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क्या है त्रेता युग, जिसका राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी और सीएम योगी ने किया जिक्र

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज वो कमी पूरी हुई है, मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे. लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया.

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क्या है त्रेता युग, जिसका राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी और सीएम योगी ने किया जिक्र

Ayodhya Ram Mandir

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डीएनए हिंदी: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो चुकी है. 500 वर्षों के इंतजार के बाद आज प्रभु श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं. पूजा में पीएम नरेंद्र मोदी, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, RSS प्रमुख मोहन भागवत​​​​​ समेत 6 यजमान शामिल हुए. इस दौरान पीएम मोदी और सीएम योगी ने त्रेता युग का जिक्र किया. पीएम मोदी ने त्रेतायुग का जिक्र करते हुए कहा कि उस कालखंड में वो वियोग तो केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था. इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है. वहीं, सीएम योगी ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि हम त्रेता युग में आ गए हैं. लगभग पांच सौ साल की प्रतीक्षा का दौर समाप्‍त हो गया. ऐसे में आइए जानते हैं कि त्रेता युग क्या है? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज वो कमी पूरी हुई है, मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे. लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया. त्रेता युग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था. इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है. हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है. इसके साथ उन्होंने कहा कि लामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हुआ राष्ट्र, अतीत के हर दंश से हौसला लेता हुआ राष्ट्र ही नए इतिहास का सृजन करता है. आज से हजार साल बाद भी लोग आज की तारीख को याद करेंगे और आज के इस पल की चर्चा करेंगे. सीएम योगी ने कहा कि रोम रोम में राम रमे हैं, पूरा राष्‍ट्र राममय है. ऐसा लगता है हम त्रेता युग में आ गए हैं. आज रघुनंदन राम लला सिंहासन पर विराज रहे हैं. हर राम भक्‍त के हृदय में संतोष और गर्व है. भारत को इसी दिन की प्रतिक्षा थी. इसमें लगभग पांच शताब्‍दी व्‍यतीत हो गई. हजारों पीढ़‍ियां इसी प्रतीक्षा में व‍िलीन हो गईं. 

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त्रेतायुग क्या है?

महर्षि व्यास जी के अनुसार सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग इन सब को मिलाकर कुल चार युग होते हैं. जो ईश्वर के बारह हजार दिव्य वर्षों को मिलाकर बनते हैं. मान्यता है कि कलयुग हो या सतयुग या फिर द्वापरयुग ही क्यों न हो हर युग में किसी न किसी ईश्वर का जन्म अवश्य होता है. शास्त्रों में सबसे पहला और बड़ा युग सतयुग माना गया है. ये 17,28,000 वर्ष तक रहा है. इसमें मनुष्य की आयु करीब 1,00,000 वर्ष के आसपास बताई गई है. इस युग में भगवान ने मत्स्य, कूर्म, वाराह और नरसिंह के रूप में अवतार लिया. इस युग की मुद्रा रत्नमय और पात्र स्वर्ण के थे. त्रेतायुग की अवधि 12 लाख 96 हजार वर्ष होती है. मनुष्य की आयु प्रारम्भ में एक लाख वर्ष होती है, अंत में दस हजार वर्ष होती है. द्वापरयुग की अवधि 8 लाख 64 हजार वर्ष होती है. मनुष्य की आयु दस हजार प्रारम्भ में होती है. कंस के संहार के लिए भगवान कृष्ण का अवतार द्वापर में ही हुआ था. इस युग की मुद्रा चांदी और पात्र तांबे के थे. सबसे आखिरी और छोटा युग कलयुग को बताया गया है. इसकी कुल आयु करीब 4,32,000 वर्ष की है. मनुष्य की अधिकतम आयु 100 वर्ष के आसपास है. इस युग को लेकर कहा जाता है कि इसमें  भगवान कल्कि के रूप में एक ब्राह्मण परिवार में अवतरित होंगे.

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