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Anju Converted In Islam: अंजू तो बहाना है, पाकिस्तान का असली निशाना अल्पसंख्यकों का धर्मांतरण है

Anju Nikah And Conversion In Islam: पाकिस्तान में इस्लाम अपनाकर नसरुल्लाह से निकाह करने पर अंजू पर तोहफे की बरसात हो रही है. एक बिजनेसमैन ने 40 लाख का फ्लैट दिया है तो एक और कारोबारी ने अब प्लॉट गिफ्ट में दिया है. हालांकि पाकिस्तान का इसका पीछे असली मकसद कुछ और है.

Anju Converted In Islam: अंजू तो बहाना है, पाकिस्तान का असली निशाना अल्पसंख्यकों का धर्मांतरण है

Anju Conversion In Islam

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डीएनए हिंदी: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कोई नई बात नहीं है. एमनेस्टी जैसी संस्थाओं ने अपनी रिपोर्ट में हिंदू लड़कियों के अगवा करने और धर्मांतरण की घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर की है. हालांकि उसी पाकिस्तान में भारत से गई अंजू पर मेहरबानियों की बरसात हो रही है. अंजू को 50 हजार का चेक, एक 40 लाख का फ्लैट और जमीन तोहफे में दिया गया है. इतना ही नहीं पाकिस्तान में सरकारी नौकरी दी जाने की भी बात की जा रही है. जिस पाकिस्तान में 40 फीसदी आबादी गरीब है और वहां लोगों को दैनिक जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है वहां अंजू पर ऐसी मेहरबानी गले उतरती नहीं दिख रही. मुद्दा साफ है कि अंजू के बहाने पाकिस्तान के प्रभावशाली लोग धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहे हैं.

सिंध इलाके में धर्म परिवर्तन की कई घटनाएं 
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में धर्म परिवर्तन और अल्पसंख्यक समुदाय की युवतियों का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने की कई घटनाएं सामने आती रही हैं. इसमें हिंदुओं के साथ सिखों और ईसाई समुदाय को निशाना बनाना भी आम है. इसी महीने यूनाइटेड नेशंस की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की 12 सदस्यों की टीम ने पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन और अल्पसंख्यकों के विश्वास को ठेस पहुंचाने पर चिंता जाहिर की है. यूएन की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान की 220 मिलियन आबादी में 2% हिंदू आबादी है लेकिन इनकी संख्या चिंताजनक तरीके से कम हो रही है.

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यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 14 साल की बच्चियों को जबरन अगवा करके इस्लाम धर्म में कन्वर्ट किया जा रहा है. पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है. पाकिस्तान की सरकार हमेशा ऐसी रिपोर्ट नकारती रहती है लेकिन खुद वहां के अल्पसंख्यक समुदाय के दिए बयानों की मानें तो हिंदुओं और सिखों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जाता है.

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अल्पसंख्यकों के लिए पाकिस्तान में नहीं है कोई जगह 
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति इतनी दयनीय है कि सरकारी महकमे से लेकर राजनीतिक गलियारे तक में उनकी मौजूदगी लगभग नगण्य है. कहा तो यहां तक जाता है कि पाकिस्तान में किसी भी बड़े पद पर पहुंचने के लिए मुसलमान होना जरूरी है. यूसुफ योहन्ना के बारे में भी यही दावा किया जाता है कि ईसाई रहते उनका कप्तान बनना मुमकिन नहीं था और इसलिए उन्होंने धर्म बदलकर मोहम्मद यूसुफ नाम रख लिया. पाकिस्तान के हिंदू क्रिकेटर दानिश कनेरिया ने कई बार कहा है कि उन्हें टीम के ड्रेसिंग रूम में प्रताड़ित किया जाता था क्योंकि वह हिंदू थे. धर्म पाकिस्तान की राजनीति और सामाजिक जीवन का अहम हिस्सा है. वहां धार्मिक हिंसा इस वजह से ज्यादा बड़ी बात नहीं है. 

मंदिरों और चर्च को तोड़ने की कई घटनाएं 
पाकिस्तान में मंदिरों, गुरुद्वारे और चर्च पर हमला करने की कई घटनाएं होती रही हैं. इसी महीने कराची में माता मंदिर तोड़ दिया गया जबकि सिंध इलाके में हिंदू मंदिर पर रॉकेट लॉन्चर से हमला किया गया. एमनेस्टी की 2021 की रिपोर्ट में कहा गया था कि अनुमानित तौर पाकिस्तान में एक साल में 9 से ज्यादा बार अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों पर हिंसा की गई. इसी महीने सिंध में सीमा हैदर मामले के बाद मंदिर पर हमले के साथ कुछ हिंदुओं के घरों में भी आग लगाई गई थी. पाकिस्तान के हुक्मरान इन हमलों की भले निंदा करते हों लेकिन इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. 

अंजू पर पाकिस्तान की मेहरबानियों पर उठ रहे हैं सवाल 
अंजू पर पाकिस्तान के कारोबारियों की मेहरबानी पर सवाल उठना जायज है. जिस देश में गरीबों की इतनी बड़ी संख्या हो वहां एक हिंदुस्तानी महिला पर मेहरबानी गले नहीं उतरती है. दरअसल अंजू को फ्लैट देने वाले कारोबारी मोहसिन खान अब्बासी ने कहा भी है कि अंजू अब मुसलमान हैं और इन्होंने इस्लाम अपना लिया है. हमारी तरफ से यह इनकी मदद है ताकि इन्हें इस्लाम में आने के बाद अकेलापन न लगे. उन्होंने यह भी कहा कि आगे भी अंजू की यूं ही मदद की जाती रहेगी. पाकिस्तान के प्रभावशाली लोगों ने अंजू के बहाने बाकी अल्पसंख्यकों को भी लालच देने के लिए अपनी सधी हुई चाल जरूर चल दी है.
पाकिस्तान में मंदिरों, गुरुद्वारे और चर्च पर हमला करने की कई घटनाएं होती रही हैं. इसी महीने कराची में माता मंदिर तोड़ दिया गया जबकि सिंध इलाके में हिंदू मंदिर पर रॉकेट लॉन्चर से हमला किया गया. एमनेस्टी की 2021 की रिपोर्ट में कहा गया था कि अनुमानित तौर पाकिस्तान में एक साल में 9 से ज्यादा बार अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों पर हिंसा की गई. इसी महीने सिंध में सीमा हैदर मामले के बाद मंदिर पर हमले के साथ कुछ हिंदुओं के घरों में भी आग लगाई गई थी. पाकिस्तान के हुक्मरान इन हमलों की भले निंदा करते हों लेकिन इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. 

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