Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Morbi Bridge Collapse: मोरबी के राजा ने 143 साल पहले कराया था केबल ब्रिज का निर्माण, यूं ही नहीं था खास 

Morbi Bridge Collapse: इस पुल के निर्माण के लिए सभी सामान ब्रिटेन से मंगाया गया था.

Morbi Bridge Collapse: मोरबी के राजा ने 143 साल पहले कराया था केबल ब्रिज का निर्माण, यूं ही नहीं था खास 
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

डीएनए हिंदीः गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना पुल (Morbi Bridge) रविवार को अचानक गिर गया. हादसे में 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई. मोरबी की शान कहे जाने वाले इस पुल का निर्माण 143 साल पहले किया गया था. यह पुल दरबारगढ़ पैलेस और लखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को आपस में जोड़ता है. इस हादसे का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पुल के ऊपर लोग झूलते और सेल्फी लेते नजर आ रहे हैं. इसी दौरान यह हादसा हो गया. 

1880 में हुआ था पुल का निर्माण
इस पुल का निर्माण 1880 में मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल्य वाघजी ठाकोर की रियासत के दौरान किया गया था. मोरबी ब्रिज के जरिए ही राजा राजमहल से राज दरबार तक जाते थे. इसका उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था. इस पुल को बनाने में तब करीब 3.5 लाख रुपये का खर्च आया था. पुल को बनाने के लिए सामान ब्रिटेन से मंगाया गया था. ब्रिटिश शासन में बना ये ब्रिज अच्छी इंजीनियरिंग का प्रतीक रहा है. राजकोट जिले से 64 किलोमीटर की दूरी पर मच्छु नदी पर बना यह पुल लोगों के आर्कषण का केंद्र था. 765 फुट लंबा और 4 फुट चौड़ा ये पुल एतिहासिक होने के कारण गुजरात टूरिज्म की लिस्ट में भी शामिल किया गया था. इंजीनियरिंग की मिसाल कहे जाने वाले इस पुल को 2001 में आए भूकंप में भी नुकसान पहुंचा था. 

ये भी पढ़ेंः Morbi पुल हादसे पर भावुक हुए प्रधानमंत्री, बोले- केवडिया में हूं लेकिन जेहन में पीड़ितों का ख्याल

इस कंपनी को मिला संचालन का काम
मोरबी पुल के संचालन को लेकर मोरबी नगरपालिका ने मार्च 2022 में मोरबी की ओरेवा ग्रुप की अजंता मैन्यूफेक्चरिंग कंपनी के साथ 15 साल के लिए कांट्रैक्ट साइन किया था. इस कंपनी को 2037 तक पुल का रखरखाव और टिकट का जिम्मा देखना था. कंपनी को पहले इस पुल के लिए 15 रुपये प्रति व्यक्ति टिकट का अधिकार था. बाद में हर साल 2 रुपये बढ़ाने का अधिकार दिया गया. एग्रीमेंट के तहत कंपनी को मरम्मत के लिए 8 से 12 महीने का समय दिया गया. हालांकि कंपनी ने 5 महीने में ही इसे शुरू कर दिया.  

हादसे के वक्त 500 से अधिक लोग थे सवार
हादसे से पहले के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं. इसमें पुल के ऊपर 500 से अधिक लोग खड़े दिखाई दे रहे हैं. अभी तक की जांच में सामने आया है कि पुल के ऊपर क्षमता से अधिक लोग मौजूद थे जिसके कारण यह हादसा हो गया. गुजरात सरकार ने हादसे की जांच करने की जिम्मेदारी एसआईटी को दी है. मृतकों के परिवार के लिए 4-4 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया गया है. इसके अलावा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से भी मृतकों के लिए 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये देने का ऐलान किया गया है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर मौजूद हैं. इसके अलावा तीनों सेनाओं को भी राहत कार्य में लगाया गया है. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement