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Movie Review: साइकोलॉजिकल सस्पेंस का नया टेस्ट चाहिए तो देखें 'आलिया बसु गायब है', पलके झपकाना तक भूल जाएंगे

अगर आप अपने वीकएंड पर कोई साइकोलॉजिकल सस्पेंस थ्रिलर मूवी देखना चाहते हैं तो 'आलिया बसु गायब है' एक बेस्ट ऑप्शन हो सकती है. करीब एक घंटा 43 मिनट की इस मूवी को देखते हुए शायद ही आपके पलकें झपक सकें. चयह फिल्म आपको एक सेकेंड के लिए भी बोर नहीं होने देगी.

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 Movie Review: साइकोलॉजिकल सस्पेंस का नया टेस्ट चाहिए तो देखें 'आलिया बसु गायब है', पलके झपकाना तक भूल जाएंगे

aliya Basu Gayab Hai

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फिल्म : 'आलिया बसु गायब है' 
जॉनर : सस्पेंस थ्रिलर
निर्माता : डॉ. सत्तार दीवान, जोनू राणा
निर्देशक : प्रीति सिंह
संगीत : मन्नान मुंजाल
कलाकार : विनय पाठक, राइमा सेन, सलीम दीवान आदि
आलोचकों की रेटिंग: 3.5/5

रिहैब पिक्चर्स की 'आलिया बसु गायब है' एक ऐसी ही साइकोलॉजिकल थ्रिलर है जो आपके दिमाग को हिला कर रख देगी.  विनय पाठक, राइमा सेन, सलीम दीवान जैसे उम्दा कलाकारों से सजी यह फिल्म पहले की बनी कई साइको-थ्रिल मूवी से हट के है. क्योंकि यह सिर्फ एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर नहीं है, बल्कि ये ह्यूमन नेचर की साइकोलॉजिकल खोज है. यह फिल्म रिश्तों की जटिलताओं और आम जीवन में हमारे सामने आने वाली नैतिक दुविधाओं पर बेस्ड है और एक थॉट प्रोवोकिंग साइकोलॉजिकल थ्रिलर है

'आलिया बसु गायब है'  ‘अस्तित्व के लिए संघर्ष’ वाली विद्रोही कहानी, शानदार और कसी हुई पटकथा, अस्थिर एक्शन सीन इस फिल्म की अतिरिक्त विशेषताएं है. इसमें एक रियल कमर्शियल पॉटबॉयलर के सभी तत्व मौजूद हैं.  

क्या है इस फिल्म की कहानी : 'आलिया बसु गायब है' पूर्व अपराधियों दीपक और विक्रम की कहानी पर आधारित है, जो फिरौती और निजी बदला लेने के लिए एक अमीर आदमी, यानी उद्योगपति गौतम बसु की बेटी आलिया का अपहरण करते हैं, लेकिन दीपक के छिपे हुए इरादों से उसका दोस्त विक्रम भी अनजान है. आलिया अपहर्ताओं से खुद को छुड़ाने के लिए संघर्ष करती है और अपने पिता से बचाव में मदद करने की गुहार लगाती है. जब अपहर्ता फिरौती लेने के लिए तयशुदा स्थान पर पहुंचते हैं, तो उन्हें धोखे का पता चलता है.

राइमा सेन ने हमेशा अपने कम्फर्ट-जोन से बाहर निकलने की कोशिश की है और उनकी यह कोशिश इस फिल्म में भी साफ नजर आती है. ‘आलिया बसु गायब है’ में राइमा एक अमीर आदमी की बेटी आलिया का किरदार निभा रही हैं, जिसका ‘अपहरण’ कर लिया जाता है और उसे यातनापूर्ण बंदी हिरासत में रखा जाता है. इस अपहृत युवती के किरदार में राइमा सेन ने अपनी भूमिका में जान डाल दी है. जबकि, विनय पाठक तो अपने किरदार में इस कदर रच बस गए हैं, उन्हें किरदार में ढूंढना तक मुश्किल हो जाता है.

भूमिका चाहे जैसी भी हो, विनय पाठक उसमें विशेष प्रवाह ला देते हैं. उनमें सिनेमा कूट-कूट कर भरा है. वह एक ऐसे मंझे हुए कलाकार हैं, जो टीवी से लेकर फिल्मों और वेब सीरीज तक में हर तरह के किरदार में छाप छोड़ते हैं. उनकी सधी हुई अदाकारी और बेजोड़ हास्य कलाकारी का सिनेमा में कोई सानी नहीं है. विनय पाठक ने अब तक 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और खास बात यह है कि हर फिल्म में उनका किरदार दर्शकों के दिलो दिमाग पर अलग छाप छोड़ जाता है.

उनका अभिनय भी हमेशा बेहद सहज और नैसर्गिक दिखाई देता है और 'आलिया बसु गायब है' में भी वह अपने इस गुण का विशेष प्रयोग करते नजर आते हैं. अन्य कलाकारों ने भी निर्देशक के हिसाब से अपना बेस्ट देने का हरसंभव प्रयास किया है. 

ये क रहस्यपूर्ण ड्रामा के विषय से थोड़ा अलग नजरिया प्रदान करती है. कुल मिलाकर यह साइकोलॉजिकल सस्पेंस थ्रिलर आपको एक नया नजरिया भी देती है. 

निर्दोशन डाययरेक्शन : जहां तक निर्देशन की बात है, तो प्रीति सिंह ने 'आलिया बसु गायब है' के जरिये पहली बार किसी फीचर फिल्म के डायरेक्शन की बागडोर संभाली है. हालांकि, इससे पहले उन्होंने पहले एक लघु फिल्म 'द लवर्स' का निर्देशन किया था, लेकिन इसके बावजूद 'आलिया बसु गायब है' उनके लिए एक बहुत ही खास प्रोजेक्ट था. ऐसे में उन्होंने अपनी तमाम ऊर्जा और अपने अनुभव को इसमें झोंक दिया. ऐसे में फिल्म के हरेक एंगल में उनकी ईमानदारी और मेहनत स्वत: झलकती है.

अपनी पहली ही फिल्म का कुशल निर्देशन करके उन्होंने यह जता दिया है कि उनकी फिल्मी सोच अलहदा है. यही वजह है कि दर्शकों के लिए 'आलिया बसु गायब है' को मनोरंजक और रोमांचकारी तमाशा बनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है. ऐसे में अगर आप एक रोमांचक सिनेमाई अनुभव से मोहित होने के लिए तैयार हैं, तो तत्काल 'आलिया बसु गायब है' का टिकट बुक करा लीजिए. 

अभिनेता सलीम दिवान की, जिनकी यह दूसरी ही थियेटर रिलीज फीचर फिल्म है, लेकिन वह एक मंझे हुए कलाकार के तौर पर सामने आते हैं. अपने काम से उन्होंने अपने अंदर के कलाकार के कद को सबके सामने प्रभावशाली तरीके से रखा है. सलीम दिवान ने साइकोलॉजिकल थ्रिलर में अपने अनुभव के आधार पर किरदार को जिस तरह से पोट्रेट किया है.

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