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Rajiv Gandhi Assassination Case: पूर्व PM के हत्यारों की रिहाई पर भड़की कांग्रेस, कहा- सोनिया गांधी से सहमत नहीं हम

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की साल 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान तमिलनाडु में श्रीलंकाई लिट्टे आतंकियों ने बम विस्फोट कर हत्या कर दी थी.

Rajiv Gandhi Assassination Case: पूर्व PM के हत्यारों की रिहाई पर भड़की कांग्रेस, कहा- सोनिया गांधी से सहमत नहीं हम
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डीएनए हिंदी: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या के 6 दोषियों को रिहा किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस भड़क गई है. पार्टी ने इसके लिए अपनी पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के खिलाफ भी नाराजगी जाहिर कर दी है, जिन्होंने अपने पति राजीव गांधी की हत्या के मामले (Rajiv Gandhi assassination case) में जेल में सजा काट रही नलिनी श्रीहरन (Nalini Sriharan) और 5 अन्य की रिहाई के लिए अपील की थी. कांग्रेस ने यह भी कहा है कि वह इसके खिलाफ अपील के लिए विधिक राय लेगी.

कांग्रेस के इस कमेंट को बहुत बड़ा माना जा रहा है, जिसकी छवि अभी तक गांधी परिवार की कही हुई बात को ही अंतिम निर्णय मानने की रही है. हाल ही में करीब 24 साल बाद गैर गांधी परिवार के किसी व्यक्ति ने पार्टी के अध्यक्ष पद पर कार्यभार संभाला है. इसके बाद गांधी परिवार से सार्वजनिक असहमति जताने को पार्टी के नीतिगत बदलाव की तरफ बढ़ने का इशारा माना जा रहा है.

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'कांग्रेस इस मामले में केंद्र सरकार के साथ खड़ी है'

ANI के मुताबिक, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने कहा कि हमारी पार्टी इस मामले में केंद्र सरकार के विचार से सहमत है. पार्टी सोनिया गांधी के विचार से सहमत नहीं है और कभी सहमत हो भी नहीं सकती. सोनिया गांधी सभी से ऊपर हैं और अपने निजी विचारों को रखने का हक रखती हैं, लेकिन बेहद सम्मान के साथ कहूंगा कि पार्टी उनसे सहमत नहीं है और हमारा रुख इस मामले में पूरी तरह स्पष्ट है. 

'राजीव गांधी की हत्या लोकल मर्डर नहीं, नेशनल इश्यू'

सिंघवी ने कहा, राजीव गांधी की हत्या किसी अन्य अपराध जैसा मामला नहीं थी. यह कोई लोकल मर्डर नहीं बल्कि एक नेशनल इश्यू था. हम अपने दृष्टिकोण पर कायम हैं, क्योंकि हमारे हिसाब से पूर्व पीएम की हत्या के मामले में देश की संप्रभुता, अखंडता, पहचान शामिल है. इतने सालों के दौरान पार्टी ने यह विचार कई बार स्पष्ट किया है. यही कारण है कि इतने साल तक केंद्र सरकार कभी भी इस मसले पर (तमिलनाडु) राज्य सरकार के रुख से सहमत नहीं हुई है. चाहे केंद्र में पहले कांग्रेस की सरकार रही हो या अब भाजपा की सरकार है.

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सुप्रीम कोर्ट पर भी खड़े किए सिंघवी ने सवाल

सिंघवी ने सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को रिहा करने के लिए उस विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है, जो 'अधिकार उसके पास है ही नहीं'? उन्होंने कहा, क्या इस फैसले को लेते समय राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता जैसे बड़े मुद्दे को ध्यान में रखा गया था? यह (पूर्व पीएम की हत्या) भारत की अखंडता पर हमला था.

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रमेश ने भी कहा- यह फैसला अस्वीकार्य

सिंघवी से पहले सीनियर कांग्रेस लीडर जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने भी कहा, सुप्रीम कोर्ट का पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने का फैसला पूरी तरह अस्वीकार्य और गलत है. कांग्रेस पार्टी इसकी पूरी तरह आलोचना करती है और इस अपराध को अक्षम्य मानती है. उन्होंने कहा, यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया है.

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1991 में हुई थी राजीव गांधी की हत्या

राजीव गांधी की हत्या 21 मई, 1991 को तमिलनाडु (Tamil Nadu) के श्रीपेरूमबुदूर (Sriperumbudur) में एक महिला आत्मघाती हमलावर ने बम विस्फोट के जरिये की थी. यह हमलावर उस समय श्रीलंका (Sri Lanka) में एक्टिव आतंकी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (Liberation Tigers of Tamil Eelam) या लिट्टे (LTTE) से जुड़ी थी, जो राजीव गांधी के श्रीलंकाई सेना की मदद करने के लिए भारतीय शांति सेना को श्रीलंका भेजने के कारण नाराज था. इस हत्या की योजना में शामिल पाए गए 7 लोगों को सजा-ए-मौत दी गई थी.

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साल 2000 में सोनिया ने कम कराई थी नलिनी की सजा

सोनिया गांधी ने साल 2000 में इन दोषियो में से एक नलिनी श्रीहरन की फांसी को उम्र कैद में तब्दील करा दिया था. साल 2008 में राजीव गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने भी उस समय तमिलनाडु की वेल्लोर जेल (Vellore Jail) में बंद नलिनी से मुलाकात की थी. साल 2014 में इस हत्या में शामिल 6 अन्य दोषियों की भी सजा को भी कम कर दिया गया था. उसी साल तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने उन्हें जेल से रिहा कराने की कवायद शुरू की थी.

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