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J-K: पुंछ सेक्टर में लौटा पाबंदियों का दौर, कंप्लीट शटडाउन, सड़कों पर उतरे लोग, वजह क्या है

राजौरी में हिंदू आबादी को आतंकी निशाना बना रहे हैं. कश्मीरी पंडितों की लगातार हो रही हत्याओं को लेकर लोगों में आक्रोश है.

J-K: पुंछ सेक्टर में लौटा पाबंदियों का दौर, कंप्लीट शटडाउन, सड़कों पर उतरे लोग, वजह क्या है

पुंछ सेक्टर में बढ़ाई गई है सुरक्षा व्यवस्था. (तस्वीर-PTI)

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डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के राजौरी (Rajouri) में हिंदू परिवारों (Hindu Families) पर हुए आतंकी हमले (Terror Attack) के बाद सुरक्षा एजेंसियों (Security agencies) ने अलर्ट जारी किया है. केंद्र ने इस बीच बड़ा फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिलों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) की लगभग 18 अतिरिक्त कंपनियां तैनात करने का फैसला लिया है. इसमें से 10 कंपनियां दिल्ली से भेजी जा रही हैं.सूत्रों के मुताबिक, दोबारा कोई बड़ा हमला ना हो और आतंकी हिंदू परिवारों को निशाना ना बना सकें, इसको लेकर सरकार ने ये फैसला लिया है.

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, जम्मू में आतंकी हमले के अलर्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हैं. गृह मंत्रालय के निर्देश पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों को जम्मू-कश्मीर भेजा जा रहा है. इनमें सीआरपीएफ की 18 कंपनियां, जिनमें 1800 जवान शामिल होते हैं, उन्हें पुंछ और राजौरी में तैनात किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, इसमें से 1000 जवान दिल्ली से भेजे गए हैं. वहीं करीब 800 जवान आसपास की जगहों से जम्मू-कश्मीर में भेजे गए हैं.
 

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राजौरी में कंप्लीट शटडाउन

जम्मू से करीब 235 किलोमीटर दूर पुंछ में बुधवार को राजौरी में हुए आतंकी हमले के विरोध में कंप्लीट शटडाउन रहा, जिसमें दो बच्चों सहित छह लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य घायल हो गए थे. सनातन धर्म सभा, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और हिंदू जागरण मंच ने बंद की अपील की थी. राजौरी में हुई हत्याओं के विरोध में पूरे जिले में संस्थान बंद रहे. वाणिज्यिक वाहन सड़कों से नदारद रहे और बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा. मुस्लिम समुदाय ने भी इस बंद का समर्थन किया है. 

क्यों राजौरी में बढ़ाई गई है सुरक्षा व्यवस्था?

राजौरी और पुंछ जिलों में सुरक्षा मजबूत करने के लिए बड़ी संख्या में सीआरपीएफ की 20 से अधिक कंपनियों को तैनात किया जा रहा है जिनमें दो हजार से अधिक जवान शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के महानिरीक्षक और अन्य शीर्ष अधिकारी जवानों की तैनाती की निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों की तैनाती जारी है. उन्होंने कहा कि ऐसा राजौरी और पुंछ में अल्पसंख्यक क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है. 

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में कुछ घंटों के भीतर ही हुए दो आतंकवादी हमलों में छह लोगों की मौत और 11 अन्य के घायल होने के खिलाफ सीमावर्ती शहर पुंछ बुधवार को लगातार दूसरे दिन बंद रहा जबकि पूरे जम्मू क्षेत्र में इन हत्याओं के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि बंद को देखते हुए सीमावर्ती जिलों पुंछ और राजौरी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. 

क्यों राजौरी में है कंप्लीट शटडाउन?

आतंकवादी हमले के खिलाफ दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान जिले में बंद है और सैकड़ों की संख्या में लोगों ने सर्द मौसम के बावजूद तख्तियों के साथ सड़कों पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की और टायर जलाए एवं जम्मू क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के इलाकों में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की. 


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कठुआ जिले में प्रदर्शकारी कालीबाड़ी के नजदीक राजमार्ग पर जमा हुए और सड़क बाधित कर दी जिसकी वजह से एक घंटे तक यातायात प्रभावित रहा. स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेताओं के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने जम्मू-कश्मीर में परेशानी खड़ी कर रहे पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और पड़ोसी देश का पुतला जलाया. 

क्या है राजनीतिक दलों की मांग?

बीजेपी नेता ने कहा, 'हम पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और उसके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की मांग करते हैं ताकि वहां मौजूद आतंकवादी ढांचों को नष्ट किया जा सके.'

टारगेट किलिंग की वजह से घाटी से अलग ट्रांसफर की मांग कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने राजौरी में हुए दोहरे हमले के खिलाफ जम्मू में मोमबत्ती जुलूस निकाला. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हमने हत्याओं के खिलाफ मोमबत्ती जुलूस निकाला. जम्मू-कश्मीर में हिंदू सुरक्षित नहीं है और सरकार को लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.'

युवा राजपूत सभा ने राजौरी आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करने के लिए यहां पर मोमबत्ती जुलूस निकाला. सभा के नेता ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि वे प्रत्येक हत्या पर जम्मू बंद का आह्वान करते थे, लेकिन आज वे खामोश हैं.  उन्होंने कहा, 'इसने उप राज्यपाल प्रशासन के जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद के खात्मे के दावे की पोल खोल दी बल्कि स्थिति 1990 की तरह है जब कश्मीरी पंडितों को हत्याओं की वजह से घाटी से पलायन करना पड़ा था.'

बंद में कौन-कौन है शामिल?

डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी, जम्मू विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, त्रिकूटानगर कारोबारी संघ, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने भी जम्मू में प्रदर्शन किया. उधमपुर, अखनूर, कटड़ा, रियासी, सांबा, किश्तवाड़ और डोडा जिलों में भी कई स्थानों पर राजौरी हमले के खिलाफ प्रदर्शन हुआ. जम्मू और राजौरी के वकीलों ने भी इन हत्याओं के खिलाफ बंद रखा. (IANS और PTI इनपुट के साथ)

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