Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

मणिपुर के 6 जिलों से हटा AFSPA, क्या है ये विवादित कानून, क्यों इसके नाम से ही भड़क उठते हैं लोग?

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि मणिपुर के 6 जिलों में से AFSPA हटा दिया है. इस कानून को लेकर हमेशा देश में बहस होती रही है.

मणिपुर के 6 जिलों से हटा AFSPA, क्या है ये विवादित कानून, क्यों इसके नाम से ही भड़क उठते हैं लोग?

AFSPA को लेकर देश में एक अरसे से बहस होती रही है. 

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार को मणिपुर (Manipur) के मोइरांग स्थित भारतीय राष्ट्रीय सेना (NIA) मुख्यालय का दौरा कर वहां तिरंगा फहराया. INA ने पहली बार भारतीय धरती पर मोइरांग में ही तिरंगा फहराया था. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में शांति बहाल हुई है. 

अमित शाह ने कहा कि मणिपुर को अगले चुनाव तक मादक पदार्थ मुक्त राज्य बनाएंगे. हमने उग्रवाद का सफाया किया, मणिपुर के छह जिलों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) हटा दिया. मोदी सरकार ने आठ साल से भी कम वक्त में पूर्वोत्तर में 3.45 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया. मणिपुर उग्रवाद, बंद से पूरी तरह मुक्त हुआ, विकास की राह पर अग्रसर है.

पूर्वोत्तर में दशकों की अशांति के बाद एक बार फिर शांति बहाल हुई है. केंद्र सरकार ने असम, नगालैंड और मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) की सख्ती कम करने का फैसला 2020 में लिया था. एक वक्त में नॉर्थ-ईस्ट के राज्य देश के सबसे ज्यादा अशांत क्षेत्रों में शुमार थे. 

Same-Sex Marriage: समलैंगिक शादियों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से फिर मांगा जवाब, आखिर क्यों मुश्किल है भारत में सेम सेक्स मैरिज की राह?

क्यों पड़ी थी AFSPA की जरूरत?

उग्रवाद और स्थानीय अलगाववादी गुटों के विद्रोह को को खत्म करने के लिए आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट ( AFSPA) को साल 1958 में लागू किया गया था. देश के भीतर आंतरिक शांति बहाल करने के लिए इस एक्ट को प्रवर्तनीय किया गया था. 

क्या है AFSPA?

22 मई 1958 को यह एक्ट पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू हो गया था. अशांत क्षेत्रों में इस एक्ट के जरिए कुछ विशेषाधिकार दिए गए थे. AFSPA  सुरक्षाबलों को कुछ मामलों में असीमित अधिकार देता है. सुरक्षाबल बिना किसी वारंट के किसी की भी जांच कर सकते हैं, किसी की भी ठिकाने की तलाशी ले सकते हैं. यह एक्ट सुरक्षाबलों को शक्ति देता है कि वे किसी भी संदिग्ध ठिकानों को शक के आधार पर तबाह कर सकते हैं.

CrPC Section 64: सीआरपीसी का सेक्शन-64 क्या है? सुप्रीम कोर्ट में इसे क्यों दी गई है चुनौती 

आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट के तहत बिना वारंट के सुरक्षाबल किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं. कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में यह एक्ट लागू है. समय-समय पर एक्ट को निरस्त करने के लिए लोग मांग उठाते रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इस एक्ट का दुरुपयोग किया जाता है, सुरक्षाबल अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं.

क्यों होते हैं रहे हैं एक्ट के खिलाफ आंदोलन?

अफस्पा को निरस्त करने की मांग को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला 16 साल तक भूख हड़ताल पर बैठी रही थीं. उन्हें मणिपुर की ऑयरन विमेन भी कहा जाता है. AFSPA को लेकर नॉर्थ-ईस्ट में समय-समय पर आंदोलन होते रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों एक अरसे से मांग करते रहे हैं कि इस एक्ट को खत्म कर दिया जाए. 

साल 2004 में तो इस एक्ट के खिलाफ महिलाओं ने न्यूड प्रदर्शन भी किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि अर्धसैनिक बलों ने एक महिला का कथित तौर पर गैंगरेप किया था. मणिपुर में तैनात असम राइफल्स के जवानों के जवानों पर यह आरोप लगा था. इसके अलावा भी पूर्वोत्तर से इस एक्ट को हटाने की मांग उठती रही है. कई राज्य भी इस एक्ट को हटाने की मांग करते रहे हैं.

अशांत क्षेत्रों में लगाया जाता है AFSPA

आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट के तहत, सशस्त्र सेनाओं के काम करने के लिए किसी भौगोलिक क्षेत्र को अशांत घोषित किया जा सकता है. अगर शांति व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक हो तो यह कानून प्रासंगिक हो जाता है. मेघालय से 2018 में, त्रिपुरा से 2015 में और 1980 के दशक में मिजोरम से पूरी तरह हटा लिया गया था.  

क्यों सरकार ने AFSPA में दी ढील?

पूर्वोत्तर में AFSPA के तहत घोषित अशांत क्षेत्रों की संख्या में कटौती की घोषणा तब होती है, जब इलाके में शांति बहाल हो जाती है. दिसंबर 2021 में भी बड़े स्तर पर सरकार ने पूर्वोत्तर के 31 जिलों से यह कानून हटाया था. ये इलाके शांति की राह पर थे.

AFSPA के तहत सुरक्षाबलों को पास क्या हैं अधिकार?

AFSPA सुरक्षा बलों को बिना किसी वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है. अगर किसी परिस्थिति में सुरक्षाबलों को किसी संदिग्ध पर गोली चलानी पड़े तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. किसी भी इलाके को सुरक्षाबल खाली करा सकते हैं. किसी भी संदिग्ध ठिकाने को इमरजेंसी की स्थिति में वह उड़ा सकते हैं. किसी भी शख्स की जांच सुरक्षाबल कर सकते हैं. किसी भी इलाके को पूरी तरह से बंद कर देने का भी अधिकार उन्हें होता है. कुछ मामलों में सुरक्षाबलों को इस एक्ट की वजह से गिरफ्तारी से भी छूट मिलती है. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement