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DNA TV Show: 'राम मंदिर से खुश नहीं मुसलमान' मिथ या सच्चाई, जानिए यह सोच बदलने वाला विश्लेषण

Ram Mandir Ayodhya Pran Pratishtha: राम मंदिर में राम लला के विराजमान होने का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है. भव्य समारोह की तैयारियां हो चुकी हैं. इसमें अयोध्या के मुस्लिम भी बढ़चढ़कर भाग ले रहे हैं.

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डीएनए हिंदी: Ram Mandir Ayodhya Latest News- पूरा देश इस वक्त राम की भक्ति में लीन है और बड़ी ही बेसब्री से राममंदिर उद्घाटन का इंतजार कर रहा है, लेकिन कुछ लोग हैं, जो ये भ्रम फैला रहे हैं कि देश का मुसलमान खुश नहीं है. आज हम ऐसे ही लोगों की सोच बदलने वाला विश्लेषण लेकर आए हैं. आज DNA में देश का मुसलमान खुद बताएगा कि श्रीराम उनके लिए क्या मायने रखते हैं. दरअसल भारत के कण-कण के DNA में राम हैं. श्रीराम के आदर्श..श्रीराम के आचार-विचार, श्रीराम का पूरा जीवन, भारत के DNA में है और अब जब श्रीराम अपनी जन्मभूमि में विराजमान होने वाले हैं. अयोध्या में भव्य राममंदिर के उद्घाटन का दिन नजदीक आता जा रहा है तो पूरा देश श्रीराम की भक्ति से सराबोर है. हो भी क्यों ना, आखिर हम सबके DNA में राम हैं. DNA में राम, ये सिर्फ हमारे Show की Theme नहीं है बल्कि ये संपूर्ण भारतवर्ष की Theme है. क्योंकि सिर्फ हिंदुओं के DNA में राम नहीं हैं बल्कि हर धर्म की मान्यताओं में श्रीराम के आदर्श हैं. इसलिए राममंदिर के उद्घाटन का इंतजार सिर्फ हिंदू नहीं बल्कि हर धर्म के लोग कर रहे हैं, जिनके लिए श्रीराम सिर्फ हिंदू धर्म के प्रतीक नहीं हैं बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम हैं.

ये हैं इसके कुछ उदाहरण-

रामचरित मानस विमल,
संतन जीवन प्राण,
हिन्दुअन को वेदसम जमनहिं प्रगट कुरान।

इसका सार है कि रामचरित मानस हिंदुओं के लिए ही नहीं, मुसलमानों के लिए भी आदर्श है. ये दोहा गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन रहे रहीम खान-ए-खाना ने लिखा था. इस्लाम धर्म में ऐसे कई कवि और विद्वान हुए हैं, जिन्होंने श्रीराम की भक्ति से प्रेरित रचनाएं लिखी हैं. अल्लामा इकबाल ने लिखा था-

है राम के वजूद पे हिंदुस्तान को नाज़, अहल-ए-नज़र समझते हैं इमाम-ए-हिंद।

यानी राम केवल हिंदुओं के भगवान नहीं हैं, बल्कि दूरदृष्टि रखने वालों के लिए वो इमाम-ए-हिंद यानी पूरे भारत के आध्यात्मिक नेता हैं.

इसी तरह कृष्ण भक्ति में पूरा जीवन न्यौछावर कर देने वाले रसखान लिखते हैं- 

हरि के सब आधीन पै,
हरी प्रेम आधीन।

यानी पूरी दुनिया परमेश्वर के अधीन है लेकिन परमेश्वर, स्वयं भक्त के प्रेम के अधीन हैं.

ये बताता है कि राम जितने हिंदुओं के DNA में हैं. उतने ही हिंदुस्तान के मुस्लिमों के DNA में भी हैं. इसलिए राममंदिर हिंदू-मुस्लिम, सभी धर्मों की आस्था का प्रतीक है. भगवान राम अपने जन्मस्थान पर विराजमान होने वाले हैं. इससे सिर्फ अयोध्या के ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान के मुसलमान खुश हैं.

तभी तो 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन मस्जिदों, दरगाहों और घरों में दीप जलाने और राम नाम का जाप करने का फैसला मुसलमानों ने किया है. सिर्फ अयोध्या ही नहीं, अलीगढ़ के कई मदरसों और मस्जिदों ने राममंदिर उद्घाटन के दिन भजन-कीर्तन करने की तैयारी की है.

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं में भी राममंदिर को लेकर उत्साह है. मुस्लिम महिलाओं ने मंदिरों में पहुंचकर साफ-सफाई की और 22 जनवरी के दिन दीप जलाकर राममंदिर उद्घाटन के दिन को खास बनाने की अपील की.

ये बताता है कि जो लोग राममंदिर उद्घाटन को सिर्फ हिंदुओं का उत्सव बता रहे हैं, वो देश के मुसलमानों को बरगला रहे हैं, क्योंकि हिंदुस्तान के मुसलमान, भगवान राम के प्रति आस्था रखते हैं. इसलिए आपको ऐसे लोगों से उचित दूरी बनाकर रखनी चाहिए जो श्रीराम के खिलाफ नफरत फैलाकर अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं.

ऐसे लोगों को सबसे अच्छा जवाब तो इकबाल अंसारी ने दिया है, जो राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस में मुस्लिम पक्ष के मुख्य पैरोकार रहे हैं. अब जब उन्हें राममंदिर उद्घाटन में शरीक होने का निमंत्रण मिला है तो वो बेहद खुश हैं और राममंदिर में श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा का साक्षी बनने के लिए उत्साहित भी हैं, क्योंकि इकबाल अंसारी भी जानते हैं कि जब राम की कृपा बरसेगी तो सभी धर्मों पर समान भाव से बरसेगी. प्रभु राम सबका भला करेंगे. ये सिर्फ इकबाल अंसारी की सोच नहीं है. बल्कि अयोध्या का हर मुसलमान राममंदिर के उद्घाटन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.

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