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Mulayam Singh Yadav ने किया था ऐतिहासिक फैसला, शहीदों के पार्थिव शरीर घर पहुंच सके, बनाया था कानून

Mulayam Singh Yadav News: बतौर रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने जवानों के पार्थिव शरीर को सम्मान के साथ उनके घर पहुंचने का कानून बनाया था.

Mulayam Singh Yadav ने किया था ऐतिहासिक फैसला, शहीदों के पार्थिव शरीर घर पहुंच सके, बनाया था कानून

नहीं रहे मुलायम सिंह यादव

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डीएनए हिंदी: देश के पूर्व रक्षा मंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं हैं. मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री के अपने कार्यकाल में कई बड़े फैसले किए थे. इन फैसलों में सबसे बड़ा फैसला था- देश के लिए अपने जान देने वाले शहीदों के पार्थिव शरीर को उनके घर तक पहुंचाने का. मुलायम सिंह यादव जून 1996 से मार्च 1998 तक देश के रक्षा मंत्री रहे थे. इस दौरान देवगौड़ा और आईके गुजरात के हाथों में भारत की कमान थी.

बतौर रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने जवानों के पार्थिव शरीर को सम्मान के साथ उनके घर पहुंचने का कानून बनाया. इससे पहले देश की सेवा में अपनी जान देने वाले जवानों की टोपी उनकी घर पहुंचाई जाती थी.रक्षा मंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने ही यह तय किया था कि शहीद जवान का के पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ उनके घर पहुंचाया जाएगा और जिले के डीएम और एसपी इस दौरान उनके घर जाएंगे. मुलायम सिंह ने ही बतौर रक्षा मंत्री भारत लिए सुखोई-30 फाइटर प्लेन की डील की थी.

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10 बार रहे विधायक, सात बार सांसद
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव ने राज्य का सबसे प्रमुख सियासी कुनबा भी बनाया. मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक रहे और सात बार सांसद भी चुने गए. वह तीन बार (वर्ष 1989-91, 1993-95 और 2003-2007) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 1996 से 98 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे. एक समय उन्हें प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी देखा गया था. मुलायम सिंह यादव दशकों तक राष्ट्रीय नेता रहे लेकिन उत्तर प्रदेश ही ज्यादातर उनका राजनीतिक अखाड़ा रहा.

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तीन बार बने यूपी के सीएम
समाजवाद के प्रणेता राम मनोहर लोहिया से प्रभावित होकर सियासी सफर शुरू करने वाले यादव ने उत्तर प्रदेश में ही अपनी राजनीति निखारी और तीन बार प्रदेश के सत्ताशीर्ष तक पहुंचे. वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में आने के बाद भी मुलायम सिंह यादव पार्टी समर्थकों के लिए नेताजी बने रहे और मंच पर उनकी मौजूदगी समाजवादी कुनबे को जोड़े रखने की उम्मीद बंधाती थी.

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छात्र जीवन से की राजनीति की शुरुआत
शुरुआती दिनों में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे मुलायम सिंह यादव ने राजनीति शास्त्र में डिग्री हासिल करने के बाद एक इंटर कॉलेज में कुछ समय के लिए शिक्षण कार्य भी किया. वह वर्ष 1967 में पहली बार जसवंत नगर सीट से विधायक चुने गए. अगले चुनाव में वह फिर इसी सीट से विधायक चुने गए. बेहद जुझारू नेता माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा देश में आपातकाल घोषित किए जाने का कड़ा विरोध किया. वर्ष 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद वह लोकदल की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बने.

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इनपुट- एजेंसी

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