मद सईद ने कंपनी की कमान संभाली.

या सिर्फ ड्रिंक नहीं है, रूह अफजा ने अपने सफर में भारत का बंटवारा और पाकिस्तान का बनना भी देखा है. जबकि हकीम अब्दुल मजीद के बड़े बेटे ने भारत में रहने का फैसला किया वहीं उसका छोटा भाई मोहम्मद सईद पाकिस्तान चला गया. रूह अफज़ा की एक और फ़ैक्टरी शुरू करने के लिए उन्होंने कराची में दो कमरे किराए पर लेकर इसका प्रोडक्शन शुरू किया. हालांकि सबसे ज्यादा लोकप्रियता भारत में तैयार हुए रूह अफजा को मिली.

रूह अफजा (Rooh Afza) की बोतल को जर्मनी में डिजाइन किया गया था. पहले इसे कांच की बोतल में पेश किया जाता था, बाद में इसे बदलकर प्लास्टिक की बोतल में बेचा जाने लगा.

रूह अफज़ा की प्रोडक्शन कब ठप पड़ी?

रूह अफज़ा (Rooh Afza Story) का सफर भारत में शुरू हुआ और यहीं चलता रहा, लेकिन एक साल ऐसा भी आया जब कच्चे माल के आयात में रुकावट के कारण कंपनी का प्रोडक्शन बुरी तरह प्रभावित हुआ जिसकी वजह से 2019 में भारत में इसका स्टॉक घट गया.

स्टार्टअप स्काई की रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं, लेकिन रूह अफजा (Rooh Afza) की बोतलें पाकिस्तान से आती हैं और ड्रिंक की पूरी तैयारी भारत में की जाती है. इस तरह से देखा जाए तो यह एक भारतीय ड्रिंक है.

रूह अफजा ने इस दौरान धीरे-धीरे कई प्रोडक्ट बाजार में उतारे. इसमें साफी (Safi), पचनौल (Pachnaul) और रोगन बादाम शिरीन (Rogan Badam Shirin) जैसे प्रोडक्ट शामिल थे. इसकी पहली फैक्ट्री 1940 में पुरानी दिल्ली में लगी थी फिर 1971 में गाजियाबाद में प्रोडक्शन शुरू हुआ और 2014 में मानेसर, गुरुग्राम में एक नया प्लांट स्थापित किया गया.

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