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DNA TV Show: निपाह वायरस न बने कोरोना जैसा खतरा, समझ लें लक्षण से लेकर उपचार तक सबकुछ 

Nipah Virus: निपाह वायरस का खतरा फिलहाल केरल में है लेकिन इस और बढ़ने से रोकने के लिए सतर्कता जरूरी है. आपको कोरोना का समय याद होगा जब एक वायरस ने हमारे देश की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की रफ्तार थाम दी थी. 

DNA TV Show: निपाह वायरस न बने कोरोना जैसा खतरा, समझ लें लक्षण से लेकर उपचार तक सबकुछ 

Nipah Virus

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डीएनए हिंदी: एक वायरस की वजह से दुनिया कांप गई थी. अस्पतालों में बिस्तर तक नहीं बचे थे, दुनिया महामारी के चंगुल में बुरी तरह से फंस गई थी और इसकी वजह थी कोरोना वायरस. अब भारत में कोरोना से भी कई गुना ज्यादा खतरनाक वायरस आ गया है. यह आपको डराने के लिए नहीं बल्कि सावधान करने के लिए है.केरल में आजकल निपाह (Nipah Virus) चिंता का कारण बना हुआ है. इस वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए ठीक उसी तरह की सावधानियां बरती जा रही है जैसे कोरोना के समय बरतीं गई थी. जानें क्या है यह वायरस और कैसे फैलता है. यह वायरस आप तक न पहुंचे इसके लिए कौन सी सावधानियां रखनी जरूरी हैं. DNA के विश्लेषण में इस बारे में सब कुछ जानें.

केरल में कैसी है निपाह वायरस की वजह से स्थिति
- केरल में अबतक 6 लोगों में  निपाह वायरस की पुष्टि हुई है.
- इस वायरस की की वजह से 2 लोगों की मौत हुई है.
- 7 ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है.
- कंटेनमेंट जोन वाले इलाकों और अस्पतालों में मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है.
- कोझिकोड जिले में 24 सितंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थानों, आंगनबाड़ी केंद्र, बैंक और सरकारी संस्थानों को बंद रखने का आदेश है.

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कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक वायरस है निपाह
अभी तक हम कोरोना वायरस को खतरनाक मान रहे थे जो कि  है भी. निपाह वायरस तो कोरोना से भी कई गुना ज्यादा खतरनाक है. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने निपाह वायरस को लेकर खतरे का अलार्म बजाया है. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमण होने पर मृत्यु दर 2 फीसदी से कम थी लेकिन निपाह वायरस से संक्रमण में मृत्यु दर 45-70 फीसदी है. यानी इस वायरस से 45 से 70 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है. इसी से समझा जा सकता है कि ये कोरोना से भी कितना खतरनाक है.

आपके दिमाग में ये सवाल भी जरूर आ रहा होगा कि निपाह वायरस फैलता कैसे है और क्यों ये वायरस इतना खतरनाक है. इसको सरल शब्दों में समझाते हैं...

- निपाह वायरस एक तरह का जोनोटिक इनफेक्शन है जो जानवर से फैलता है.
- आमतौर पर निपाह वायरस चमगादड़, सुअर से फैलता है।
- अगर इस वायरस से संक्रमित चमगादड़ किसी फल को खाता है और उसी फल या सब्जी को कोई इंसान या जानवर खा लेता है तो वो भी संक्रमित हो जाएगा.
- निपाह वायरस सिर्फ जानवरों से ही नहीं बल्कि एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है।

निपाह वायरस की वैक्सीन है या नहीं?
निपाह वायरस की अब तक कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है, हालाकि इस virus से संक्रमित मरीजों को मोनोक्लोन एंटीबॉडी इंजेक्शन दिए जाते है. ये इंजेक्शन निपाह वायरस से संक्रमित होने पर शुरुआती दिनों में दिए जाते हैं, ICMR ने निपाह के इलाज के लिए वर्ष 2018 में एक रिसर्च की थी. उस दौरान ऑस्ट्रेलिया के क्वंसलैंड से ट्रायल के तौर पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इंजेक्शन मंगाए गए थे, जो कुछ हद तक कारगर रहे थे.

