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पंजाब की इन 3 सीटों पर क्यों बहती है विदेशी हवा, किसका चलेगा जादू? समझें जातीय समीकरण

Lok Sabha Elections 2024: जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो होशियारपुर और जालंधर लोकसभा सीट पर दलित समाज का दबदबा है. ये दोनों सीटें दलित समाज के लिए आरक्षित हैं. जबकि गुरदासपुर सीट अनारक्षित है.

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पंजाब की इन 3 सीटों पर क्यों बहती है विदेशी हवा, किसका चलेगा जादू? समझें जातीय समीकरण

सांकेतिक तस्वीर

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लोकसभा चुनाव के लिए छह चरणों का मतदान हो चुका है. सातवें और आखिरी चरण में 1 जून को वोट डाले जाएंगे. इसमें पंजाब की 13 सीटों पर चुनाव होगा. इनमें गुरदासपुर, जालंधर और होशियारपुर की NRI सीट भी शामिल हैं. इन सीटों को एनआरआई इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहां के ज्यादातर लोग विदेश में रहते हैं और वहीं से तय करते हैं कि सियासी बयार किस तरफ बहनी है. 

इस बार इन सीटों पर राजनीतिक दलों के लिए कड़ा इम्तिहान होगा. क्योंकि बीजेपी इस बार अकेले चुनाव लड़ रही है, जबकि 2014 में पंजाब के रास्ते संसद पहुंचने वाली आम आदमी पार्टी के लिए यह पहला मौका है. कांग्रेस और अकाली दल भी फिर से अपनी जमीन तलाशने में जुटी हैं. चारों पार्टियों के अलग-अलग मैदान में होने से चुनाव रोचक हो गया है.

जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो होशियारपुर और जालंधर लोकसभा सीट पर दलित समाज का दबदबा है. ये दोनों सीटें दलित समाज के लिए आरक्षित हैं.  जबकि गुरदासपुर सीट पंजाब के मांझा इलाके में आती है. गुरदासपुर और होशियारपुर को बीजेपी की परंपरागत सीट माना जाता है. वहीं जालंधर सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है.

गुरदासपुर
गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 9 विधानसभाएं आती हैं. इनमें छह गुरदासपुर और तीन पठानकोट जिले में हैं. पिछली बार इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी सनी देओल ने 5 लाख 58 हजार 719 वोटों से जीत हासिल की थी. लेकिन बीजेपी ने इस बार उनकी जगह दिनेश शिंह बब्बू को मैदान में उतारा है. आम आदमी पार्टी ने अमन शेर सिंह शैरी कलसी, कांग्रेस ने सुखजिंदर सिंह रंधावा और अकाली दल ने जलजीत सिंह चीमा पर भरोसा जताया है. 2019 को लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 15,95,284 मतदाता थे. 

जालंधर
पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है.  साल 1998 में इस सीट पर देश के 12वें प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. उनके बाद 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 तक कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया. 2014 और 2019 में मोदी लहर के बावजूद इस सीट से कांग्रेस के संतोष कुमार चौधरी सांसद चुने गए थे. लेकिन 2023 में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया, जिसके बाद हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के रिंकू ने जीत हासिल की थी.

कांग्रेस ने इस बार जालंधर से दलित नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को मैदान में उतारा है. वहीं आम आदमी पार्टी की तरफ से वर्तमान सांसद सुशील कुमार रिंकू चुनाव लड़ रहे हैं. जालंधर निर्वाचित क्षेत्र में कुल 16.54 लाख मतदाता हैं, जिनमें लगभग 37 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति की है. इस सीट में 9 विधाससभा क्षेत्र आते हैं. जिनमें करतारपुर, जालंधर पश्चिम, जालंधर मध्य, जालंधर उत्तर, जालंधर कैंट, फिल्लौर, आदमपुर नकोदर और शाहकोट हैं. 


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होशियापुर
होशियारपुर सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट से पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह और बसपा संस्थापक कांशीराम सांसद रह चुके हैं. इस सीट पर दलित वोटरों का भले ही दबदबा है. लेकिन जीत-हार की भूमिका हिंदू मतदाता ही ही करते हैं. होशियारपुर, दसुया, फगवाड़ा, मुकेरियां ऐसे कस्बे हैं जहां काफी संख्या में हिंदू आबादी है. यह सीट भी NRI बहुल मानी जाती है, क्योंकि इस क्षेत्र के लोग ज्यादातर कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका में रहते हैं.

होशियारपुर सीट पर 1998 में पहली बार बीजेपी ने जीत हासिल की थी. उसके बाद एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी के जीतने का चलन रहा है. लेकिन मोदी लहर में यह चलन टूट गया और 2014  और 2019 में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की. बीजेपी ने इस बार अनीता सोमप्रकाश को टिकट दिया है, जो मौजूदा सांसद सोमप्रकाश की पत्नी हैं. कांग्रेस ने यामिनी गोमर, AAP ने डॉ. राचकुमार चब्बेवाल और अकाली दल ने पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल को मैदान में उतारा है.

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