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Wrestler Protest Exclusive: कुश्ती संघ पर कब्जा चाहता है हरियाणा? आसान भाषा में पढ़ें अंदर की पूरी बात

Wrestling Federation Controversy: फेडरेशन सूत्रों का दावा है कि विवाद हरियाणा लॉबी ने खड़ा किया है, जो ब्रजभूषण के समय में कमजोर हुई है.

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Wrestler Protest Exclusive: कुश्ती संघ पर कब्जा चाहता है हरियाणा? आसान भाषा में पढ़ें अंदर की पूरी बात

Wrestler Protest in Delhi

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डीएनए हिंदी: Brij Bhushan Sharan Singh News- महिला और पुरुष पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं. इनमें देश के लिए पदक जीत चुकी विनेश फोगाट (Vinesh Phogat), साक्षी मलिक (Sakshi Malik) और बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) जैसे नामी चेहरे भी शामिल हैं. इन सभी ने भारतीय कुश्ती संघ (Wrestling Federation Of India) के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) को पद से नहीं हटने तक उसी तरह धरने पर डटे रहने की बात कही है जैसे, ये सब कुश्ती के मैट पर विपक्षी के सामने डटते हैं. पहलवानों ने कुश्ती संघ के मुखिया पर यौन शोषण से लेकर तमाम तरह के गंभीर आरोप भी लगाए हैं.

पूरी दुनिया में चर्चा में आ गए इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए बृहस्पतिवार देर रात केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने पहलवानों से मुलाकात की है और उसके बाद ब्रजभूषण को 24 घंटे में पद छोड़ने का अल्टीमेटम भी दे दिया है. लेकिन कुश्ती संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि इससे भी यह विवाद खत्म नहीं होने जा रहा है. इस पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दावा किया कि यह मामला महज पहलवानों के उत्पीड़न का नहीं बल्कि उनकी आड़ लेकर हरियाणा की कुश्ती लॉबी का इस खेल के प्रशासन पर दोबारा पुराना दबदबा कायम करने की कोशिश का है. कुश्ती संघ के इस वरिष्ठ पदाधिकारी ने DNA HINDI से बातचीत में 4 दावों के जरिये इस पूरे विवाद को समझाने की कोशिश की है. आइए समझते हैं कि यह सच में कोई विवाद है या कुश्ती संघ के अंदरूनी 'धोबी पाट' की कवायद ने देश को ऐसा दिन दिखाया है.

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दावा नंबर-1: हरियाणा लॉबी हुई है पिछले दस साल में कमजोर

कुश्ती संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, हरियाणा लॉबी भारतीय कुश्ती संघ में बेहद मजबूत रही है. पहले भारतीय कुश्ती संघ के अंदर से लेकर टीम सपोर्ट स्टाफ से जुड़े ज्यादातर पदों तक पर हरियाणा का ही दबदबा रहता था. लेकिन ब्रजभूषण शरण सिंह के कार्यकाल के दौरान पिछले 10 साल में हरियाणा लॉबी का यह दबदबा खत्म हुआ है. उन्होंने कहा, यही दबदबा दोबारा पाने की कोशिश में पहलवानों के जंतर-मंतर पर धरने का मामला 'हरियाणा बनाम ऑल इंडिया' बन गया है. उन्होंने अपनी बात को पुख्ता करने के लिए इस पूरे मामले में हरियाणा के पहलवानों के ही आगे होने और उनके समर्थन में दीपेंद्र हुड्डा के मुखर तरीके से खड़ा होने का हवाला दिया. 

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कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा (Deelpender Hooda) को ही हराकर साल 2012 में ब्रजभूषण शरण सिंह पहली बार कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने थे. बता दें कि ब्रजभूषण ने भी बुधवार को जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों को दीपेंद्र हुड्डा की कठपुतली बताया था. कुश्ती संघ के पदाधिकारी ने अपनी बात के समर्थन में धरने पर बैठे पहलवानों के उन बयानों का भी हवाला दिया, जिनमें पहले केवल ब्रजभूषण के इस्तीफे की मांग थी, लेकिन बाद में सभी राज्य कुश्ती संघों समेत पूरे कुश्ती महासंघ को भंग किए जाने की मांग शामिल हो गई.

