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इलाज के लिए लिया कर्ज नहीं चुका पा रहा परिवार, किडनी बेचने के लिए छपवा दिए पोस्टर

Kidney on Sale: महाराष्ट्र के एक परिवार के कलेक्टर के दफ्तर के बाहर पोस्टर लगवा दिए हैं कि परिवार के पांच लोग अपनी किडनी को बेचना चाहते हैं.

इलाज के लिए लिया कर्ज नहीं चुका पा रहा परिवार, किडनी बेचने के लिए छपवा दिए पोस्टर

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डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक परिवार ने अपने घर के सभी लोगों की किडनी बेचने का पोस्टर छपवा दिया है. ये पोस्टर नांदेड़ के कलेक्टर दफ्तर के ठीक बाहर लगाए गए थे. अब पोस्टर सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है. पुलिस ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है. पुलिस ने संबंधित परिवार का बयान दर्ज किया है. बताया गया है कि मामला कई साल पुराना है. इलाज के मकसद से लिए गए पैसे चुकाए नहीं गए तो साहूकारों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया. अब परिवार परेशान है क्योंकि उसके पास पैसे नहीं हैं. एक पत्र के माध्यम से महाराष्ट्र की सरकार से भी अपील की गई है.

मराठी और अंग्रेजी में लिखे गए ये शब्द बताते हैं कि गरीबी से बचने के लिए यह परिवार अपनी जान तक को जोखिम में डालने को तयार है. दरअसल, नांदेड़ के मुदखेड तालुका वाई में सत्यभामा चंचुलवाड के पति बालाजी चंचुलवाड को एक सांप ने काट लिया था जिसके बाद अपने पति के इलाज के लिए उन्होंने इलाके के कुछ साहूकारों से दो लाख रुपए का कर्ज लिया था. परिवार का कहना है कि उन्होंने यह कर्ज तो चुका दिया था लेकिन कर्ज के साथ छुपे ब्याज को चुकाने में असमर्थ हैं.

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ब्याज नहीं चुकाया तो साहूकारों ने पीटा
आरोप है कि ब्याज न चुकाने की वजह से नाराज साहूकारों ने परिवार के मुखिया बालाजी चंचुलवाड की बुरी तरह पिटाई कर दी. अब बालाजी एक बार फिर अस्पताल में भर्ती हैं और साहूकार अब बालाजी की पत्नी और उनके बच्चों पर कर्ज चुकने का दबाव डाल रहे हैं. इस दबाव और कर्ज से परिवार असहाय हो चुका है. कोई दूसरा विकल्प न मिलने पर परिवार ने अपनी किडनी बेचने का फैसला लिया, उन्हें उम्मीद है की उन्हें ऐसा कोई जरूरतमंद व्यक्ति जरूर मिलेगा जो उनकी किडनी का उचित दाम देगा जिससे उनका कर्ज पूरा होगा. 

ऐसा करने के लिए उन्होंने अपने मोबाइल नंबर के साथ एक पोस्टर छपवाया और जिला कलेक्टर के दफ्तर के बार पोस्टर चिपका दिया. पोस्टर की जानकारी मिलते ही पुलिस ने पीड़ित परिवार से संपर्क किया. जिसके बाद परिवार के बताया कि अपनी परेशानी को लेकर सत्यभामा के बेटे सिद्धांत और बेटी सृष्टि ने 3 जुलाई 2021 को ही कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर शिकायत की थी लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. जिसके कारण चंचुलवाड परिवार ने डर के कारण गांव छोड़ दिया, यह परिवार पिछले ढाई साल से मुंबई में था.

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पुलिस से संपर्क के बाद वे नांदेड़ आए और फिर परिवार ने एक पत्र के माध्यम से राज्य सरकार से औपचारिक अनुरोध करते हुए मदद की गुहार लगाई. शनिवार की रात मुदखेड़ पुलिस ने सत्यभामा को बुलाकर उसका बयान दर्ज किया लेकिन अभी तक इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं किया गया है. ऐसे में परिवार अभी भी इस बात से चिंतित हैं की उनका कर्ज कैसे पूरा होगा.

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