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Ayodhya को ट्रोल मत कीजिए, वोट का गणित समझिए

Loksabha Chunav 2024 में कई सीटों पर परिणाम चौंकाने वाले हैं. फैजाबाद सीट का शुमार भी ऐसी ही सीटों में हैं. यहां सपा की जीत हुई और भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. भाजपा द्वारा सीट हारने के बाद अयोध्या सोशल मीडिया पर ट्रोल्स के निशाने पर है जिसे लेकर तमाम बेतुकी बातें हो रही हैं.

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Ayodhya को ट्रोल मत कीजिए, वोट का गणित समझिए

अयोध्या में भाजपा की हार ने राइट विंग समर्थक ट्रोल्स को आहत कर दिया है 

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फैजाबाद. फैजाबाद में अयोध्या. अयोध्या में मंदिर और मंदिर में राम. हिंदुत्व का गढ़ बन चुकी देश की इस सबसे हॉट लोकसभा सीट पर भाजपा और भाजपा समर्थकों को इतना भरोसा था जितना स्वंय श्रीराम को अयोध्या वासियों पर. लेकिन 4 जून को आए नतीजों के बाद अयोध्या का दर्जा जो रहा हो, अयोध्यावासी दक्षिणपंथी ट्रोलर्स की नज़र में विलेन बन गए. 43% वोट देने के बाद भी इस हार का ठीकरा अयोध्या से बीजेपी के  कैंडिडेट लल्लू सिंह नहीं, अयोध्या की जनता के सिर फूट रहा है.

समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद द्वारा 5,54,289 मत पाने और 54,567 वोटों के अंतर से चुनाव जीतना भाजपा समर्थकों की आंख में पड़ी किरकिरी हो गया. ट्रोल्स सक्रिय हो गए हैं. निशाने पर अयोध्या वासी हैं. आरोप लग रहे हैं कि, उन्होंने उस पार्टी के साथ धोखा किया, जो न केवल राम को लाए बल्कि जिन्होंने अपना दशकों पुराना राम मंदिर निर्माण का वादा पूरा किया.

ट्रोल्स द्वारा अयोध्या के लोगों को मौकापरस्त, द्रोही, विश्वासघाती जैसे शब्दों से संबोधित किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि जिस भाजपा ने अयोध्यावासियों को भव्य राम मंदिर के साथ साथ रोजगार दिया, एयरपोर्ट, चौड़ी सड़कें, अस्पताल और शोहरत दी वो उसी के सगे नहीं हो पाए और छल किया. 

राइट विंग ट्रोल्स इस बात के भी पक्षधर हैं कि अब वो वक़्त आ गया है जब अयोध्या के लोगों को सबक सिखाना चाहिए. चुनावों में भाजपा क्या हारी एक से बढ़कर एक बेतुकी बातों का दौर शुरू हो गया है. 

 

सोशल मीडिया ऐसे  ऐसे फेसबुक पोस्ट और ट्वीट्स से पटा पड़ा है जिनमें कहा जा रहा है कि अयोध्या का आर्थिक बहिष्कार किया जाए और वहां के लोगों को ये सन्देश मिले कि उन्होंने भाजपा को हराकर महापाप किया है. 

सच्चाई

लेकिन क्या वाक़ई ऐसा है? क्या ट्रोल्स द्वारा की जा रही ट्रोलिंग जायज है? क्या वो आरोप सही हैं, जो राइट विंग के कार्यकर्ता अयोध्या के रहिजनों पर लगा रहे हैं? 

बहुत स्पष्ट शब्दों में जवाब है "नहीं". 

वो तमाम लोग जो मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को आधार बनाकर अयोध्या और अयोध्यावासियों का घेराव कर रहे हैं. उन्हें सबसे पहले तो इस बात को समझना होगा कि अयोध्यावासियों ने वोटिंग की है, अपराध नहीं. 

मतदान का एक नियम है. जैसा जनादेश होता है उसके बाद एक दल की जीत होती है जबकि दूसरे दल को हार का मुंह देखना पड़ता है. और इस बार यानी 2024 के इस लोकसभा चुनाव में जनादेश, समाजवादी पार्टी और उसके कैंडिडेट अवधेश प्रसाद के पक्ष में था.  

भाजपा अयोध्या क्यों हारी इसके यूं तो कारण कई हैं. मगर इस मामले में जो सबसे प्रभावी कारण है वो है राममंदिर निर्माण के दौरान हुआ विकास.

अयोध्या की नाराज़गी

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और रामपथ के लिए लोगों के घर तोड़े गए. उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया. मुआवजा मांगने पर जिला प्रशासन द्वारा उन्हें डराया धमकाया गया. मुक़दमे हुए, लोगों को नई जमीनें खरीदने से रोका गया. वैसे इन सारी बातों से सोशल मीडिया अटा पड़ा है जिसमें रोती बिलखती महिलाओं और बुजुर्ग के गाहे बगाहे वीडियो सामने आ जाते हैं जो वहां के रहवासी रहे हैं और घर, दुकान तोड़े जाने से दुखी और मातम मना रहे हैं.

कह सकते हैं कि अयोध्या में जिस तरह की वोटिंग हुई उसमें लोगों का तंत्र या ये कहें कि सरकार के प्रति गुस्सा भी एक बेहद प्रभावी कारण है जिसे किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

ऐसा नहीं है कि भाजपा का वोट बैंक घट गया है, समाजवादी पार्टी ने साल 2019 के चुनाव में भी फैजाबाद में 4,63,544 वोट हासिल किए थे और कांग्रेस को 53,386 वोट मिले थे. इस बार कांग्रेस के ये वोट सपा के हिस्से में आए क्योंकि वो एक ही बैनर तले लड़ रहे थे. और यही भाजपा की जीत का मार्जिन तय करते दिख रहे हैं. 

फैजाबाद में भाजपा समर्थकों ने अपना काम पूरा किया. लेकिन सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद वोट बैंक बंटा नहीं. इसमें अयोध्यावासियों की गलती नहीं है. इसमें INDIA ब्लॉक की रणनीति और बेहतरीन राजनीति है. 

अयोध्यावासियों की ट्रोलिंग कर रहे ट्रोल्स से हम ये जरूर पूछना चाहेंगे कि, क्या वोट डालना गुनाह है?

जैसी सूरत ए हाल है, कह सकते हैं कि एक एजेंडा के तहत काम करने वाले ये ट्रोल्स वास्तव में एक स्वस्थ लोकतंत्र के दुश्मन हैं. जिनसे देश और देश की जनता को सावधान रहना चाहिए. 

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