Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Today's Agenda: विपक्ष का आरोप ED ने ले ली है CBI की जगह! लेकिन उसके सुपरएक्टिव होने का ये भी है कारण

विपक्ष सरकार पर अपने विरोधियों के खिलाफ ED का इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहा है, लेकिन यह भी तथ्य है कि पिछले कुछ सालों में ED का दायरा बढ़ा है. उसका स्टाफ बढ़ा है और नए इलाकों में ऑफिस भी खुले हैं. ED के सुपरएक्टिव होने के कारणों पर प्रकाश डालती ये रिपोर्ट.

Latest News
Today's Agenda: विपक्ष का आरोप ED ने ले ली है CBI की जगह! लेकिन उसके सुपरएक्टिव होने का ये भी है कारण
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: आजकल प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) अपनी कार्रवाइयों को लेकर हर तरफ चर्चा में है. रोजाना कहीं न कहीं पर कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED के छापे की खबर आ रही है. एक दिन में ED की टीम अलग-अलग मामलों में देश के कई शहरों में एकसाथ छापे मार रही है. 

आर्थिक घपलों की जांच करने वाली इस जांच एजेंसी के 'सुपरएक्विटव' रुख को लेकर विपक्षी दल लगातार शोर मचा रहे हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ED का दुरुपयोग अपनी विरोधी आवाज को दबाने के लिए कर रही है, जबकि भाजपा इसे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान बताती है. 

ED IT Raid Row: घर में कितना कैश और गोल्ड रख सकते हैं आप? ज्यादा रखने पर होगा एक्शन

यदि भाजपा नेतृत्व वाले NDA गठबंधन के शासनकाल से पहले देखें तो यही आरोप CBI पर लगा करते थे. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट को भी CBI को लेकर कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी थी. ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा के शासन में CBI वाली ही भूमिका ED को दे दी गई है, लेकिन क्या यही सच है या इसका कोई दूसरा पहलू भी है? आइए इस पर एक नजर डालते हैं. 

पहले जानते हैं ED कितनी एक्टिव हुई है

  • साल 2014-15 में विदेशी मुद्रा अधिनियम FEMA के तहत ED के पास 915 केस थे, जबकि 2021-22 में 5,313 मामलों की जांच चल रही है.
  • साल 2014-15 में PMLA के तहत दर्ज 178 मामले 2021-22 में बढ़कर 1,180 हो गए हैं.
  • साल 2014-15 में ED के पास कुल 1,093 मामलों की जांच थी, वहीं 2021-22 में ये बढ़कर 5,493 मामले हो गए हैं.
  • 8 साल में जहां ED के पास चल रही जांच 5 गुना बढ़ी हैं, वहीं इसमें पिछले 3 साल में इनमें ज्यादा तेजी आई है.
  • 2018-19 के बाद FEMA में दर्ज केस 2,659 से बढ़कर 5,313, जबकि PMLA में 195 मामले से बढ़कर 1,180 हो गए हैं.

Money Laundering क्या होती है? क्यों और कैसे होती है पैसों की चोरी?

विपक्ष क्यों लगा रहा दुरुपयोग का आरोप

  • महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के दर्जन भर दिग्गज नेता ED की जांच के दायरे में हैं, जिनमें शरद पवार, अजीत पवार, नवाब मलिक, छगन भुजबल जैसे नाम शामिल हैं.
  • देश के सबसे पुराने दल कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी नेशनल हेराल्ड केस में फंसे हुए हैं.
  • पश्चिम बंगाल में WBSSC घोटाले और कोयला खनन घोटाले में ममता बनर्जी वाली सत्ताधारी TMC पार्टी के दिग्गजों की गर्दन ED के हाथ में है.
  • देश के तीन राज्यों के चार मंत्री नवाब मलिक, अनिल देशमुख, सत्येंद्र जैन और पार्थ चटर्जी भी ED की कार्रवाई के कारण जेल जा चुके हैं. 

Sonia Gandhi की हर रोज हो रही है ED के सामने पेशी, जानें क्या है ये संस्था, क्या करती है काम

जिन राज्यों ने CBI को रोका, वहां पहुंची ED

सरकार पर विरोधियों को ठिकाने लगाने में ED का इस्तेमाल CBI की तरह करने का आरोप लगने का एक अन्य कारण भी है. दरअसल 2014 में NDA का शासनकाल आने के बाद विपक्षी दलों की सत्ता वाले कई राज्यों ने अपने यहां CBI की एंट्री बैन कर दी. इसके लिए उन्होंने CBI की स्थापना करने वाले Delhi Special Police Act का हवाला दिया और कहा कि जांच एजेंसी के अधिकार सिर्फ दिल्ली तक सीमित हैं. इसे राज्यों में छापेमारी और जांच का अधिकार नहीं है. CBI पर बैन लगाने वाले राज्यों में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, मेघालय और मिजोरम शामिल हैं.

इन राज्यों में ही ED सबसे ज्यादा एक्टिव दिखाई देती है. दरअसल ED का गठन जिस कानून के तहत हुए है, वह उसे पूरे देश में कहीं भी और कभी भी आर्थिक अपराध की जांच करने का अधिकार देता है. इसके चलते ED को रोकने में ये राज्य बेबस हो गए हैं.

पिछले 4 साल में तेजी से भरे गए हैं ED में खाली पद

विपक्ष भले ही ED की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बता रहा है. दूसरी तरफ, यह भी तथ्य है कि भाजपा के शासन में ED में खाली पड़े पद तेजी से भरे गए हैं और इसका सीधा सा असर उसकी कार्यप्रणाली पर पड़ा है. ज्यादा स्टाफ होने के कारण अब ED पहले से ज्यादा मामले जांच के लिए अपने हाथ में ले पा रही है. 

साल 2018 से अब तक ED में 5 स्पेशल डायरेक्टर और 18 जॉइंट डायरेक्टर भर्ती किए गए हैं. इनमें से कई भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से डेपुटेशन पर आए हैं, जिससे एजेंसी की जांच प्रक्रिया ज्यादा मजबूत हुई है. फिलहाल ED में 9 स्पेशल डायरेक्टर, 3 एडिशनल डायरेक्टर, 36 जॉइंट डायरेक्टर और 18 डिप्टी डायरेक्टर हैं. 

आर्थिक अपराधों से जुड़ी एजेंसियों से लिए अधिकारी

इनमें से ज्यादातर अधिकारी आयकर, GST इंटेलिजेंस महानिदेशालय और कस्टम व एक्साइज डिपार्टमेंट से डेपुटेशन पर लाए गए हैं. साथ ही अब ED ने अपने ऑफिस मेघालय, कर्नाटक, मणिपुर, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्यों में भी बना लिए हैं. इससे एजेंसी की पहुंच का दायरा ज्यादा बड़े एरिया में बढ़ा है. 

ED सूत्रों का कहना है कि स्टाफ की कमी पूरी होने के कारण एजेंसी पुराने मामलों में पेंडिंग पड़ी जांच को दोबारा शुरू कर पार रही है और नए मामलों में सही समय में जांच पूरी कर रही है. इसी कारण पहले से ज्यादा छापेमारी हो रही है और संपत्तियां अटैच की जा रही हैं.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement