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Vikas Dubey Case: अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को मिल गई जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने रखी ये शर्त

Khushi Dubey Gets Bail: गैंगस्टर विकास दुबे के सहयोगी रहे अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है.

Vikas Dubey Case: अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को मिल गई जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने रखी ये शर्त

Khushi Dubey

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डीएनए हिंदी: साल 2020 में कानपुर के बिकरू में हुए कांड (Bikru Case Kanpur) ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इसके बाद पुलिस ने गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) समेत उसके कई सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था. विकास दुबे के सहयोगी रहे अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे (Khushi Dubey) को भी इसी केस में गिरफ्तार कर लिया गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने खुशी दुबे को जमानत दे दी है. खुशी दुबे को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शर्त भी रखी है. शर्त यह है कि खुशी दुबे को हफ्ते में एक बार स्थानीय थाने में हाजिरी देनी होगी. इसके अलावा, मामले की जांच में पूरा सहयोग भी देना होगा.

जुलाई 2020 में गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर बिकरू गांव में हमला हुआ था. इस हमले में 8 पुलिसकर्मी भी मारे गए थे. बाद में विकास दुबे फरार हो गया था. उसे पुलिस ने मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया था. यूपी लाते समय रास्ते में उसने भागने की कोशिश की और पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा की दलीलों पर संज्ञान लिया कि खुशी दुबे अपराध के समय नाबालिग थी और उसे नियमित जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि मामले में चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है.

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किस आरोप में गिरफ्तार हुई थी खुशी दुबे?
खुशी दुबे का पति अमर दुबे भी पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था. खुशी पर आरोप है कि उसने विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बारे में बाकी आरोपियों को बता दिया था. पुलिसकर्मियों की मौजूदगी का पता चलने के कारण ही वे मारे गए. खुशी पर गैंगस्टर विकास दुबे के हथियारबंद सहयोगियों को पुलिसकर्मियों को मारने के लिए उकसाने का भी आरोप है. 

खुशी दुबे के वकील ने कहा कि यह एक निर्दोष व्यक्ति के गलत समय पर गलत जगह होने का मामला है. खुशी और अमर की शादी 3 जुलाई की घटना के सात दिन पहले ही हुई थी. खुशी दुबे के वकील विवेक तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मामले में 100 से अधिक गवाहों की गवाही होनी है और उसके (खुशी के) खिलाफ आरोपों को ध्यान में रखते हुए जमानत देने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है.

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सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि अपराध के समय आरोपी की उम्र 16/17  साल थी. कोर्ट  ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि निचली अदालत उसकी रिहाई के लिए शर्तें तय करेगी. कोर्ट ने कहा कि जमानत के लिए शर्त यह होगी कि आरोपी को हफ्ते में एक बार संबंधित थाने के थानाध्यक्ष के समक्ष पेश होना होगा और साथ ही सुनवाई और जांच में सहयोग करना होगा.

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