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नीतीश कुमार पलटे तो लालू यादव भी बहुमत से रह जाएंगे दूर, क्या मांझी की हम बनेगी किंगमेकर?

Bihar Political Crisis: बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़कर वापस भाजपा का दामन थामने की चर्चा चल रही है. ऐसे में लालू यादव ने राजद की सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ शुरू कर दिया है.

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डीएनए हिंदी: Bihar News- बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. मुख्यमंत्री और जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार के एक बार फिर पाला बदलने की चर्चा जोरशोर से चल रही है. सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार किसी भी वक्त लालू यादव की राजद और कांग्रेस को ठेंगा दिखाकर महागठबंधन से बाहर निकल सकते हैं और फिर से भाजपा का दामन थामकर सरकार बना सकते हैं. हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि लालू यादव इस झटके को 'मौका' बनाने की जुगत में जुट गए हैं. उन्होंने राजद की सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ का गेम खेलना शुरू कर दिया है, जिसमें अहम मोहरा बन रहे हैं जीतन राम माझी गुट के विधायक. सूत्रों ने दावा किया है कि लालू ने सरकार बनाने की पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन तमाम जोड़तोड़ के बाद भी उनका गणित बहुमत से 2 सीट दूर आकर थम रहा है. ऐसे में इस पूरे गेम में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की महज 4 विधायकों वाली पार्टी हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (HAM) को 'किंगमेकर' जैसी भूमिका मिलती दिखाई दे रही है.

पहले जान लीजिए बिहार विधानसभा का मौजूदा गणित

बिहार में फिलहाल महागठबंधन की सरकार है, जिसका नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं. महागठबंधन में नीतीश की जदयू के अलावा लालू की राजद और कांग्रेस मुख्य दल हैं. हालांकि वामपंथी दलों का भी समर्थन इस महागठबंधन को मिला हुआ है. 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों का समर्थन जरूरी होता है. मौजूदा गणित में सरकार के पास 160 विधायकों का समर्थन है, जिनमें सबसे ज्यादा 79 विधायक लालू यादव की RJD के हैं. राजद के बाद नीतीश की JDU के 45, कांग्रेस के 19 और अन्य दलों के 17 विधायक हैं. 

नीतीश जाएंगे तो मांझी और AIMIM आएंगे

नीतीश कुमार यदि महागठबंधन का साथ छोड़कर जाएंगे तो लालू का गणित कुछ इस तरह का होगा. लालू के पास तब अपनी पार्टी राजद के 79, कांग्रेस के 19 और वामपंथी दलों के 16 विधायक (CPI-ML के 12 विधायक, CPI के 2 विधायक व CPI-M के 2 विधायक) होंगे. साथ ही एक निर्दलीय विधायक भी उनके साथ है. लालू ने जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के 4 विधायक और AIMIM का इकलौता बचा हुआ विधायक भी अपने साथ जोड़ लिया है. इस तरह उनका गणित 120 सीट पर पहुंच रहा है, जो बहुमत से 2 सीट दूर रह जाएगा.

भाजपा खेमे का गणित ये है

भाजपा के खेमे की बात की जाए तो नीतीश से अलग उनके पास केवल अपनी 78 सीट हैं. नीतीश की JDU और BJP यदि फिर से साथी बनते हैं तो दोनों के पास कुल 123 सीट हो जाएंगी. इस तरह वे बहुमत का आंकड़ा छू लेंगे. हालांकि इसमें भी उस समय खेल हो सकता है, यदि लालू यादव की टीम नीतीश के खेमे में सेंध लगाकर विधायकों को तोड़ने में सफल हो जाती है. ऐसा होने पर नीतीश का महागठबंधन छोड़कर जाने का दांव उल्टा भी साबित हो सकता है. 

मांझी की 'हम' पर टिका है सारा खेल

यदि आंकड़ों की नजर से देखा जाए तो बिहार के खेल का परिणाम राजनीति के बड़े प्लेयर्स यानी भाजपा, राजद और जदयू की परफॉर्मेंस पर नहीं टिका है बल्कि इसमें सबसे अहम भूमिका HAM की हो गई है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी के 4 विधायकों का साथ मिलने पर ही लालू यादव सत्ता के करीब पहुंच सकते हैं, जबकि नीतीश और भाजपा को भी सत्ता में मजबूती से बने रहने के लिए माझी के विधायकों का समर्थन मिलना जरूरी है.

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