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राजस्थान चुनाव में वोट डालेंगे 'राज्‍यपाल-राष्‍ट्रपति' और 'कलेक्‍टर', वजह जान रह जाएंगे दंग

Rajasthan Election News: राजस्थान के बूंदी जिले में कुछ हैरान कर देने वाले वोटरों का नाम सामने आया है. आइए आपको बताते हैं कि पूरा मसला क्या है.

राजस्थान चुनाव में वोट डालेंगे 'राज्‍यपाल-राष्‍ट्रपति' और 'कलेक्‍टर', वजह जान रह जाएंगे दंग

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डीएनए हिंदी: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया भले ही शुरू हो गई है. राज्य की मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस ने अपने कुछ प्रत्याशियों के नाम बता सामने रख दिए हैं. ऐसे में सभी इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए लगे हुए हैं. इस बीच खबर है कि राजस्थान चुनाव में राष्ट्रपति, राज्यपाल से लेकर कलेक्‍टर वोट डालेंगे. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है. 

राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाली वोटिंग में बूंदी जिले के रामनगर गांव में 'कलेक्टर', 'राष्ट्रपति' और 'राज्यपाल' भी वोट डालेंगे. अब शायद आपको कुछ समझ में आया हो? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि यह पूरा माजरा क्या है. बूंदी जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूर एक छोटा का गांव का नाम रामनगर है.  इस गांव की जनसंख्या 5 हजार है और लगभग 2 हजार मतदाता कंजर आदिवासी समुदाय से हैं.  इस समुदाय में किसी का नाम राज्यपाल है तो किसी का नाम राष्ट्रपति है तो वहीं किसी का नाम कलेक्‍टर है. 

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जानिए इसके पीछे की वजह 

रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश शासन के दौरान कंजरों को आपराधिक जनजाति के रूप में देखा जाता था. बताया जाता है कि समुदाय के कुछ सदस्य क्राइम और अवैध गतिविधियों में शामिल रहते थे. आजादी के बाद, भारत सरकार ने ब्रिटिश काल के कानून को वापस ले लिया था, जिसमें कंजर, भाट, मोंगिया, सांसी जैसे समुदायों को आपराधिक जनजातियों के रूप में दर्ज किया गया था. आजादी के बाद यहां के हालत में कोई बदलाव नहीं आया. नीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि समुदाय के कुछ सदस्य अगर कानून तोड़ते हैं तो पूरे समुदाय को अपराधी की दृष्टि से देखा जाता है. इसी निंदा से बचने के लिए इस समुदाय के कई लोगों ने ऐसे नाम रख लिए, जिन्हें लोग सम्मान की दृष्टि से देखते थे.

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दूरदर्शन देखकर रखे गए नाम 

उस समय लोगों के पास केवल टीवी होती थी, जिससे वह बाहरी दुनिया के बारे में जान पाते थे. शुरुआत में लोगों ने दूरदर्शन देखकर अपने बच्चों के नाम रखे. अब तो इंटरनेट और निजी टीवी चैनल गांव तक पहुंच गया हैं, ऐसे में कहा जा सकता है कि गांव के हालत पहले से काफी बेहतर हो गए हैं.  स्थानीय नेताओं की ओर से गांव के समुदाय की छवि को बेहतर बनाने की कोशिश है. इस समुदाय के लिए बड़े स्थानीय सम्मेलन भी बीते सालों किए गए हैं. जानकारी के अनुसार, गांव में एक स्कूल है जिसमें करीब 620 छात्र-छात्राएं पढ़ती हैं. गांव के 7 लोग सरकारी कर्मचारी भी बन गए हैं. स्थानीय नेता भी इस समुदाय की एक बेहतर छवि समाज में बनाई जाए.

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