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PFI Row: यूं ही नहीं गिरी है PFI पर गाज, दागदार रहा है इतिहास!

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की संलिप्तता कई ऐसी गतिविधियों में रही है जिसकी वजह से केंद्र सरकार ने संगठन को बैन करने का फैसला लिया है.

PFI Row: यूं ही नहीं गिरी है PFI पर गाज, दागदार रहा है इतिहास!

PFI कार्यकर्ताओं को पुलिस ने किया था गिरफ्तार

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डीएनए हिंदी: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)  को केंद्र सरकार ने गैरकाननूनी संगठन करार देते हुए 5 साल के लिए बैन कर दिया है. यह संगठन हमेशा से जांच एजेंसियों की रडार पर रहा है. कभी दंगों में इस संगठन के कार्यकर्ताओं का नाम आता था तो कभी हिंसक विरोध प्रदर्शनों में सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (CAA) के दौरान भी इस संगठन का नाम खूब चर्चा में रहा था. आरोप था कि संगठन के कार्यकर्ता एक समुदाय विशेष के लोगों को उकसाते रहे हैं. PFI के का संबंध वैश्विक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक एंड सीरिया (ISIS) से भी रहे हैं.

PFI के खिलाफ 7 राज्यों में छापेमारी की गई थी, जिसके बाद प्रतिबंधित संगठन से जुड़े 150 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था. 16 साल पुराने इस संगठन के खिलाफ 5 दिन पहले भी एक्शन लिया गया था जब 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया था और लोगों को संपत्तियां जब्त की गईं थीं.

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PFI की स्थापना 19 दिसंबर 2006 को ‘कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी’ और ‘नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट’ (NDF) के विलय से हुई थी. एनडीएफ की स्थापना अयोध्या में विवादास्पद ढांचा विध्वंस और उसके बाद 1993 में भड़के दंगों के बाद हुई थी. 

दंगों से जुड़ा रहा है PFI का अतीत

PFI की संलिप्तता ऐसी घटनाओं में रही है जिनकी वजह से देश में दंगे भड़के थे. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन, जबरन धर्म परिवर्तन, मुस्लिम युवाओं के कट्टरपंथ, मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिबंधित समूहों के साथ संबंध बनाए रखने में शामिल होने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है. 

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PFI पर अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की हत्या करने, प्रमुख लोगों और जगहों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक इकट्ठा करने, इस्लामिक स्टेट का समर्थन करने और लोगों के बीच आतंक फैलाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने का भी आरोप लगाया गया है. अधिकारियों के मुताबिक NIA ने PFI के खिलाफ पहले की जांच के तहत 45 मामलों में दोषसिद्धि साबित की है और इन मामलों में 355 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. 

कई राज्यों में पहले ही अवैध थी यह संस्था

पिछले साल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष कहा था कि केंद्र सरकार PFI को प्रतिबंधित करने की प्रक्रिया में हैं, जिसे झारखंड समेत कई राज्यों में पहले ही अवैध घोषित किया जा चुका है. 

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तुषार मेहता ने यह भी दावा किया कि PFI के कई पदाधिकारी प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े पाए गए. जनवरी 2018 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि उनका मंत्रालय कड़े UAPA के तहत PFI पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है. 

एंटी CAA दंगों में भी सामने आया था PFI का नाम

दिसंबर 2019 में CAA के विरोध और फिर हुई हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी केंद्र से PFI पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की. PFI पर पिछली रामनवमी के दौरान गोवा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में हिंसा में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया था. 

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लॉ एनफोर्सिंग एजेंसियों का कहना है कि केरल में PFI के 50,000 से ज्यादा सदस्य और उससे सहानुभूति रखने वाले कई लोग हैं. PFI पर तैयार किए गए एक दस्तावेज के मुताबिक, PFI के सदस्यों को मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के खिलाफ मामूली मामलों में भी दखल देने और उसका विरोध करने के लिए उकसाया जाता है. PFI कट्टरपंथ अपनाने के लिए लोगों को उकसाता रहा है. 

PFI के सदस्यों को दी जाती थी हिंसा भड़काने की ट्रेनिंग

PFI के सदस्यों को मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिया जाता है. अपने गढ़ों में लाठी, चाकू या तलवार इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जाती है. PFI खाड़ी के देशों से फंड जुटाता था. पैसे देने वाले ज्यादातर लोग भारतीय थे जो वहां नौकरी करते हैं.

 

केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर सहित दो दर्जन से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसकी शाखाएं हैं. खुफिया एजेंसियों का दावा है कि PFI हिंसा की कई गतिविधियों में भी शामिल रहा है. एक क्वेश्चन पेपर में पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाकर प्रोफेसर टी जे जोसेफ का हाथ काट दिया गया था. इस हिंसा में भी PFI का हाथ था. 

SIMI का नया रूप है PFI

केरल सरकार ने 2012 में केरल हाई कोर्ट में दिए एक हलफनामे में कहा था कि PFI वास्तव में सिमी का ही बदला हुआ नाम है. इस संगठन पर कई हत्याओं का आरोप है. CPI और RSS कार्यकर्ताओं की हत्या का भी आरोप इस संगठन पर आरोप है.

NIA की एक स्पेशल कोर्ट ने 2016 में IPC, UAPA और आर्म्स एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत PFI के 21 सदस्यों को कैद की सजा सुनाई थी. एंटी CAA प्रोटेस्ट, दिल्ली दंगा, हाथरस गैंगरेप और कई जगहों पर हिंसा भड़काने का भी आरोप इस संगठन पर है. PFI के खिलाफ मनीलॉन्ड्रिंग के कई मामले दर्ज हैं जिनकी पड़ताल 
ED कर रही है. 

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मनी लॉन्ड्रिंग के कई मामलों में रही है PFI की संलिप्तता
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक ED ने लखनऊ में एक PMLA कोर्ट में PFI के खिलाफ 2 चार्जशीट दायर की है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मार्च 2021 में PFI को टैक्स में छूट नहीं दी थी. PFI किसी धार्मिक संगठन की तरह काम नहीं कर रहा है.

ED मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर PFI की जांच कर रहा है. केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और असम में पुलिस ने इस संगठन के खिलाफ गृह युद्ध भड़काने के आरोपों में केस दर्ज किया है. PFI पर आतंकी ट्रेनिंग कैंप लगाने, सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और राज्य के खिलाफ साजिश रचने का आरोप है.
 

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