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जेल में बंद कैदी पत्नी संग कर पाएंगे रोमांस, दिल्ली सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव

दिल्ली सरकार ने बताया है कि कई देशों ने ऐसे मुलाक़ातों की अनुमति दी है. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2024 तय की है.

जेल में बंद कैदी पत्नी संग कर पाएंगे रोमांस, दिल्ली सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव

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डीएनए हिंदी: देश की राजधानी दिल्ली की जेल में बंद कैदियों के लिए एक अच्छी खबर है. अब सलाखों के पीछे पति-पत्नी को रोमांस करने की मंजूरी मिल सकती है. जिसे जेल में वैवाहिक मुलाकात के रूप में जाना जाता है. दिल्ली सरकार ने कहा है कि कई देशों में ऐसी मुलाकात की अनुमति दी गई है. जिसको ध्यान में रखते हुए राज्य के गृह विभाग को एक प्रस्ताव भेजा गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि जेल में पति-पत्नी को मिलने की अनुमति देना एक मौलिक अधिकार है. जिसके जवाब में दिल्ली सरकार ने अदालत को सूचित किया है कि जेल महानिदेशक ने गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है. जिसमें जेल में बंद कैदियों को अपने पार्टनर से मुलाकात करने देने की अनुमति के बारे में बात की गई है. दिल्ली सरकार ने कहा है कि इस पर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी प्रस्ताव भेजा गया है.

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किस तारीख को होगी अगली सुनवाई? 

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने दिल्ली सरकार की सिफारिश के बाद के घटनाक्रमों से अवगत कराने के लिए उसे 6 सप्ताह का समय दिया है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले साल 15 जनवरी 2024 की तारीख तय की है. जानकारी के लिए बता दें कि उच्च न्यायालय पहले से ही 2019 में वकील अमित साहनी द्वारा दायरे का जी का पर सुनवाई कर रहा था. जिसमें दिल्ली सरकार और जेल महानिदेशक को जेल में कैदियों को उनके जीवन साथी से मिलने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.

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जेल नियम को निरस्त करे अदालत

जनहित याचिका में मांग की गई है कि अदालत राज्य के जेल नियम को निरस्त करे. जिसके तहत किसी कैदी के अपने जीवनसाथी से मिलते वक्त जेल अधिकारी की उपस्थिति जरूरी है. यहां पर आपको बता दें कि हाल की सुनवाई में दिल्ली सरकार के स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि वैवाहिक मुलाकातों की इच्छा रखने वाले कैदियों के अधिकार को उचित विचार विमर्श के बाद जेल निदेशक द्वारा राज्य के गृह विभाग को एक प्रस्ताव के रूप में भेजा गया है.

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