दावा नंबर-2: संदीप सिंह के अलग कुश्ती संघ बनाने से भी जुड़ा है लिंक

वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि इस सारे विवाद का लिंक हरियाणा के तत्कालीन खेल मंत्री और पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान संदीप सिंह (Hockey Player Sandeep Singh) से भी है, जिन्होंने कुछ महीने पूर्व नेशनल गेम्स से पहले अलग हरियाणा कुश्ती संघ बना लिया था. ब्रजभूषण की अगुआई में भारतीय कुश्ती महासंघ ने संदीप सिंह के इस संघ को मान्यता नहीं दी थी और पुराने हरियाणा कुश्ती संघ को ही बरकरार रखा था. उन्होंने कहा, संदीप सिंह के संघ ने नेशनल गेम्स में अपनी अलग कुश्ती टीम भी भेजी थी, लेकिन WFI के विरोध पर उस टीम को एंट्री नहीं दी गई थी. फिलहाल संदीप सिंह खुद एक इंटरनेशनल खिलाड़ी व कोच के यौन उत्पीड़न के आरोप से घिरे हुए हैं. 

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दावा नंबर-3: हरियाणवी मूल के एक उद्योगपति की है फंडिंग

पदाधिकारी ने यह भी दावा किया कि धरने के इस पूरे ड्रामे को एक उद्योगपति फंडिंग कर रहा है, जो देश में स्वदेशी आंदोलन का प्रमुख चेहरा है. यह उद्योगपति हरियाणा का ही रहने वाला है. उन्होंने कहा, यह उद्योगपति भाजपा का करीबी है, लेकिन इसके बावजूद पिछले दिनों भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह ने उसके उत्पादों को लेकर सवाल खड़े किए थे. इसी कारण अब वह ब्रजभूषण विरोधियों की मदद कर रहा है.

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दावा नंबर-4: बिना खेले ही सुविधाएं चाहते हैं धरने पर बैठे पहलवान

पदाधिकारी ने यह भी दावा किया कि धरने पर बैठे पहलवान बिना खेले ही सरकार की तरफ से टॉप्स आदि स्कीम के तहत मिलने वाले लाखों रुपये और सुविधाएं चाहते हैं. उन्होंने कहा, ये पहलवान टोक्यो ओलंपिक खेल- 2021 के बाद एक भी नेशनल चैंपियनशिप में नहीं उतरे हैं, लेकिन नेशनल कैंप में बने रहना चाहते हैं. उन्होंने सवाल किया कि यदि इन पहलवानों को कैंप में रखा जाएगा तो उन पहलवानों का क्या होगा, जो मेहनत करके नेशनल चैंपियनशिप में मेडल जीतते हैं और फिर कैंप में आने का दावा ठोकते हैं.

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पदाधिकारी ने कहा, कुश्ती महासंघ ने इसी कारण नियम बनाया है कि नेशनल चैंपियनशिप में जीतने वाले हर वजन वर्ग के टॉप-4 (गोल्ड, सिल्वर व दो ब्रॉन्ज मेडल विनर) पहलवानों को ही इंटरनेशनल टूर्नामेंटों के लिए लगने वाले कैंप में जगह मिलेगी. उन्होंने कहा, इसी नियम पर इन नामी पहलवानों को ऐतराज है, क्योंकि वे बिना खेले ही सुविधाएं चाहते हैं. नए पहलवानों से वे भिड़ना नहीं चाहते, क्योंकि उन्हें नेशनल चैंपियनशिप में हारने पर नाम खराब होने का डर लगता है. उन्होंने कहा, यह मामला कुछ-कुछ बॉक्सिंग में मैरी कॉम और निखत जरीन के बीच हुए विवाद जैसा है. 

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