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Cricket Special: जिस भारतीय बल्लेबाज के नाम पर है देश में सबसे बड़ी ट्रॉफी, उसने 126 साल पहले बनाया था ये अनूठा रिकॉर्ड

भारतीय क्रिकेट के कई सितारे ऐसे भी हुए हैं, जिनकी चमक भारत के इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू करने से पहले ही बुझ गई थी. ऐसे ही एक क्रिकेटर रणजीत सिंह भी थे, जिनके कारनामे आज भी इंग्लैंड के क्रिकेट इतिहास की रिकॉर्ड बुक्स में दर्ज हैं.

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Cricket Special: जिस भारतीय बल्लेबाज के नाम पर है देश में सबसे बड़ी ट्रॉफी, उसने 126 साल पहले बनाया था ये अनूठा रिकॉर्ड
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डीएनए हिंदी: किसी क्रिकेट मैच की दोनों पारियों में शतक बनाना बहुत अनूठा कारनामा माना जाता है, लेकिन यदि कोई बल्लेबाज यह कारनामा एक ही दिन में कर दे तो इससे अजब बात तो हो ही नहीं सकती. ये अजब कारनामा करने का रिकॉर्ड किसी विदेशी बल्लेबाज के नाम पर दर्ज नहीं है बल्कि यह काम एक ऐसे भारतीय क्रिकेटर ने करीब 126 साल पहले किया था, जिसके नाम पर आज भारत की सबसे बड़ी घरेलू क्रिकेट ट्रॉफी खेली जाती है.

हम बात कर रहे हैं महाराजा रणजीत सिंहजी (Mahraja Ranjitsinhji) की, जिन्हें उनके करीबी लोग रणजी (Ranji) कहकर बुलाते थे और उन्हीं के नाम पर रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) खेली जाती है.

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रणजी ने 1896 में रचा था अनूठा इतिहास

रणजी ने इंग्लिश काउंटी क्रिकेट (English County Cricket) में खेलते हुए एक ही दिन में दो शतक बनाने का अनूठा कारनामा साल 1896 में किया था. रणजी होव क्रिकेट ग्राउंड (Hove cricket ground) पर ससेक्स (Sussex) काउंटी टीम के लिए यॉर्कशायर (Yorkshire) के खिलाफ खेल रहे थे. उन्हें मैच के दौरान 22 अगस्त, 1896 को एक ही दिन में दो बार बल्लेबाजी के लिए पिच पर उतरना पड़ा.

पहली पारी में शतक ठोक चुके रणजी से उनकी टीम दूसरी पारी में भी बेहतरीन बल्लेबाजी की उम्मीद कर रही थी. रणजी ने इस उम्मीद को पूरा करते हुए दूसरी पारी में भी उसी दिन शतक ठोक दिया. यह ऐसा कारनामा था, जिसे 'शतक मशीन' कहलाने वाले डॉन ब्रैडमैन (Don Bradmen) जैसे दिग्गज बल्लेबाज भी कभी अपने करियर में नहीं कर पाए.

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महज 15 टेस्ट मैच खेले पर भारत के लिए एक भी नहीं

रणजी ने एक ही दिन में दो पारियों में शतक लगाने का कारनामा करने से महज एक महीना पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इंग्लैंड के लिए ओल्ड ट्रैफर्ड क्रिकेट ग्राउंड (Old Trafford Cricket Stadium) पर अपने टेस्ट करियर का आगाज किया था. पहले ही टेस्ट मैच में उन्होंने 62 रन और 154 रन नॉटआउट की गजब पारियां खेली थीं. 

साल 1891 में गुजरात (Gujarat) की जामनगर (Jamnagar) रियासत के प्रिंस के तौर पर वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) में पढ़ने के लिए इंग्लैंड गए और वहां क्रिकेट के होकर रह गए. उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर में महज 15 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उनके खाते में 2 शतक, 6 अर्द्धशतक और 44.95 के बेहतरीन औसत से 989 रन दर्ज हैं. साल 1904 में वे जामनगर रियासत की गद्दी संभालने के लिए वापस भारत आ गए और उनका इंटरनेशनल करियर बीच में ही थम गया. उनके नाम पर नंबर-8 पोजिशन पर खेलते हुए 175 रन के सबसे बड़े टेस्ट स्कोर का रिकॉर्ड भी दर्ज है. 

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उस समय तक भारत टेस्ट मैच क्या किसी भी तरह की क्रिकेट नहीं खेलता था, इसके चलते उन्हें कभी भारत के लिए टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिला. साल 1932 में भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला, जबकि साल 1933 में रणजी का निधन 60 साल की अल्पायु में ही हो गया.

लेग ग्लांस शॉट के 'पृथ्वीराज', इंग्लिश सीजन में लगातार 10 साल बनाए 1000+ रन

यह रिकॉर्ड उनकी असल प्रतिभा के साथ मेल नहीं खाता है, लेकिन उनके साथ खेले सीबी फ्रॉय (CB FRY) जैसे महान बल्लेबाज उन्हें ससेक्स काउंटी का पर्याय कहते थे. उनके जानने वाले उन्हें लेग ग्लांस (कलाई घुमाकर गेंद को फ्लिक करते हुए लेग गली से चौके के लिए भेजना) शॉट का दुनिया का सबसे बेहतरीन क्रिकेटर भी बताते थे. कहा जाता है कि महाराजा पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) के तीर की तरह रणजी भी आंखें बंद कर लेग ग्लांस शॉट खेल सकते थे.

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ranji with cb fry

रणजी ने 1895 से 1904 तक लगातार 10 इंग्लिश सीजन के दौरान काउंटी क्रिकेट में 1000+ रन बनाए, जिनमें लगातार दो साल (1899 और 1900) में उनके बल्ले से एक काउंटी सीजन में 3000+ रन भी निकले. इतना ही नहीं 1897-98 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर उन्होंने सभी तरह के मैच में 60.89 के औसत से 1157 रन बनाए थे, जिसकी तारीफ कई महीनों तक ऑस्ट्रेलियाई अखबारों में होती रही. उन्होंने अपने करियर में 307 प्रथमश्रेणी मैच खेले, जिनकी 500 पारियों में 56.37 के औसत से उन्होंने 24,692 रन बनाए. इसमें 72 शतक और 109 अर्द्धशतक शामिल थे. इसमें नॉटआउट 285 रन उनका बेस्ट स्कोर रहा.

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रणजी के भतीजे के नाम पर है दलीप ट्रॉफी

रणजी ही नहीं उनके भतीजे दलीप सिंह (KS Duleepsinhji) भी जोरदार क्रिकेटर थे, जिनके नाम पर भारत की एक अन्य घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट दलीप ट्रॉफी (Duleep Trophy) का आयोजन करता है. दलीप ने इंग्लैंड के लिए महज 2 साल इंटरनेशनल क्रिकेट खेली. उन्होंने इस दौरान 12 टेस्ट मैच में 3 शतक के साथ 995 रन बनाए थे, जबकि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके नाम पर 205 मैच में 50 शतक के साथ 15,485 रन दर्ज थे.

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हालांकि दलीप सिंह ने मौका होने के बावजूद भारत के पहले इंटरनेशनल टेस्ट मैच में उसकी कप्तानी करने से इनकार कर दिया था. कहा जाता है कि उन्होंने यह कदम अपने अंकल रणजीत सिंह के कहने पर उठाया था, जो नहीं चाहते थे कि उनका भतीजा उनके अंग्रेज दोस्तों के खिलाफ खेलता दिखाई दे. हालांकि इस कथन की पुष्टि करने वाला कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.

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