निपाह वायरस के लक्षण
- बुखार
- सिर दर्द
- सांस लेने में परेशानी
- खांसी और गला खराब
- उल्टी
- मासपेशियों में दर्द
- बहुत ज्यादा कमजोरी, ये वो लक्षण है जो nipah virus के मरीज में दिखते है.

अपने स्तर पर बरतें ये सावधानी
- किसी भी वायरस से बचने का सबसे आसान और सामान्य तरीका हाथों को समय-समय पर साबुन से धोना है. इससे वायरस का खतरा कम हो जाता है.
- बीमार और संक्रमित व्यक्ति और पशुओं से दूरी बनाएं.
- फल या सब्जियों को धोकर खाएं, पक्षियों द्वारा खाए गए फलों को ना छुएं.
- निपाह का कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर से सलाह लें.

भारत में निपाह वायरस का ऐसा रहा है इतिहास 
- भारत में अबतक 6 बार nipah virus दस्तक दे चुका है. 
- केरल में ही पिछले 5 वर्ष में 4 बार इस खतरनाक वायरस के केस मिले है.
- वर्ष 2001 में निपाह वायरस के सिलीगुड़ी में 66 केस आए थे. इस वर्ष निपाह से 45 लोगों की मौत हुई थी.
- वर्ष 2007 में पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में 5 केस आए थे और पांचों मरीजों की मौत हो गई थी.
- वर्ष 2018 में निपाह के केरल में 24 केस आए और 21 मरीजों की मौत हुई.
- 2019 में केरल में निपाह का 1 केस आया और इस मरीज की मौत हो गई थी.
- 2021 में केरल में निपाह का 1 केस आया, और इस व्यक्ति की मौत हो गई थी.
- वर्ष 2023 में अबतक निपाह के 6 केस आए है, दो लोगों की ये वायरस मौत का कारण बन चुका है.

ऐसा है निपाह का इतिहास 
दुनिया में पहली बार यह वायरस वर्ष 1998 में मलेशिया में फैला था. मलेशिया में उस वक्त इसके 300 केस आए थे और 100 लोगों की मौत हुई थी. उस वक्त मलेशिया में 10 लाख से ज्यादा सुअरों को मारा गया था. हर वर्ष एशिया के कुछ हिस्सों, खासकर बांग्लादेश में निपाह वायरस के मामले आते हैं. इस वायरस के लिए सेंसेटिव देशों में भारत, बांग्लादेश के अलावा मलेशिया, सिंगापुर, कंबोडिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड शामिल हैं.

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निपाह वायरस में मृत्यु दर है बहुत ज्यादा 
निपाह वायरस में मृत्यु दर ज्यादा है, लेकिन पूरी दुनिया में इस वायरस का इतिहास बताता है कि ये कभी भी बहुत तेज़ी से नहीं फैला है. हालांकि, WHO ने इस बात की आशंका भी जताई है कि इस वायरस का बहुत तेज़ी से फैलने वाला वैरिएंट भी आ सकता है. अगर निपाह का तेज़ी से फैलने वाला वैरिएंट आया, तो मौत का आंकड़ा बहुत बड़ा हो सकता है. वैसे पिछले कुछ वर्षों से जेनेटिट डिजीज यानि जो पशुओं से इंसान में पहुंचती है, ऐसी बीमारियों में तेज़ी से वृद्धि हुई है. वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन, जंगल का कटना, जंगलों में आग लगना और इंडस्ट्रियल फार्मिंग इन वजहों से भी इस तरह की बीमारियां बढ़ रही है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले 50 वर्षों में 1 हजार से ज्यादा इस तरह की बीमारियां इंसान को घेर सकती है. निपाह वायरस एक घातक है. इसलिए खतरा भी बड़ा है. हम आपको डरा नहीं रहे है बल्कि सावधान कर रहे हैं, क्योंकि कोरोना की तरह ही इस जानलेवा निपाह वायरस को भी सावधानी से ही हराया जा सकता है.

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