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IAS Ritu Maheshwari को एक महीने की सजा, 18 साल पुराने केस में जेल जाएंगी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ

Ritu Maheshwari Jail: ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु माहेश्वरी को एक महीने की सजा सुनाई गई है. यह मामला 18 साल पुराना है.

IAS Ritu Maheshwari को एक महीने की सजा, 18 साल पुराने केस में जेल जाएंगी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ

IAS Ritu Maheshwari

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डीएनए हिंदी: आईएएस ऋतु माहेश्वरी काफी चर्चित अधिकारियों में से एक हैं. मौजूदा समय में वह ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) की सीईओ हैं. अब उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. 18 साल पुराने एक मामले में IAS ऋतु माहेश्वरी (IAS Ritu Maheshwari) को एक महीने की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि ऋतु माहेश्वरी को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा. यह फैसला जिला कंज्यूमर फोरम से सुनाया है. मामला एक प्लॉट के अलॉटमेंट से जुड़ा हुआ है.

गौतम बुद्ध नगर पुलिस की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह को वॉरंट भी दे दिया गया है. यह केस साल 2001 से चल रहा था. अब कंज्यूमर फोरम ने ऋतु माहेश्वरी को इस केस में दोषी पाया है और उन्हें एक महीने की कैद की सजा सुनाई है. केस दर्ज कराने वाले महेश मित्रा का आरोप है कि साल 2001 में प्लॉट के अलॉटमेंट का आवेदन दिया गया था. ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (GNIDA) ने उनको प्लॉट का आवंटन नहीं दिया. इसी के खिलाफ उन्होंने जिला कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी.

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2001 में जमीन आवंटन को लेकर हुआ विवाद
महेश मित्रा के मुताबिक, उन्होंने साल 2005 में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. इस पर सुनवाई करते हुए कंज्यूमर फोरम ने 18 दिसंबर 2006 को फैसला सुनाया था. कंज्यूमर फोरम ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को आदेश दिया था कि महेश मित्रा को 1000 से 2,500 वर्ग मीटर का प्लॉट अलॉट किया जाए. साथ ही, यह भी कहा गया था कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी महेश मित्रा को वो पैसे भी लौटाए जो उन्होंने कानूनी कार्यवाही में खर्च किए हैं.

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इस फैसले के खिलाफ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने राज्य ग्राहक आयोग में शिकायत की. आयोग ने फैसला दिया कि महेश मित्रा ने जो पैसे दिए हैं वे उन्हें ब्याज सहित लौटाए जाएं. हालांकि, इस फैसले के खिलाफ महेश मित्रा ने राष्ट्रीय ग्राहक आयोग में शिकायत की. आयोग ने अपना फैसला 30 मई 2014 को सुनाया और कहा कि महेश मित्रा के तर्क सही हैं और राज्य ग्राहक आयोग का फैसला गलत है. राज्य ग्राहक आयोग का फैसला गलत होने का मतलब है जिला कंज्यूमर फोरम का फैसला सही था.

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