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Maharshtra: फोटोग्राफर से लेकर सीएम की कुर्सी तक... कैसे उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र की राजनीतिक में बनाई अपनी जगह

Maharashtra Political Crisis के बीच उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है. उन्होंने इस दौरान बीजेपी पर जमकर हमला बोला है.

Maharshtra: फोटोग्राफर से लेकर सीएम की कुर्सी तक... कैसे उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र की राजनीतिक में बनाई अपनी जगह
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डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र (MVA) की राजनीति में आज भूचाल आ गया है क्योंकि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बगावत के चलते मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ उन्होंने विधान परिषद के पद से भी इस्तीफा दे दिया है. उद्धव ठाकरे ने लगभग ढाई साल तक महाराष्ट्र की सत्ता पर राज किया है जिन्हें एक वक्त महाराष्ट्र की राजनीति में कोई रुचि नहीं थी और वो एक फोटोग्राफर थे. 

उद्धव ठाकरे एक ऐसा नाम हैं जो बाला साहब ठाकरे के निधन के बाद हिंदू सम्राट के नाम से जाने जाते थे लेकिन आजकल वे हिंदुत्व को कम विपक्ष की सियासत के केंद्र बनते जा रहे थे. आखिर हो भी क्यों ना क्योंकि विपक्ष की राजनीति के जरिए महाराष्ट्र में सीएम पद की कुर्सी पर काबिज हुए थे.

एक फोटो ग्राफर से महाराष्ट्र के सीएम बने उद्धव ठाकरे का जन्म 27 जुलाई 1960 को मुंबई में हुआ था उनके पिता बाला साहेब ठाकरे और  माताजी का नाम मीना ठाकरे और पत्नी का नाम रश्मि ठाकरे है.. उनके दो बेटे है- आदित्य ठाकरे और तेजस ठाकरे. आदित्य ठाकरे वर्तमान में पिता उद्धव ठाकरे की सरकार में मंत्री भी थे.

सक्रिय राजनीति में आने से पहले उद्धव ठाकरे का वन्यजीव फोटोग्राफी काफी लगाव रहा है वह एक प्रसिद्ध फोटोग्राफर हैं और सालाना प्रदर्शनियों में उनकी तस्वीरों को काफी महत्व दिया जाता रहा है. सीएम बनने के बाद वह फोटोग्राफी को समय नहीं दे पाए.  उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ 28 नवंबर 2019 को ली लेकिन उनकी सक्रिय राजनीति में एंट्री 90 के दशक में हो गई थी.

उद्धव ठाकरे के सक्रिय राजनीति में आने के बाद उनके और राज ठाकरे के बीच मतभेद शुरू हो गए. 1997 के मुंबई महानगरपालिका के चुनावों में भी उद्धव ठाकरे ने सक्रिय भूमिका निभाई. वहीं साल 2002 में मुंबई महानगरपालिका के चुनावों की जिम्मेदारी पूरी तरह से उद्धव ठाकरे को ही सौंप दी गई थी. 

उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति मे सबसे सशक्त नाम रहे हैं. उन्होंने शिवसेना को मजबूत करने के साथ विपक्ष को नसीहत सीखाने का काम किया.  उद्धव ठाकरे का व्यक्तित्व बाला साहेब ठाकरे के व्यक्तित्व से विपरीत माना जाता है.वह बाला साहेब ठाकरे जैसे आक्रामक नहीं हैं. इसके बावजूद साल 2012 में बाला साहेब ठाकरे की मृत्यु के बाद उन्होंने शिवसेना को एकजुट रखा.

2014 में मोदी लहर होने के बावजूद विधानसभा चुनाव में उद्धव के नेतृत्व में शिव सेना ने 63 सीटें जीतीं थी. वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. जिस कांग्रेस से बाला साहब ठाकरे दूरी बना कर रखते थे उससे भी हाथ मिलाने में उन्हे कोई परहेज नही रहा और शायद यही  कारण है कि आज उन्हें इस्तीफा देना पड़ा है. 

कोरोना काल में उद्धव ठाकरे की राजनीतिक छवि पर असर पड़ा था. महामारी में उनकी सरकार  पर लोगों को मेडिकल सुविधा मुहैया कराने में असफल रहने का आरोप लगा. उद्धव ठाकरे की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि वह बोलते काफी कम है लेकिन समय पर माकूल जबाव देने के लिए जाने जाते हैं.

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हाल के दिनों में शरद पवार से काफी प्रभावित रहे हैं और उनके मार्ग दर्शन में काम करते रहें और उन पर उनके बागी विधायकों ने काफी  बड़े आरोप लगाए हैं. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने अपनी विचारधारा को ताक पर रखकर उन्होंने शिवसेना की छवि को खराब किया और आज स्थिति यह भी है कि उनके हाथों से शिवसेना तक निकल रही है क्योंकि शिंदे गुट पार्टी पर ही अपना दावा कर रही है. 

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