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Rafale JET: चीन से तनाव के बीच भारत पहुंचा आखिरी राफेल, तवांग के करीब हाशिमारा में होगा तैनात

Rafale Fighter Jet Deal के तहत भारत ने फ्रांस की दसॉल्ट से 36 विमान खरीदे थे. इनमें से 35 विमान पहले ही भारत आ चुके हैं.

Rafale JET: चीन से तनाव के बीच भारत पहुंचा आखिरी राफेल, तवांग के करीब हाशिमारा में होगा तैनात

Rafale Fighter Jet. (File Pic)

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डीएनए हिंदी: चीन के साथ अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में ताजा झड़प के कारण बनी टेंशन के बीच एक अच्छी खबर आई है. फ्रांस से हुए 36 राफेल फाइटर जेट के सौदे (Rafale Fighter Jet Deal) के तहत आखिरी विमान भी बृहस्पतिवार को भारतीय धरती पर लैंड कर गया. इस विमान को पश्चिम बंगाल (West Bengal) के हाशिमारा एयरबेस (Hasimara Airbase) पर तैनात किए जाने की संभावना है, जो अरुणाचल प्रदेश में चीन से टकराव का सेंटर पॉइंट बने तवांग सेक्टर के बेहद करीब है. इस एयरबेस पर फ्रांस से पहले आ चुके राफेल विमान भी तैनात हैं. भारत पहुंचे इस आखिरी राफेल विमान का टेल नंबर RB है, जो राफेल विमान की डिलीवरी शुरू होने के समय भारतीय वायुसेना प्रमुख रहे एयरचीफ मार्शल राकेश भदौरिया (Air Chief Marshal Rakesh Bhaudria) के सम्मान में लिखा गया था.

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एयरफोर्स ने ट्वीट से दी जानकारी

आखिरी राफेल विमान के भारत पहुंचने की जानकारी भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) ने ट्विटर पर सबके साथ साझा की है. इंडियन एयरफोर्स ने ट्वीट में लिखा, द पैक इज कंप्लीट. भारतीय वायुसेना को यह विमान फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) ने पिछले महीने ही फ्रांस में सौंप दिया था. इसके बाद सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इसे भारत लाया गया है. भारतीय वायुसेना को सौंपे जाने से पहले इस विमान के सभी स्पेयर्स और अन्य पार्ट्स को बदला गया था, क्योंकि इसी विमान का उपयोग राफेल फाइटर जेट को भारतीय परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिहाज से डवलपमेंटल एक्टिविटीज में किया गया था. भारतीय वायुसेना ने इससे पहले भारत आ चुके राफेल विमानों को भी भारतीय परिस्थितियों के लिहाज से अपग्रेड करना शुरू कर दिया है.

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जुलाई, 2020 से शुरू हुई थी डिलीवरी

भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमानों की खरीद पर बातचीत कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के शासनकाल में शुरू हुई थी, लेकिन करीब 60,000 करोड़ रुपये की राफेल डील साल 2016 में फाइनल हुआ था. फ्रांस ने तय समय से पहले ही जुलाई, 2020 में 36 विमानों की खेप में से पहला राफेल जेट भारतीय वायुसेना को सौंप दिया था, जो 29 जुलाई को भारत पहुंचा था. उस समय पूर्वी लद्दाख (Eastern Laddakh) में भारत और चीन के बीच गलवान घाटी झड़प (Galwan Valley Clash) के कारण तनाव चरम पर था. इन विमानों को तत्काल ही चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) के करीब लद्दाख में सुखोई विमानों के साथ तैनात कर दिया गया था. माना जाता है कि इससे चीन के आक्रामक रुख पर अंकुश लगाने में बेहद मदद मिली थी. 

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अंबाला-हाशिमारा में तैनात हैं पहले मिले 35 विमान

भारतीय वायुसेना ने इससे पहले मिले 35 राफेल विमानों को मोर्चे पर तैनात कर रखा है. इन विमानों की एक स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन (Ambala Air Force Station) पर तैनात है, जबकि दूसरी स्क्वाड्रन को पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयर बेस पर तैनात किया जा चुका है. हाशिमारा एयरबेस की स्क्वाड्रन में एक विमान की कमी थी, जो अब पूरी हो जाएगी.

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राफेल जेट विमान क्यों है अहम

राफेल विमान के कारण भारतीय वायुसेना अपने आसपास के सभी देशों की वायुसेनाओं से आगे निकल गई है. हालांकि चीन अपने विमानों को राफेल की टक्कर का मानता है, लेकिन राफेल के 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान होने से उनके दावे पिछड़ जाते हैं. चीनी विमान फोर्थ जनरेशन के हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, राफेल के बराबर टक्कर वाला विमान भारतीय उपमहाद्वीप के आसमान में फिलहाल नहीं है.

राफेल में लंबी दूरी तक हवा से हवा में और हवा से मैदानी टारगेट पर वार करने वाली मिसाइल को छोड़ने की क्षमता है. भारतीय वायुसेना अपने अपग्रेड प्लान के तहत इसमें जल्दी फायर होने वाली लॉन्ग रेंज मीटियोर एयर-टू-एयर मिसाइल (Meteor Missile) के साथ ही एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों को भी जोड़ रही है. राफेल के हथियारों में छोटी दूरी पर सटीक अटैक करने वाली हैमर मिसाइल (Hammer Missile) भी है. इसके अलावा राफेल की खासियत एडवांस्ड राडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर कैपेबिल्टी भी है. इस विमान का 75% मेंटिनेंस फिलहाल दसॉल्ट एविएशन ही देखेगी.

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