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Arif saras case: जंगली जानवरों को पालने या बांधने से पहले जान लें ये कानून, वरना हो जाएगी मुश्किल

Wild Life Protection Act: सारस को बचाने को लेकर चर्चा में आए आरिफ के खिलाफ वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.

Arif saras case: जंगली जानवरों को पालने या बांधने से पहले जान लें ये कानून, वरना हो जाएगी मुश्किल

Wilf Life Protection Act

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डीएनए हिंदी: भारत में इंसानों के साथ-साथ पशुओं और पक्षियों के भी बहुत सारे अधिकार होते हैं. कुछ जानवर खास तौर पर संरक्षित होते हैं. तमाम ऐसे नियम बनाए गए हैं जिनके मुताबिक, जानवरों का शिकार करने, उनको प्रताड़ित करने और उन्हें बंधक बनाने पर कई तरह की सजा हो सकती है. अमेठी में एक सारस की जान बचाने वाले आरिफ के खिलाफ ऐसे ही कुछ नियमों के तहत केस दर्ज किया गया है. वैसे तो आरिफ का कहना है कि उन्होंने सारस की जान बचाई इसलिए वह उनके साथ ही रहने लगा. आरिफ ने यह भी कहा है कि उन्होंने सारस को न तो बंधक बनाया और न ही उसके खिलाफ कोई हिंसा की.

आरिफ के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 2, 9, 29, 51 और धारा 52 के तहत केस दर्ज किया गया है. बता दें कि वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत कुछ जानवरों के अवैध शिकार और उनकी खाल या शरीर के किसी अन्य हिस्से के व्यापार पर रोक लगाया गया है. अगर किसी को इस कानून के तहत दोषी पाया जाता है तो उस पर जुर्माना लगया जा सकता है या उसको सजा भी हो सकती है.

यह भी पढ़ें- 'सारस' की जान बचाकर आरिफ ने मोल ले ली मुश्किल? FIR दर्ज, वन विभाग ने भेजा नोटिस

जानवरों के खिलाफ क्रूरता पर लागू होते हैं ये कानून:-

  • भारतीय दंड संहिता (CrPC) की धारा 428 और 429 के तहत किसी जानवर को जहर देने, उसे जान से मारने या कष्ट पहुंचाने पर दो साल की सजा और जुर्माना हो सकता है.
  • प्रिवेंशन ऑफ क्रूशियल एनमिल एक्ट, 1960 की धारा 11 (1) के मुताबिक, अगर आप अपने पालतू जानवर को भूखा रखते हैं, मारते-पीटते हैं या उसे छोड़ देते हैं और उसकी मौत हो जाती है तो आपको तीन महीने की जेल हो सकती है.
  • किसी जानवर को लोहे की जंजीर या भारी रस्सी से बांधना अपराध की श्रेणी में आता है. अगर आप जानवरों को घर के बाहर नहीं निकाला जाता तो इसे कैद माना जाता है. इस मामले में 3 महीने की जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 16 (सी) के तहत जंगली पक्षियों या सरीसृपों, उनके अंडों या उनके घोसलों को नुकसान पहुंचाना अपराध है. दोषी पाए जाने पर 3 से 7 साल की कैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है. 
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में 66 धाराएं और 6 अनुसूचियां हैं. इन अनुसूचियों में पशु-पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों को संरक्षण प्रदान किया गया है.
  • अनुसूची-1 और 2 के तहत वन्य जीवों को सुरक्षा प्रदान की जाती है और इसका उल्लंघन करने वालों को सजा का प्रावधान किया गया है.
  • अनुसूची 3 और 4 भी संरक्षण देते हैं लेकिन इनमें रखे गए जानवरों के खिलाफ अपराध पर सजा का प्रावधान काफी कम हैं.
  • अनसुची 5 में ऐसे जानवर रखे गए हैं जिनका शिकार किया जा सकता है.
  • अनुसूची 6 में शामिल पौधों की खेती और रोपण पर रोक लगाई गई है.

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